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वायु प्रदूषण के कारण बढ़ती हैं सांस की बीमारियां, जानें संबंध और कारण

दिल्ली-नोएडा के ज्यादातर इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के ऊपर पहुंच चुका है, जिसके कारण सांस की बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है।
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वायु प्रदूषण के कारण बढ़ती हैं सांस की बीमारियां, जानें संबंध और कारण

अक्टूबर-नवंबर के महीने में एक तरफ जहां त्योहारों की रौनक होती है तो वहीं दूसरी तरफ दिल्ली-एनसीआर में सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। नवंबर की शुरुआत से ही दिल्ली, गुड़गांव, नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स AQI 450-470 पहुंच चुका है जो कि आने वाले समय में और बढ़ सकता है। ऐसे में घर के बाहर निकलने वाले लोगों को सांस लेने में तकलीफ का सामना भी करना पड़ रहा है। दरअसल, पंजाब और हरियाणा के आस-पास के गांवों में पराली जलाने का सीधा असर दिल्ली-एनसीआर के इलाकों पर पड़ता है, जिसके कारण लोगों को जहरीली हवा मिलती है। वायु प्रदूषण के कारण सांस की बीमारियां भी बढ़ने लगती हैं, इस लेख में हम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अछल्दा के सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर गौरव कुमार से जानेंगे कि वायु प्रदूषण के कारण सांस की बीमारियों (How Do Air Pollutants Cause Respiratory Diseases) का खतरा क्यों बढ़ जाता है?

वायु प्रदूषण और श्वसन रोगों के बीच संबंध - Link Between Air Pollution and Respiratory Diseases

सांस लेने के साथ शरीर में अंदर जाने वाले प्रदूषकों से बचाव में रेस्पिरेटरी सिस्टम (श्वसन प्रणाली) सबसे पहले आता है। जब हम प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं, तो हानिकारक कण और गैसें हमारे फेफड़ों में पहुंच जाती हैं जिससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। यहां जानिए वायु प्रदूषण से जुड़ी कुछ प्रमुख सांस की बीमारियां (Respiratory diseases linked to air pollution) के बारे में।

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दमा - Asthma

अस्थमा की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए वायु प्रदूषण अस्थमा ट्रिगर कर सकता है, जिससे स्थिति गंभीर हो सकती है। अस्थमा में वायुमार्ग (airway) में सूजन हो जाती है, जिससे खांसी के साथ सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण हो सकते हैं। लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से अस्थमा रोगियों को गंभीर समस्या हो सकती है। इसके अलावा वायु प्रदूषण के कारण बच्चों में अस्थमा विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है।

क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज - COPD

क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज फेफड़ों की बीमारी है जिसमें क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और वातस्फीति (एम्फसीमा) हो सकता है। वायु प्रदूषण में लंबे समय तक संपर्क में रहने से सीओपीडी के लक्षण खराब हो सकते हैं, जिससे मरीज को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। COPD की समस्या से जूझ रहे लोगों को वायु प्रदूषण में बाहर निकलने से बचना चाहिए।

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फेफड़ों का कैंसर - Lung Cancer

धूम्रपान करने से कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है लेकिन अगर आप वायु प्रदूषण के साथ खराब एयर क्वालिटी इंडेक्स AQI के इलाकों में रहते हैं तो इससे भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।  प्रदूषित हवा में पाए जाने वाले बेंजीन जैसे पदार्थ धूम्रपान न करने वालों में भी फेफड़ों के कैंसर में विकास कर सकते हैं।

रेस्पिरेटरी इंफेक्शन - Respiratory Infections

वायु प्रदूषण में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) जैसे गैसें होती हैं जो रेस्पिरेटरी सिस्टम के इम्यून डिफेंस को कमजोर बना देती हैं, जिसके कारण निमोनिया और ब्रोंकाइटिस जैसे सांस से जुड़ी समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है।

 

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