बैठे-बैठे टाइम खराब करने की आदत कहीं कोई बीमारी तो नहीं? जानें ऐसी 3 बीमारियां और उनके लक्षण

अगर आप वक्त बर्बाद कर रहे हैं तो यह बस एक आदत नहीं हो सकती बल्कि आप किसी बीमारी के शिकार भी हो सकते हैं। आपको तनाव सहित कुछ गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।  
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बैठे-बैठे टाइम खराब करने की आदत कहीं कोई बीमारी तो नहीं? जानें ऐसी 3 बीमारियां और उनके लक्षण

क्या आप कभी डॉक्ट के पास इस परेशानी को लेकर गए हैं कि आप जरूरत से ज्यादा वक्त बर्बाद करते हैं, क्यों? हम में से कोई भी डॉक्टर के पास इस तरह की परेशानी के लिए तो बिलकुल ही नहीं गया होगा। क्योंकि वक्त बर्बाद करने को हम एक आदत समझते हैं। हमें लगता है कि अगर हम वक्त बर्बाद कर रहे हैं, तो हम कोई बेवकूफ इंसान हैं या हमारा किसी काम में मन नहीं लगता। पर ऐसा कुछ भी नहीं है। अगर हम वक्त बर्बाद कर रहे हैं तो हो सकता है कि हमें सच में कोई परेशानी हो। हम मानसिक तरह से परेशान हों या कोई और शारीरिक परेशानी भी हो सकती है। ऐसे में बेहद जरूरी है कि हम उन कारणों का पता लगाएं, जिसके कारण हमें वक्त बीताने या किसी भी काम को वक्त पर न करने में असमर्थता महसूस हो रही हो। आइए हम आपको बताते हैं कि क्यों आप यूं ही वक्त बर्बाद करते हैं।

तनाव (Stress)

जब आप किसी ऐसी चीज़ का सामना कर रहे हैं जो आप नहीं करना चाहते हैं, तो यह आपको तनावग्रस्त महसूस करवा सकता है। इस तरह ऐसे काम में वक्त बर्बाद कर के एक अल्पकालिक राहत पाने का एक तरीका ढ़ूढ लेते हैं।  आपको भविष्य में अपने कार्य से निपटना के लिए इसका कुछ इलाज ढ़ूढना होगा। क्योंकि ऐसे में इसका सबसे नकारात्मक पक्ष यह है कि आगे चलकर आप खुद को इस कारण दोषी या क्रोधित महसूस कर सकते हैं। यदि तनाव की स्थिति में आप वक्त बर्बाद कर रहें हैं, तो आप यह देख सकते हैं कि आपको ऐसी परेशानियां लगातार हो रही होगीं जैसे-

  • दिमाग में लगातार चलते हुए विचार 
  • ऊर्जा की कमी 
  • ध्यान केंद्रित करने में परेशानी 
  • सिरदर्द या मांसपेशियों में तनाव 

सुझाव- 

इसे ठीक करने के लिए नियमित व्यायाम करें, शराब और कैफीन की मात्रा को सीमित करें (जो तनाव को बदतर बना सकते हैं), और पर्याप्त नींद लें। साथ ही अपने मन के बारे में किसी मित्र या परामर्शदाता से भी बात करें।

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एडीएचडी (Attention Deficit Hyperactivity Disorder)

ध्यान में कमी सक्रियता विकार व्यवहार को प्रभावित करता है। ऐसे लोग जिन्हें एडीएचडी हुआ हो, उन्हें अक्सर निर्णय लेने में परेशानी होती है या वह समय सीमा से पहले कार्य पूरा नहीं कर पाते। ऐसे लोग अपने आसपास की अन्य गतिविधियों से भी विचलित हो जाते हैं। उनके लिए आगे की योजना बनाना कठिन लगता है, या वे आसानी से निराश हो जाते हैं और हार मान लेते हैं। एडीएचडी के अन्य लक्षणों में शामिल हैं: 

  • दिन में सपने देख
  • भूल जाना या चीजों को खो देना
  • लापरवाह गलतियाँ करना या असुरक्षित जोखिम उठाना
  • फुसफुसाहट या फिजूलखर्ची

सुझाव-

दवाएं अक्सर विकार के कई लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं। संज्ञानात्मक-व्यवहार चिकित्सा इसका एक उपाय हो सकता है, जो नकारात्मक विचार पैटर्न को पहचानने और बदलने में मदद करती है, साथ ही कई लोगों को अपने समय का बेहतर प्रबंधन करने में मदद कर सकती है। 

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हर चीज को लेकर गलत सोचना (Obsessive-Compulsive Disorder)

यह एक तरह की फीलिंग है कि कुछ गलत हो रहा है या मैं कुछ सही नहीं कर सकता। तो जब आप कुछ सही कर रहे होते हैं तो आपका दिमाग कह रहा होता है कि आपके काम “ठीक ही नहीं हैं।” इसे और ठीक से करना होगा इत्यादि। ऐसे लोग किसी भी काम को करते करते संपूर्ण समाधान की तलाश में फंस जाते हैं और फिर वक्त बर्बाद करते हैं।

लक्षण

  • बहुत सारे अवांछित विचारों का मन में आना
  • विचारों को रोकने में असहाय महसूस करना
  • हाथ धोने जैसी चीजों को बार-बार करना
  • इन विचारों और चीजों पर दिन में कम से कम 1 घंटा खर्च करना 

सुझाव-

डिप्रेशन की दवाइयां भी अक्सर ओसीडी के लक्षणों में सुधार कर सकता है। कई लोग संज्ञानात्मक-व्यवहार थेरेपी या एक्सपोज़र थेरेपी का भी उपयोग करते हैं, जिसमें वे धीरे-धीरे अपने डर का सामना करना सीखते हैं।

Written by Pallavi Kumari

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