
भारत में महिलाओं के लिए फिटनेस उतना महत्व नहीं रखती जितना की उसका महत्व होना चाहिए। आपने अक्सर गौर किया होगा कि आपके आस-पास मौजूद ऐसी कई महिलाएं होंगी, जो बच्चे होने के बाद मोटी हो जाती है या उनका वजन जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है। हां बॉलीवुड जगत की अभिनेत्रियों को इस सूची से बाहर निकाल दें क्योंकि यहां बात आम महिलाओं की है, जहां उन्हें घर से बाहर निकलने तक के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इस चुनौती भरे माहौल में हालांकि कुछ महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने इस बाधा को पार किया है और फिटनेस के क्षेत्र में अपना नाम बनाया है। इन्हीं में से एक हैं 45 साल की किरण देंबला, जो भारत की जानी-मानी महिला बॉडी बिल्डर हैं। 30 की उम्र में अपनी जीवन में बुरी तरह से फंसी किरण ने न केवल भारत में बल्कि दुनिया में नाम कमाया है। आज किरण न सिर्फ देश की सफल महिला बॉडी बिल्डर हैं बल्कि कई फिल्मी सितारों को बॉडी बिल्डिंग के टिप्स भी दे रही हैं।
किरण देंबला एक फिटनेस मशीन, एक बॉडी बिल्डर और सिलेब्रटी जिम ट्रेनर हैं लेकिन हैदराबाद की हॉटेस्ट फिटनेस गुरु बनने से पहले किरण की दुनिया 2006 में उजड़ गई थी। उनके मस्तिष्क में खून के थक्के का पता चला था। एक नौजवान मां और गृहिणी के रूप में देंबला ने खुद को छोटी से दुनिया में घिरा पाया।
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उनका कहना है कि एक औरत इतनी डिपेंडेंट हो जाती है, खासकर वे जो गृहिणी होती है अपने पति पर बहुत ज्यादा डिपेंडेंट हो जाती है। ये नेचुरल है हर भारतीय महिला के लिए ये बहुत प्राकृतिक हैं। ज्यादातर भारतीय गृहिणियां अपने हर छोटे-बड़े काम के लिए अपने पति पर निर्भर हो जाती हैं। पुराने जमाने में तो ऐसा ही होता था। और ये सोच मुझे हमेशा से खाती रहती थी।
तनाव और जरूरत से ज्यादा सोचना आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है और मेरे स्वास्थ्य के साथ भी ऐसा हो चुका है। इन सब परेशानियों के साथ मेरी जिंदगी बिल्कुल तबाह हो चुकी थी। मैं मानसिक रूप से बहुत ज्यादा प्रभावित हुई थी। इसके अलावा मैं शारीरिक रूप से भी बहुत ज्यादा प्रभावित हुई, जिस कारण मुझे इलाज भी करवाना पड़ा।
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किरण ने खुद को सांत्वना देने के लिए संगीत सीखा और क्लासिकल गाना गाने लगीं। उन्होंने 10 साल बाद अपनी मां से अपनी किताबें मंगवाई। मुझे पता था कि बहुत लंबा वक्त बीत गया है और शास्त्रीय संगीत न जाने कहां पहुंच गया है लेकिन फिर भी मैंने प्रयास करना नहीं छोड़ा। मैंने हार्मोनियम लिया, तबला लिया और बच्चों को शास्त्रीय संगीत सिखाना शुरू किया। ऐसा करने से मेरा मन लगने लगा।
धीरे-धीरे किरण अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलना शुरू हो गईं। उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे हम घर से बाहर निकलना शुरू करते हैं तो ये हमारी आदत बन जाती है। और मैंने भी ऐसा ही किया। मैंने योग के लिए घर से बाहर निकलना शुरू किया और उसके बाद मैं स्वीमिंग करने लगी।
उन्होंने बताया कि शादीशुदा महिलाओं के लिए पहली बात तो घर से बाहर क्या दरवाजे से बाहर निकलना ही एक बड़ी बात हो जाती है। वे ज्यादातर घर में ही रहती हैं ।
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किरण रोजाना सुबह 5 जिम जाती हैं और अपने छोटे बच्चे को खाना खिलाने के लिए जल्दी ही घर लौट आती हैं। उन्होंने बताया कि मैंने फिर घर से बाहर निकलना सीखा। उसी दौरान क्या हुआ कि धीरे-धीरे मुझे जिम का नशा होने लगा। ये बिल्कुल ड्रग की तरह था, जो एक बार चढ़ जाए तो छूटने का नाम नहीं लेता।
किरण ने कहा कि जब मैं एक्सरसाइज करने जाया करती थी तो खुद को शीशा में देखा करती थी बहुत ज्यादा अच्छा लगता था। लगता था कि क्या ये मैं ही हूं।
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किरण ने उसके बाद अपनी जिम खोला और उसके बाद उन्होंने अपना जो बॉडी ट्रांसफोर्मेशन किया है वो किसी तारीफ से कम नहीं है। और उनके इस बॉडी ट्रांसफोर्मेशन ने तेलुगू फिल्म जगत का ध्यान अपनी ओर खींचा । उनके द्वारा फिटनेस का गुण सीखने वाले अभिनेताओं में दक्षिण भारत के सुपरस्टार रामचरण, अभिनेत्री उपासना, तमन्ना भाटिया, एस.एस. राजमौली, अनुष्का शेट्टी, प्रभास, प्रकाश राज, सूर्या शामिल हैं।
उनका कहना है कि एक वक्त तक भारत में महिला का जिम ट्रेनर होना एक बहुत बड़ा गुनाह हुआ करता था। एक ट्रेनर ने 2007 या 2008 में मुझसे कहा था कि महिला बॉडी बिल्डर या ट्रेनर की कोई ज्यादा औकात नहीं होती है। लेकिन जीवन में मेरा विजन बिल्कुल स्पष्ट है कि मुझे क्या करना है। जो होगा देखा जाएगा। मुझे अपने काम पर पूरा विश्वास है।
37 की उम्र में किरण ने एक और चैलेंज लिया। उन्होंने बॉडी बिल्डिंग शुरू की। 2013 में उन्होंने विश्व बॉडी बिल्डिंग चैंपयिनशिप में हिस्सा लेने की आशा जताई लेकिन उनके परिवार की अपनी सीमाएं थी। उन्होंने बताया कि मैं एक बहु थी, एक मां थी, जिसके लिए बिकनी पहनना एक चुनौती भरा काम था। मैंने अपने पति से कहा कि मुझे इस चैंपियनशिप में हिस्सा लेना है लेकिन उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि मेरे पति ने मुझे साफतौर पर चैंपियनशिप में हिस्सा लेने से मना कर दिया था।
उन्होंने बताया कि उस वक्त मैं थोड़ा जिद्दी हो गई थी। मैंने उनसे कहा कि मैं इस चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के लिए जा रही हूं। ये पहला वक्त था जब मैंने अपनी जुबां खोली थी। मैंने उनसे कहा कि ये तो मुझे करना है। किरण ने बुडापेस्ट में हुए सम्मेलन में हिस्सा लिया और इवेंट में छठें स्थान पर रहीं। फिटनेस ने किरण को मुश्किल वक्त से निकालने में मदद की और वह आज भी सीमाओं को तोड़ने में लगी हुई हैं।
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