आंवला फल विटामिन सी का प्रचुर स्नोत है। प्रकृति में पाई जाने वाले किसी भी चीज में इतना विटामिन सी नहीं पाया जाता। वैज्ञानिक शोधों में तमाम रोगों के उपचार करने की खूबियों का पता। विषाणुओं से शरीर के प्रतिरक्षी तंत्र को मजबूत बनाता है, इसकी खास बात यह है कि इसमें मौजूद विटामिन गर्म करने और सुखाने से भी खत्म नहीं होता। आंवला गुणों का भंडार है जो आसानी से उपलब्ध होता है। इसके चमत्कारी गुणों के कारण इसे अमृत फल भी कहा जाता है। इसके अनेकों औषधीय लाभ भी हैं। आंवले का वैज्ञानिक नाम फाइलैंथस एम्बलिका है। आमतौर पर इस पेड़ की लंबाई 20 से 25 फीट होती है। यह एशिया, यूरोप और अफ्रीका के अलावा भारत में आंवला के पेड़ खूब पाए जाते हैं। इसकी खेती भी की जाती है।
फल एक गुण अनेक स्वास्थ्य
1. आयुर्वेद में आंवला कब्ज का रामबाण, रक्त शोधक, पाचक, रुचिवर्धक तथा अतिसार, प्रमेह, दाह, पीलिया, अम्ल पित्त, रक्त विकार, रक्त स्नाव, बवासीर, कब्ज, अजीर्ण, बदहजमी, श्वास, खांसी, रक्त प्रदर नाशक तथा आयुवर्धक है।
2. निरंतर प्रयोग से बाल टूटना, रूसी, बाल सफेद होना रूक जाते हैं। नेत्र ज्योति तेज होती है। दांत मजबूत होते हैं।
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3. रोज एक आंवला खाने से त्वचा की नमी बरकरार रहती है, इससे त्चचा पर कांति आती है और पिंपल्स जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं।
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परंपरागत प्रयोग
1. आंवला आयुर्वेद और यूनानी पैथी की प्रसिद्ध दवाइयों, च्यवनप्राश, ब्रह्म रसायन, धात्री रसायन, अनोशदारू , त्रिफला रसायन, आमलकी रसायन, त्रिफला चूर्ण, धात्ररिष्ट, त्रिफलारिष्ट, त्रिफला घृत आदि के साथ मुरब्बे, शर्बत, केश तेल आदि निर्माण में प्रयुक्त होता है। रक्तवर्धक नवायस लौह, धात्री लौह, योगराज रसायन, त्रिफला मंडूर आंवले से बनाए जाते हैं।
2. मानव शरीर में सिर्फ ल्यूकोडर्मा में आंवला उपयोग नहीं होता। इसके अलावा सिर से पैर तक का कोई ऐसा रोग नहीं जहां आंवला दवा या खुराक के रूप में उपयोगी न रहता हो।
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3. भारतीय गृहिणी की रसोई में भी आंवला, चटनी, सब्जी, आचार, मुरब्बे के रूप में सदा से विराजमान है।
4. इसके प्रयोग से शरीर की प्रतिरक्षी शक्ति सुरक्षित रहती है। बार-बार होने वाली बीमारियों से बचाव करने वाला आंवला ‘विटामिन सी’ का सबसे बड़ा भंडार है। इसका विटामिन ‘सी’ पकाने, सुखाने, तलने, पुराना होने पर भी नष्ट नहीं होता।
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