किसी भयानक दुर्घटना, यौन शोषण, खून-खराबे की घटना या किसी अपने से जुदाई के कारण लोग गहरे सदमे में आ जाते हैं। सदमा यदि गंभीर असर डाले तो इस स्थिति को पोस्ट ट्रोमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर सिंड्रोम (पाटीएसडी) कहते हैं। हालांकि सदमे के बाद यदि कुछ उपाय किये जाएं, तो इस समस्य से उबरकर सामान्य जीवन जिया जा सकता है।
इस्राइल स्थित तेल अवीव यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध में बताया गया कि कोई ऐसी घटना जिससे सदमा लगे, के तुरंत बाद सोना कतई नहीं चाहिए। ऐसी किसी घटना के तुरंत बाद सो जाने से बुरी यादें दिमाग में गहरी तरह बैठ जाती हैं। जो सालों तक नहीं जातीं और परेशान करती रहती हैं।
विशेषज्ञ बताते हैं कि किसी सदमे के कम से कम 6 घंटे तक सोना नहीं चाहिए। बल्कि सदमा देने वाली घटना के बाद परिवार के सदस्यों और दोस्तों आदि से अपनी भावनाएं साझा करनी चाहिए। ऐसे लोगों से बात करनी चाहिए जो पहले कभी भयानक दुर्घटनाओं का सामना किया हो।
एक शोध के अनुसार सकारात्मक और दयालु भावना रखने से पीटीएसडी के लक्षण कम हो जोते हैं। शोध में यह भी बताया गया कि खूब हंसने से भी किसी सदमे से उबरने में मदद मिलती है। फायरफाइटर्स पर इस प्रयोग से पीटीएसडी के लक्षणों में कमी देखी गयी।
एक लेख के अनुसार ओमेगा-3 का प्रचुर मात्रा में लेने से किसा सदमें से बाहर आने में मदद मिलती है। एक शोध में देखा गया कि तनाव भी सदमा होने का कारण बन सकता है।
यह जानकारियां ब्रिटिश जर्नल ऑफ साइक्लॉजी, जर्नल ऑफ ट्रॉमैटिक स्ट्रेस, जर्नल ऑफ ऑर्गेनाइजेशन बिहेवियर, बॉयोलॉजिकल साइकाइट्री और द जर्नल ऑफ क्लीनिकल एंडोक्रीनोलॉजी एंड मैटाबोलिज्म में छपे शोधों के बिनाह पर दी गयीं हैं।
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