आपने बहुत सी ऐसी असल कहानियां सुनी होगी, जिसमें आम लोग कई सामाजिक चुनौतियों से उबरकर दूसरों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनते हैं। कहानियों से अलग, हमारे आसपास भी ऐसे बहुत सारे लोग होते हैं, लेकिन कई बार उनकी चुनौतियां और मेहनत हम तक नहीं पहुंचती, जिसके कारण उन्हें पहचान नहीं मिल पाती है। आज World Vitiligo Day (वर्ल्ड विटिलिगो डे) के मौके पर हम आपको बता रहे हैं एक ऐसे बॉडी बिल्डर की कहानी जिसने शरीर में सफेद दाग होने के बाद कई चुनौतियों का सामना किया फिर भी रुकने के बजाय लड़ना सीखा और आज दुनिया उन्हें 'देसी अर्नोल्ड' के नाम से बुलाती है।
दरअसल विटिलिगो यानी सफेद दाग वैसे तो एक प्रकार की शारीरिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति की त्वचा पर सफेद धब्बे हो जाते हैं या कई बार बढ़ जाने पर शरीर का बड़ा हिस्सा सफेद हो जाता है। सफेद दाग कोई गंभीर या जानलेवा समस्या नहीं है और न ही ये छूने से फैलती है, लेकिन अक्सर समाज में कुछ लोग ऐसे लोगों को खुद से अलग मानते हैं, जिन्हें सफेद दाग हो और कई बार तो उन्हें छूने-बात करने से भी घबराते हैं। ऐसे में गाजियाबाद के शालीमार गार्डन के रहने वाले 30 वर्षीय सिद्धार्थ श्रेष्ठ की ये कहानी वाकई प्रेरणादायक है। दरअसल सिद्धार्थ को टीनएज से ही बॉडी बिल्डिंग का शौक था और वो रेगुलर एक्सरसाइज करते थे। लेकिन 20 साल की उम्र में उनके चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सो में सफेद दाग दिखना शुरू हुए। इसके बाद सिद्धार्थ को शर्ट उतारकर एक्सरसाइज करने में शर्म आती थी और उन्हें यह भी महसूस होता था कि वो किसी को अपनी बॉडी कैसे दिखा सकते हैं। लेकिन इन सबके बाद भी सिद्धार्थ खुद के मन में उठ रहे इन विचारों से लड़े और आगे बढ़े। पढ़ें उनके बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन की सच्ची कहानी।
19 साल की उम्र में जिम जाना किया शुरू
फिटनेस के प्रति बचपन से ही जज्बा रखने वाले सिद्धार्थ श्रेष्ठ शेफ के रूप में शुशी-जापानी भोजन बनाने में विशेषज्ञ हैं। सिद्धार्थ का कहना है कि फिटनेस के प्रति उनके मन में हमेशा से एक ललक रही है। उन्होंने ओन्लीमाईहेल्थ से बातचीत में बताया कि बचपन में उनकी बॉडी भी दूसरे लोगों की तरह बिल्कुल साफ थी। उन्होंने 19 साल की उम्र में जिम जाना शुरू किया और बॉडी बनाने में जुट गए। जिम में अर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर के ब्लैक एंड व्हाइट पोस्टर को देखकर प्रभावित होने वाले सिद्धार्थ ने उनके जैसी बॉडी बनाने की ठानी लेकिन 20 साल की उम्र में उनके चेहरे व शरीर पर सफेद दाग-धब्बे आने लगे। इन सफेद धब्बों के कारण उन्हें जिम में शर्ट उतारने में शर्म आने लगी क्योंकि जिम में दूसरे लोग, जिस तरह कपड़े उतारकर एक्सरसाइज किया करते थे, सिद्धार्थ वैसा नहीं कर पा रहे थे। लेकिन जैसे-जैसे सिद्धार्थ का बॉडी ट्रांसफोर्मेशन हुआ उन्होंने अपनी बॉडी दिखाना शुरू कर दिया।
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लोग बुलाते हैं 'देसी अर्नोल्ड'
सिद्धार्थ का कहना है कि जब उन्होंने जिम जाना शुरू किया था तब उनकी 19 साल थी और उनका वजन 60 किलोग्राम था। सिद्धार्थ अब 30 साल के हैं और जिम में उन्हें उनके साथ 'देसी अर्नोल्ड' बुलाते हैं। दरअसल सिद्धार्थ की शक्ल कुछ-कुछ अर्नोल्ड से मिलती है और उनकी कद-काठी भी अर्नोल्ड जैसी ही है, इसलिए जिम में उनके साथी उन्हें इस नाम से बुलाते हैं।
कहां से मिलता है जुनून
फिटनेस के प्रति जुनून कहां से मिलता है के सवाल पर सिद्धार्थ ने बताया कि उनमें फिटनेस का जोश भरने वाला और कोई नहीं बल्कि वे खुद ही है। उन्होंने बताया कि वे खुद से प्रेरणा लेते हैं। सिद्धार्थ का कहना है कि उनमें एक सकरात्मक सोच थी, जिसके कारण उन्होंने जिम शुरू की और अब वह बिना एक्सरसाइज और फिटनेस के नहीं रह सकते।
कब और कैसे करते हैं एक्सरसाइज
सिद्धार्थ का कहना है कि उन्होंने 2008 में शालीमार गार्डन के ड्रीम बॉडी फैमिली हेल्थ क्लब नाम के जिम में बेसिक वेट ट्रेनिंग के साथ शुरुआत की थी। उस वक्त जिम की फीस बहुत कम हुआ करती थी। उस वक्त मेरे जिम की फीस मात्र 300 रुपये थी लेकिन ये भी मेरे लिए बहुत ज्यादा थी क्योंकि मैं खुद ही अपनी फीस दिया करता था। मैं उस वक्त दिन में पांच बार खाना खाया करता था क्योंकि मैं थोड़ा भारी-भरकम दिखना चाहता था। भारी-भरकम दिखने के लिए मैं मांसाहार का भी सेवन किया करता था। इसके साथ ही मैंने सभी प्रकार की एक्सरसाइज की, जिन्हें मेरे जिम इंस्ट्रक्टर ने करने को कहा। मैं जिम में सभी बॉडी पार्ट की एक्सरसाइज किया करता था।
कितनी आसान रही आपके सफर की शुरुआत
यह बहुत ही आसान दिखता था लेकिन जब मैंने इसे शुरू किया तब मुझे अहसास हुआ कि अपनी कद-काठी को बनाए रखना इतना आसान नहीं है और खासकर हमारी डेली के लाइफस्टाइल में। लेकिन मैंने तय कर लिया था कि दिन में कम से कम एक घंटा अपनी बॉडी को जरूर दूंगा। और तब से लेकर अब तक मैं जिम का आदि हो गया हूं।
कैसे मिलती है प्रेरेणा
सिद्धार्थ का कहना है कि खुद को प्रेरित रखने के लिए उन्हें किसी और की जरूरत नहीं है। उनका कहना है कि जब भी मैं खुदो शीशे में देखता हूं तो मुझे अंदर से प्रेरणा मिलती है। यही मेरे फिटनेस फ्रीक होने की सबसे बड़ी वजह है। उन्होंने बताया कि करीब दो साल बाद उन्हें जिम जाने के परिणाम देखने को मिले।
सिद्धार्थ का फिटनेस मंत्र
- स्वस्थ भोजन करना।
- जंक फूड का सेवन न करना।
- डेली डाइट में प्रोटीन का सेवन।
सिद्धार्थ का कहना है कि डेली डाइट में प्रोटीन का सेवन करते वक्त ये ध्यान रखना चाहिए कि ये आपके बॉडी वेट से दोगुना होना चाहिए।
क्या है सिद्धार्थ का डेली डाइट चार्ट
- वर्कआउट से पहले मैं दो केले, एक सेब और प्रोटीन शेक पीता हूं।
- वर्कआउट के बाद मैं ओटमिल्क के साथ दो केले, अलसी के बीज, अखरोट, शहद लेता हूं।
- लंच में मैं चिकन ब्रेस्ट के साथ सब्जियां और चावल खाता हूं।
- शाम को स्नैक के रूप में मैं प्रोटीन शेक के साथ ओट्स बिस्किट लेता हूं।
- रात के भोजन में मैं उबला खाना पसंद करता हूं।
- हर दिन में मैं पांच लीटर पानी पीता हूं।
क्या है वर्कआउट रूटीन
उन्होंने बताया कि वह हर दिन शरीर के एक हिस्से के लिए एक्सरसाइज करते हैं। उन्होंने कहा कि हर दिन वह अलग वर्कआउट करते हैं और अपनी बॉडी के वेट के मुताबिक, विटामिन, प्रोटीन, अच्छे कार्ब का सेवन करते हैं। इसके अलावा उनका कहना है कि वह फिटनेस ट्रेनर की देखरेख में एक्सरसाइज करते हैं। फैड डाइट के बारे में पूछने पर सिद्धार्थ ने बताया कि उनके ट्रेनर उन्हें इस बारे में गाइड करते हैं।
परिवार, काम और फिटनेस के बीच कैसे बनाते हैं संतुलन
सिद्धार्थ का कहना है कि मैं अब वर्कआउट का आदि हो चुका हूं और ये मेरा जुनून बन चुका है क्योंकि एक शरीर एक जीवन है और जीवन आपको सिर्फ एक बार मिलता है।
जीवन में आपका लक्ष्य क्या है?
इस सवाल का जवाब देते हुए सिद्धार्थ ने बताया कि जीवन में उनका लक्ष्य फिट और फाइन रहने का है। उन्होंने बताया कि जिम में उन्होंने अर्नोल्ड का एक ब्लैक एंड व्हाइट पोस्टर देखा था तब से वह अर्नोलड के फैन बन गए थे।
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