साबुन की बट्टी या लिक्विड सोप- क्या है शरीर के लिए ज्यादा फायदेमंद? जानें दोनों में अंतर

नहाने और हाथ साफ करने के लिए साबुन की बट्टी ज्यादा बेहतर है या लिक्विड सोप? अगर आप भी हैं कंफ्यूज तो यहां मिलेगा जवाब।
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साबुन की बट्टी या लिक्विड सोप- क्या है शरीर के लिए ज्यादा फायदेमंद? जानें दोनों में अंतर


नहाने और हाथ धोने के लिए आजकल ज्यादातर लोग साबुन की बट्टी या लिक्विड सोप का इस्तेमाल करते हैं। लिक्विड सोप (Liquid Soap) का कॉन्सेप्ट अभी नया है। कुछ समय पहले तक सिर्फ साबुन की बट्टी यानी बार सोप (Bar Soap) ही उपलब्ध थे। अगर आप भी इस बात को लेकर कंफ्यूज रहते हैं कि नहाने और हाथ धोने के लिए क्या बेस्ट है- लिक्विड सोप या साबुन की बट्टी? तो हम आपकी मदद करते हैं। इन दोनों में ही कुछ अंतर होते हैं, जिन्हें जानने के बाद आपके लिए इनका चुनाव करना आसान हो जाएगा।

बैक्टीरिया से बचाव

आमतौर पर साबुन का इस्तेमाल हम हानिकारक बैक्टीरिया और जर्म्स को साफ करने के लिए करते हैं। कुछ लोगों को लगता है कि एक ही साबुन का इस्तेमाल कई बार करने से और खुले में रखने से बैक्टीरिया इन पर चिपक जाते हैं और फिर त्वचा तक पहुंच जाते हैं, इसलिए लिक्विड सोप का इस्तेमाल ज्यादा बेहतर है। मगर 1988 में डायल कॉर्पोरेशन द्वारा की गई एक रिसर्च बताती है कि साबुन के कई बार इस्तेमाल के बावजूद आपकी त्वचा पर बैक्टीरिया नहीं पहुंचते हैं। इसलिए इस लिहाज से देखें तो बार सोप और लिक्विड सोप दोनों ही अच्छे विकल्प हैं।

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दोनों की कीमत में अंतर

सामान्य तौर पर देखें तो बार सोप, लिक्विड सोप के मुकाबले बहुत सस्ते होते हैं। इसके अलावा एक खास बात, जिसपर शायद आपने भी ध्यान दिया होगा कि लिक्विड सोप का इस्तेमाल अक्सर हम जरूरत से ज्यादा कर लेते हैं। जैसे हाथ धोने के लिए 1 बूंद लिक्विड सोप काफी है, मगर ज्यादातर लोग इसे निकालते समय काफी ज्यादा मात्रा में इसका इस्तेमाल करते हैं। इसलिए अगर कीमत और उपयोगिता के लिहाज से देखें तो साबुन की बट्टी आपके लिए ज्यादा किफायती है और ये ज्यादा समय तक भी चलती है।

इंग्रीडिएंट्स में अंतर

ज्यादातर बट्टी वाले साबुन को बनाने में वनस्पति तेलों और जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें बनाने के लिए तेल और चर्बी को अल्कलाइन सॉल्यूशन में अच्छी तरह मिलाया जाता है। वहीं लिक्विड सोप पेट्रोलियम बेस्ड होते हैं और गाढ़ेपन के लिए इसमें कुछ केमिकल्स (इमल्सिफाइंग एजेंट्स) मिलाए जाते हैं। इसके अलावा लिक्विड सोप को क्रीमी और झागयुक्त बनाने के लिए diethanolamine or DEA मिलाया जाता है। वैसे तो लिक्विड सोप में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर केमिकल्स सरकारी एंजेंसियों द्वारा जांच करने के बाद एप्रूव किए जाते हैं, मगर लंबे समय तक इस्तेमाल से इनसे कई स्वास्थ्य समस्याएं होने की भी आशंका जाहिर की गई है। इसलिए इस लिहाज से देखें तो साबुन ज्यादा बेहतर है।

पर्यावरणीय फैक्टर्स

2009 में Institute of Environmental Engineering द्वारा किए गए एक अध्ययन में बताया गया कि लिक्विड साबुन सोप के मुकाबले 25% ज्यादा कार्बन फुटप्रिंट्स छोड़ता है। इसका कारण यह है कि लिक्विड सोप बनाने में ज्यादा प्रॉसेसिंग करनी पड़ती है और इसमें केमिकल्स का इस्तेमाल भी ज्यादा होता है। इसे बनाने में बार सोप के मुकाबले 7 गुना ज्यादा एनर्जी खर्च होती है और कार्बन निकलता है। इसके अलावा लिक्विड सोप को प्लास्टिक के कंटेनर में भरा जाता है, जो पर्यावरण के लिए अच्छे नहीं होते हैं। इस लिहाज से भी बार सोप, लिक्विड सोप से ज्यादा बेहतर साबित होते हैं।

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पीएच लेवल

पीएच लेवल के मामले में लिक्विड सोप, बार सोप से ज्यादा बेहतर होते हैं। दरअसल साबुन की बट्टी का पीएच लेवल ज्यादा होता है, इसलिए इसके इस्तेमाल से त्वचा रूखी हो सकती है, जबकि लिक्विड सोप का पीएच लेवल कम होता है। इसलिए इसके इस्तेमाल से अपेक्षाकृत कम रूखापन होता है। मगर इस मामले में अगर आप चाहें, तो कुछ खास साबुन चुन सकते हैं, जिनमें ग्लिसरीन या क्रीम आदि मिलाया गया हो। आजकल मॉइश्चराइजिंग सोप्स भी बहुत सारे उपलब्ध हैं।

खुश्बू

वैसे तो लिक्विड सोप और बार सोप दोनों में ही खुश्बू बढ़ाने वाले तत्व मिलाए जाते हैं। मगर कई बार कुछ लोगों को तेज खुश्बू से एलर्जी होती है। ऐसे लोगों के लिए बिना खुश्बू वाला लिक्विड सोप ढूंढना मुश्किल हो सकता है। जबकि बट्टी वाले साबुन में ऐसे विकल्प आसानी से मिल जाएंगे, जिसमें खुश्बू कम हो या बिल्कुल न हो।

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