
अक्सर माता-पिता अपने बच्चों की तारीफ करते नहीं थकते क्योंकि उन्हें लगता है कि ऐसा करने से बच्चों को और बेहतर करने की प्रेरणा मिलेगी । लेकिन एक नए अध्ययन में सामने आया है कि बच्चों को बार-बार स्मार्ट कहकर उनकी तारीफ करने से वास्तव में उनकी परेशानी बढ़ सकती है। इस नए अध्ययन में पाया गया कि जब आपका बच्चा क्लास में ए ग्रेड लाता है या आपके लिए कोई पोयम गाता है तो आप जरूर उसकी तारीफ करते हुए ये कहते होंगे कि 'मेरा बच्चा कितना स्मार्ट है'। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी ये तारीफ उल्टी पड़ सकती है।
बच्चे की तारीफ बार-बार न करें
अध्ययन के मुताबिक, वे बच्चे जो ये सोचते हैं कि वह बहुत ज्यादा तेज या बुद्धिमान हैं उनके गलतियां करने की संभावना बहुत ज्यादा होती है, विशेषकर उन बच्चों की तुलना में जो ये सोचते हैं कि उम्र के साथ उनकी बुद्धि और व्यवहार में बदलाव आएगा।
बच्चों को और बेहतर करना सिखाएं
बच्चों से यह कहना कि वे बहुत स्मार्ट हैं यह इस विचार को समर्थन करता है कि बुद्धिमानी उन्हें उपहार में मिली है न कि ये कोई स्किल है, जिसे और बेहतर बनाया जा सकता है। जर्नल डेवलपमेंटल कॉग्निटिव न्यूरोसाइंस में प्रकाशित इस अध्ययन में मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने सात साल की उम्र के 123 बच्चों की आदतों व उनकी बुद्धिमानी को जांचा। शोधकर्ताओं की टीम ने छात्रों की मनोदशा जानने की कोशिश की क्या उनकी मानसिकता विकास (वे बच्चे, जो यह मानते हैं कि वह अगर मेहनत करेंगे तो स्मार्ट बनेंगे) वाली है या फिर एक तय मानसिकता (वे बच्चे, जो ये मानते हैं कि उनकी बुद्धिमानी कभी बदलेगी नहीं ) है।
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टास्क देकर लगाया गया पता
इन बच्चों को एक कंप्यूटर एक्यूरेसी टास्क पूरा करने को कहा गया और उनके मस्तिष्क गतिविधियों को रिकॉर्ड किया गया। कंप्यूटर पर एक प्रकार का गेम खिलाया गया, जिसमें स्पेसबार दबाकर स्क्रीन पर दिखने वाले जानवरों को पकड़ने के लिए जूकीपर की मदद करनी थी। साथ ही तीन वरमानुष दोस्तों के एक समूह से बचना भी था।
इस मस्तिष्क गतिविधि में ये पाया गया कि गलती करने के आधे सेकेंड के भीतर मस्तिष्क गतिविधि बढ़ती है। ऐसा इसलिए होता है कि बच्चे अपनी गलती से जागरूक होते हैं और क्या गलत हुआ इस पर अधिक ध्यान देते हैं। जितनी जल्दी मस्तिष्क जवाब देता है बच्चे उतनी ही जल्दी गलती पर ध्यान देते हैं।
शोधकर्ताओं ने क्या कहा
शोधकर्ताओं ने अध्ययन के निष्कर्ष में कहा कि वे बच्चे, जिनकी मानसिकता विकास वाली है उनका मस्तिष्क गलती करने के बाद तेजी से रिस्पॉन्स करता है और वे अपने टास्क पर अधिक ध्यान देते हुए अपने प्रदर्शन में सुधार करते हैं। वहीं दूसरी तरफ एक तय मानसिकता वाले बच्चे ये मानने को स्वीकार ही नहीं करते कि उन्होंने कोई गलती की है। इस अध्ययन का मुख्य उद्देशय यह है कि हम बच्चों की गलतियों पर बारीकी से नजर रखें और उन्हें कुछ नया सीखने के अवसर प्रदान करें।
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क्या कहें बच्चों से
इसके साथ ही ऐसी तारीफ न करें, जिससे ये झलके कि आपका बच्चा बहुत स्मार्ट है। 'तुम बहुत समझदार या स्मार्ट हो' कहने के बजाए आप यह कह सकते हैं कि 'तुमने बहुत पढ़ाई की थी और ये इसी का नतीजा है।'
इसके अलावा उनकी गलतियों पर ध्यान केंद्रित करें और अपने बच्चे के साथ मिलकर उन पर काम कर उन्हें सुधारने की कोशिश करें। कई माता-पिता और शिक्षक बच्चे की गलती को दूर करने से कतराते हैं, उन्हें बताते हैं कि "यह ठीक है, आप इसे अगली बार कर लेना।" ऐसा करने से उन्हें यह पता लगाने का अवसर नहीं मिला कि क्या गलत हुआ।
इसके बजाय, आप अपने बच्चे को ये बता सकते हैं कि गलतियां होती हैं और अगली बार से ध्यान रखें। आप गलती का पता लगाएं दोबारा ऐसा न करें।
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