वायरस भले ही बहुत छोटे रोगाणु होते हैं। लेकिन यह वायरस कोशिकाओं पर हमला करके व्यक्ति को बेहद गंभीर रूप से बीमार बना सकते हैं। कई तरह के वायरस शरीर की कुछ कोशिकाओं जैसे आपके लिवर, श्वसन प्रणाली या रक्त में हमला करते हैं। कई बार तो इनके कारण व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। वायरल संक्रमण होने पर एंटीबायोटिक्स काम नहीं करते हैं। इसके लिए वायरस को पहचानकर उसके अनुरूप टीकाकरण करने की आवश्यकता पड़ती है। तो चलिए जानते हैं ऐसे ही कुछ घातक वायरस के बारे में-
जीका वायरस
नोएडा के जेपी हॉस्पिटल की सीनियर माइक्रोबॉयोलाजी कंसल्टेट डॉ. सूर्यसनाता दास के अुनसार, जीका वायरस मच्छर के काटने पर फैलता है। यह एक प्रकार का एडीज मच्छर है, जो दिन में सक्रिय रहते हैं। जब यह मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो उसके खून के वायरस को दूसरे व्यक्ति को काटकर उस तक तक फैलाता है। इस वायरस से संक्रमित होने पर व्यक्ति को बुखार, जोड़ों व मसल्स में दर्द, स्किन रैशेज, लाल आंखे व सिरदर्द जैसे लक्षण नजर आते हैं। इसके लक्षण 2 से 7 दिन तक नजर आते हैं। इस वायरस की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अगर यह वायरस किसी गर्भवती स्त्री को अपना शिकार बना ले तो बच्चा कई दोषों के साथ जन्म लेता है।
वहीं अगर व्यस्क की बात हो तो उनमें जीका वायरस से गुलेन बारे सिंडोम भी हो सकता है, जिसके कारण व्यक्ति को न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो सकती है। चूंकि जीका वायरस का अभी तक कोई टीका नहीं है, इसलिए जहां तक संभव हो, इससे बचने का प्रयास करें। मसलन, घर में मच्छरदानी या मच्छर मारने वाली चीजों का प्रयोग, पानी को एक जगह इकट्ठा न होने देना, आस-पास की साफ-सफाई पर अतिरिक्त ध्यान, मच्छर वाले एरिया में पूरे कपड़े पहनना और खून को जांचे बिना शरीर में ना चढ़वाना जैसे एहतियात अवश्य बरतें। वैसे संक्रमित व्यक्ति को राहत देने के लिए पैरासिटामॉल दी जा सकती है।
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निपाह वायरस
पिछले साल निपाह वायरस ने केरल में काफी तबाही मचाई थी। यह एक ऐसा वायरस है, जो संक्रमित चमगादड़ों, संक्रमित सुअर या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। यह वायरस जानवरों और इंसानों दोनों के लिए ही जानलेवा साबित हो सकता है। वैसे भारत से पहले इस वायरस की पहचान मलेशिया, सिंगापुर व बांग्लादेश जैसे देशों में भी की जा चुकी है।
निपाह वायरस के लक्षण दिमागी बुखार की तरह ही हैं। इस वायरस की चपेट में आने के बाद व्यक्ति को शुरुआत में सांस लेने में दिक्कत, भयानक सिर दर्द और फिर बुखार होता है। इसके बाद दिमागी बुखार आता है। इस वायरस के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बन पाया है। इस वायरस की चपेट में आने के बाद संक्रमित व्यक्ति को डॉक्टरों की कड़ी निगरानी में रखा जाता है।
इबोला वायरस
अगर डब्लूएचओ की मानें तो इबोला वायरस दुनिया की सबसे गंभीर और घातक बीमारियों में से एक है। जब व्यक्ति इससे संक्रमित हो जाता है तो उसका बचना लगभग नामुमकिन हो जाता है। भारत से पहले भी दुनिया के विभिन्न देशों में इसका प्रकोप देखा जा चुका है। इस वायरस का मुख्य स्त्रोत फ्रुट बैट अर्थात एक प्रकार के चमगादड़ को माना गया है। इस वायरस के संपर्क में आने पर 20 दिनों के भीतर ही यह पूरे शरीर में फैल जाता है। वहीं एक संक्रमित व्यक्ति से पसीने, लार, खून यहां तक कि उसकी सांस से भी एक स्वस्थ्य व्यक्ति संक्रमित हो सकता है।
वहीं संक्रमित व्यक्ति के ठीक होने के बावजूद संभोग की स्थिति में वीर्य के माध्यम से वायरस फैल सकता है। चूंकि भारत की आबादी काफी अधिक है और यह बीमारी छूने या पसीने से भी फैलती है, इसलिए भारत में यह काफी खतरनाक रूप ले सकता है। इस वायरस की शुरूआत में, बुखार आना, कमजोरी महसूस होना, सिर व मांसपेशियों में दर्द होता है। जैसे-जैसे यह वायरस बढ़ता है तो व्यक्ति को दस्त, उल्टी, लाल चकत्ते, लीवर व गुर्दे खराब होना, प्लेटलेट की संख्या में कमी, बाल झड़ना, आंखों का लान होना या उससे पानी आना जैसी समस्याएं होती है।
कुछ स्थिति में व्यक्ति को रक्तस्त्राव भी होता है। इस वायरस के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बन पाई हैं, हालांकि कुछ टीकों का परीक्षण हुआ है पर अभी तक वह प्रयोग में नहीं लाए गए हैं। ऐसे में इस वायरस से बचाव व सतर्कता ही एक बेहतरीन उपचार है। हालांकि कुछ हद तक ओरल रिहाइडेशन थेरेपी का इस्तेमाल करके संक्रमित व्यक्ति को राहत प्रदान की जाती है।
मारबर्ग
मारबर्ग वायरस काफी हद तक इबोला की तरह ही है। सबसे पहले यह पशुओं से व्यक्ति में होता है। इसके बाद संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति तक यह वायरस फैल सकता है। मारबर्ग वायरस से संक्रमित व्यक्ति को बुखार, ठंड लगना, व सिरदर्द होता है। करीबन पांच दिन बाद व्यक्ति को मतली, उल्टी, सीने में दर्द, गले में खराश, पेट में दर्द व दस्त की समस्या भी हो सकती है।
इससे संक्रमित होने पर व्यक्ति का शरीर इबोला की तरह ही अकड़ने लगता है और इससे व्यक्ति के शरीर से रक्तस्त्राव भी होता है। इस वायरस की चपेट में आने पर लक्षण तेजी से गंभीर होते चले जाते हैं। जिसमें पीलिया, अग्नाश्य की सूजन, गंभीर रूप से वजन घटना, लिवर फेलियर, बड़े पैमाने पर रक्तस्त्राव व शरीर के कई अंगों का काम न करना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसकी मृत्यु दर 90 फीसदी है।
एच1एन1 वायरस
एच1एन1 वायरस के कारण जब व्यक्ति को स्वाइन फ्लू होता है तो उसे बुखार आना, जुकाम, हाथ-पैरों में दर्द, सांस लेने में दिक्कत आदि परेशानी होती है। यह वायरस सूअरों के श्वसन तंत्र को संक्रमित करता है। इसके बाद यह वायरस मनुष्य में फैलता है। स्वाइन फ्लू का वायरस लगभग छह फुट की दूरी से भी अन्य व्यक्तियों में फैल सकता है। जब स्वाइन फ्लू के वायरस से संक्रमित व्यक्ति खाँसता या छींकता हैं तो उसके मुंह से निकलने वाली बूंदें अन्य व्यक्ति तक पहुंचती हैं, और वह व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है।
वैसे इस वायरस की जद में अधिकतर वह लोग आते हैं, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इस वायरस की रोकथाम के लिए जरूरी है कि स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाए। जैसे हाथों को बार-बार धोना, सार्वजनिक जगहों पर जाते समय खुद को कवर करना आदि। वैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, यह वायरस अन्य मौसमी इन्फ्लूएंजा स्ट्रेन की तरह ही है, अर्थात् यह वायरस अन्य मौसमी फ्लू वायरसों से अलग नहीं है।
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