
स्कॉटलैंड के वैज्ञानिकों ने छोटे दिल बनायें हैं जो जो लाइलाज बीमारियों के उपचार में मदद करेंगे, ये हृदय कोशिकाओं के दोनों नन्हें वॉल्व हर दो सेकेंड पर एक साथ धड़कते हैं।
नन्हें दिल आपको खतरनाक बीमारियों से बचायेंगे। स्कॉटलैंड के वैज्ञानिकों ने चिकित्सा संबंधी शोध के लिए सैंकड़ों की संख्या में छोटे मानव हृदय तैयार किए हैं।ये हृदय कोशिकाओं के दोनों नन्हें वॉल्व हर दो सेकेंड पर एक साथ धड़कते हैं, इनके ऊतक इंसान के दिल की पेशियों से मेल खाते हैं। अबर्टे यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता इन छोटे छोटे दिलों का प्रयोग लाइलाज बीमारियों में संभावित दवाओं के असर की जांच के लिए करेंगे।
शोध को स्पेन के वेलेंशिया में बायोटेक्नोलॉजी पर हो रही वर्ल्ड कांग्रेस में पेश होगी। इन की कोशिकाओं का बाहरी घेरा यानी स्फेयर स्टेम कोशिकाओं से बना है और यह मात्र एक मिलीमीटर चौड़ा है।
हालांकि धड़कती हुई ऐसी हृदय कोशिकाएं पहले भी बनाई जा चुकी हैं, पर शोधकर्ताओं के अनुसार रोग की जांच के लिए उनका इस्तेमाल पहली बार हुआ है।
प्रोफेसर नीकोलाई जेलीव ने बीबीसी को बताया कि, "छोटे दिल वास्तव में मानव कोशिकाएं ही हैं, देखें तो ये मानव हृदय से हुबहू मिलते हैं। इनका आकार कोई मायने नहीं रखता।''
जेलीव ने यह भी बताया कि, "इसके परीक्षण के लिए इन छोटे दिलों में लाइलाज रोगों के कीटाणु डाले जाते हैं, ऐसा पहले, खासकर हृदय की अतिवृद्धि (हाइपरट्रॉफ़ी) के मामले में किसी ने नहीं किया। यही नहीं, हमने कई दवाओं को शामिल किया, जो इन्हें हाइपरट्रॉफी से बचाने में कारगर साबित हुईं।"
हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी की एक लाइलाज अवस्था है, इसमें दिल की पेशियां कड़ी हो जाती हैं और उसे शरीर में खून पंप करने में दिक्कत होती है। हाइपरट्रॉफी के गंभीर स्थिति में पहुंचने पर दिल अचानक काम करना बंद कर सकता है।
source - BBC.COM
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