
सपने बच्चों को एक अलग ही दुनिया में ले जाते हैं। अमूमन हर छोटा बच्चा सोते समय कुछ सपने देखता है। कभी सुखद तो कभी बेहद डरावने। सुबह उठने के बाद अक्सर वह बहुत से सपने भूल भी जाता है। अगर सपना डराने वाला हो तो वह बच्चे को सुबह उठने के बाद भी परेशान क
क्या आपका बच्चा रात में बिस्तर पर जाने से घबराता है? क्या वह रात में बाहर या फिर बाथरूम जाने के लिए आपसे चलने के लिए कहता है? क्या वह कमरे की लाइट बंद करने से बैचेन होता है? अगर यह सच है तो हो सकता है कि बच्चे को रात में बुरे सपने परेशान करते हों। अक्सर बच्चे रात में बुरे सपने देखते हैं ओर उससे इतना डर जाते हैं कि किसी को सही से बता भी नहीं पाते। लेकिन इससे उनकी नींद पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और वह अक्सर घबराए रहते हैं। ऐसे में माता-पिता को जरूरत होती है कि वह बच्चे के मन से न सिर्फ डर को बाहर करें, बल्कि उन भयावह सपनों पर भी नियंत्रण लगाएं।
सपने बच्चों को एक अलग ही दुनिया में ले जाते हैं। अमूमन हर छोटा बच्चा सोते समय कुछ सपने देखता है। कभी सुखद तो कभी बेहद डरावने। सुबह उठने के बाद अक्सर वह बहुत से सपने भूल भी जाता है। अगर सपना डराने वाला हो तो वह बच्चे को सुबह उठने के बाद भी परेशान करता है। छोटे बच्चों का अंधेरे से डरना या भयावह सपने आना सामान्य है और इन्हें पूरी तरह नहीं रोका जा सकता। लेकिन माता-पिता कुछ बातों का ध्यान रखकर इन सपनों पर काफी हद तक लगाम लगा सकते हैं-
जब आए बुरे सपने
जब भी बच्चे को बुरा सपना आता है तो माता-पिता को उन्हें यह विश्वास दिलाना चाहिए कि वे वहीं हैं और जो भी उन्होंने देखा, वह काल्पनिक है। साथ ही बच्चे को शांत करने का प्रयास करें। जिससे वह दोबारा शांतचित्त से सो सकें। इसके अतिरिक्त अभिभावक बच्चों के डरावने सपनों के पीछे के ट्रिगर की पहचान करने की कोशिश करें और जब आप उन ट्रिगर की पहचान कर लें, तो उन्हें बच्चों से दूर कर दें।
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सुनें बच्चों को
चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट डॉ. रेनु गोयल कहती हैं कि बच्चों के डरावने सपनों के पीछे की वजह कहीं न कहीं उनके मन में छिपा डर होता है और उनके मन से डर निकालने के लिए जरूरी है कि उन्हें धैर्यपूर्वक सुना जाए। अमूमन दिनभर में बच्चों के साथ कई तरह की एक्टिविटी होती हैं, जो रात में सपने के रूप में सामने आती हैं। जब कभी बच्चे कोई बुरा अनुभव करते हैं या फिर वह किसी बात को लेकर दबाव में होते हैं, तो वही एक भयावह सपने में तब्दील हो जाता है।
बच्चों को डरावने सपने आने के पीछे का एक मुख्य कारण यही है कि जब बच्चे अपनी बात माता-पिता से शेयर करना चाहते हैं तो अभिभावकों के पास वक्त नहीं होता। वे 'अच्छा ठीक है' या 'कुछ नहीं होता' जैसे जुमलों का प्रयोग करते हैं, जिससे बच्चों की समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती हैं और वह परेशान रहते हैं, जिससे रात में उन्हें डरावने सपने आते हैं। कुछ स्थितियों में तो माता-पिता ही कई तरह की प्रतिस्पर्धा और उनमें अच्छा परफॉर्म करने के लिए बच्चों पर दबाव बनाते हैं, जिससे उनके मन में एक डर समा जाता है जो बुरे सपने के रूप में रात में उजागर होता है।
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रखें नजर
बच्चों को बुरे सपनों से बचाने का एक तरीका यह भी है कि उनकी एक्टिविटी पर नजर रखी जाए। अगर आपको यह पता है कि बच्चों को रात में डरावने सपने आते हैं तो उन्हें डरावनी किताबें, सीरियल्स या वीडियोज देखने से रोकें। ऐसी चीजें पढ़ते व देखते समय वह तस्वीर उनके मन में अपनी छाप छोड़ती है और वह रात में भी उन्हीं तस्वीरों को अपने सपनों में देखते हैं। अगर बच्चा ऐसा कुछ देख रहा है तो उसे यह समझाएं कि यह काल्पनिक है और इसका वास्तविकता से कुछ लेना देना नहीं है।
स्लीप हाइजीन का ध्यान
यह सच है कि भयावह सपनों को आने से पूरी तरह नहीं रोका जा सकता। लेकिन अगर अच्छी स्लीपिंग हैबिट्स या फिर स्लीप हाइजीन का ध्यान रखा जाए, तो उन पर काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकता है। इसलिए आप रात को सोने और सुबह उठने का एक समय सुनिश्चित करें। रात को सोते समय बच्चे को अच्छी कहानियां सुनाएं ताकि उनके सपनों में वही आए। इसके अतिरिक्त आप बच्चे को अधिक कंफर्टेबल करने के लिए उसके बेड पर उसके पसंदीदा खिलौना रख सकते हैं।
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