वैरिकाज़ नसों और इनके लिए आधुनिक उपचार के बारे में जानें

ऐंठी हुई या बढ़ी हुई नसों को वैरिकाज़ नसें कहा जाता है। पैरों और टांगों में बनने वाली ये नसें आमतौर पर दर्द नहीं करती लेकिन कभी-कभी ये वैरिकाज़ नसें दर्द और परेशानी पैदा कर सकती हैं।

Rahul Sharma
Written by: Rahul SharmaUpdated at: May 19, 2015 11:00 IST
वैरिकाज़ नसों और इनके लिए आधुनिक उपचार के बारे में जानें

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वैरिकाज नसें दरअसल ऐंठी हुई या बढ़ी हुई नसों को कहा जाता है। कोई भी नस वैरिकाज बन सकती है, लेकिन यह सबसे ज्यादा आपके पैरों और टांगों में होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि लगातार खड़े रहने या चलने से निचले शरीर की नसों में दबाव बढ़ जाता है।


हालांकि कई लोगों के लिए, वैरिकाज नसें और स्पाइडर नसें परेशानी का कारण नहीं बनतीं, लेकिन कुछ अन्य लोगों में वैरिकाज़ नसें दर्द और परेशानी पैदा कर सकती हैं। कभी-कभी वैरिकाज नसें अधिक गंभीर समस्याओं को भी जन्म दे सकती हैं। वैरिकाज नसें संचार संबंधी अन्य समस्याओं के उच्च जोखिम का संकेत भी हो सकती हैं। इसके उपचार के रूप में स्वयं की देखभाल के उपाय या चिकित्सक द्वारा इन नसों को निकाला भी जा सकता है। स्पाइडर नसें भी कुछ इसी प्रकार की होती हैं।

 

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वैरिकाज नसों के लक्षण

वैरिकाज़ नसें आमतौर पर किसी प्रकार के दर्द का कारण नहीं बनतीं। इनके लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं-

 

  • गहरे बैंगनी या नीले रंग की नसें 
  • नसों मुड़ी हुई और उनमें उभार; अक्सर पैरों पर तार की तरह दिखाई देना



यदि ये दर्दनाक हों तो संकेत और लक्षण निम्न हो सकते हैं-

 

  • पैरों में खिंचाव या भारीपन लगना।
  • नसों में फड़फडाहट, मांसपेशियों में ऐंठन या जलन व पैर नीते की ओर सूजन।
  • लंबे समय के लिए खड़े होने के बाद या बैठे रहने पर दर्द का तेज होना।
  • एक या अधिक नसों के आसपास खुजली होना। 
  • टखने के पास की त्वचा पर अल्सर, जिसका मतलब होता है कि आपको गंभीर वाहिकाओं संबंधी रोग है, और तत्काल चिकित्सा मदद की जरूरत है।

 

 

वैरिकाज़ नसों के लिए उपचार

सौभाग्य से, इसके उपचार में आमतौर पर अस्पताल में रहने की जरूरत नहीं होती। इसका इलाज सामान्‍य ओपीडी में किया जा सकता है।

सेल्फ-केयर

स्वयं की देखभाल अर्थात सेल्फ-केयर, जैसे व्यायाम, वजन नियंत्रित रखना, तंग कपड़े न पहनना तथा लंबे समय तक खड़े रहने से बचने आदि से दर्द कम होता है और समस्या बढ़ती नहीं है। इससे वैरिकाज नसों को बढ़ने से भी रोका जा सकता है।

 

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कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स (Compression stockings)

किसी दूसरी चिकित्सा पद्धति‍ को अपनाने से पहले कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स अर्थात संपीड़न मोजे पहनने को कहा जाता है। कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स को पूरे दिन पहना जाता है। वे अपने पैरों को दबाकर रखते हैं और नसों और पैर की मांसपेशियों को और अधिक कुशलता से रक्तप्रवाह में मदद करते हैं। कम्प्रेशन की राशि और प्रकार ब्रांड के हिसाब से भिन्न होते हैं। लेकिन कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स को खरीदने से पहले सुनिश्चित कर लें कि वे आपको फिट आ रहे हों।
 

अधिक गंभीर वैरिकाज नसों के लिए अतिरिक्त उपचार

यदि सेल्फ-केयर और कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स से भी लाभ न हो और स्थिति गंभीर होती दिखाई देती हो तो डॉक्टर रोगी को इन वैरिकाज नस उपचार में से कोई एक या अधिक सुझा सकता है-

स्क्लेरोथेरपी (Sclerotherapy)

इस प्रक्रिया में, डॉक्टर छोटे और मध्यम आकार के वैरिकाज नसों को एक ऐसे सोल्युशन में डाल देता है जो इन्हें बंद कर देता हैं। कुछ ही हफ्तों में, इलाज वैरिकाज़ नसें धुंधली पड़ने लगती हैं। हालांकि कुछ नसों के साथ इस प्रक्रिया को दोहराने की जरूरत पड़ती है। स्क्लेरोथेरपी काफी प्रभावी उपयार है, यदि इसे ठीक प्रकार से किया जाए। स्क्लेरोथेरपी में एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं होती, और अपने चिकित्सक के कार्यालय में की जा सकती है।

लेजर सर्जरी

डॉक्टरों आज-कल छोटे वैरिकाज़ नसों और स्पाइडर नसों को बंद करने के लिए लेजर उपचार में नई तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। लेजर सर्जरी में नस पर प्रकाश की मजबूत किरण डाली जाती है, जो इन नसों के धीरे-धीरे धुंधला बनाकर गायब कर देती हैं। इसमें किसी प्रकार के चीरे या सुई का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

कैथेटर की मदद से

इसके उपचारों में से एक के रूप में डॉक्टर से एक बढ़ी नस में एक पतली ट्यूब (कैथेटर) डालता है और कैथेटर की नोक को तपता है। और जैसे ही कैथेटर को बाहर खींच लिया जाता है, गर्मी इन नसों को नष्ट कर देती है और प्रवेश द्वार को भी बंद कर देती है। यह प्रक्रिया आम तौर पर बड़े वैरिकाज़ नसों के लिए अमल में लाई जाती है।

वेन स्ट्रिप्पिंग

यह प्रक्रिया छोटे चीरों के माध्यम से एक लंबी नस को हटाने में उपयोग की जाती है। यह ज्यादातर लोगों के लिए एक आउट पेशेंट प्रक्रिया होती है। नस निकालने से पैर के रक्त परिसंचरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता, क्योंकि नस पैर में गुम जाती है औरखून की बड़ी मात्रा का ख्याल रखती है।



इसके अलावा एम्ब्युलेट्री फ्लेबेक्टोमी (Ambulatory phlebectomy) जिसमें डॉक्टर छोटे त्वचा पंचरों की एक श्रृंखला के माध्यम से छोटे वैरिकाज़ नसों को हटाता है। तथा इंडोस्कोपिक वेन सर्जरी, जो कि पैर में अल्सर होने पर की जाती है।

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