जानें क्‍यों पालतू जानवरों के साथ रहने वाले बच्‍चे रहते हैं चिंता से दूर

दिन भर पालतू जानवर के साथ रहने औऱ उनके सथ खेलने के कारण बच्चों को खालीपन महसूस नहीं होता जिससे उनके अंदर की उत्कंठाएं अपने आप शांत हो जाती हैं और वो खुशमिजाज व चिंतामुक्त रहते हैं।
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जानें क्‍यों पालतू जानवरों के साथ रहने वाले बच्‍चे रहते हैं चिंता से दूर


ये कहने की जरूरत नहीं है कि पेट्स ने अब हमारी जिंदगी में अहम जगह बना ली है। वे न सिर्फ दोस्त हैं बल्कि मानसिक सुकून और खुशी का बड़ा जरिया बन गए हैं। साथ ही हमारे बेहतरीन दोस्त भी हैं। विशेषज्ञ तो यहां तक कहते हैं कि पेट्स हमारा स्वास्थ्य भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। पेट्स सिर्फ बड़ों को ही प्रभावित करें, ऐसा नहीं है। तमाम शोध एवं अध्ययनों ने यह खुलासा भी किया है कि जो बच्चे पेट्स के साथ खेलते हैं, रहते हैं, वे उत्कुण्ठा से भी दूर रहते हैं।

पालतु कुत्ता

बच्चों के सबसे अच्छे दोस्त

असल में पेट्स हमारे बेहतरीन साथी होते हैं जो हमेशा हमारे सुख और दुख में हमारा साथ देते हैं। हमारे साथ खेलते हैं, हमारी हर बात पर प्रतिक्रिया करते हैं। अपनी इन्हीं सब खूबियों के चलते पेट्स हमारे जीवन में खास योगदान निभाते हैं। यह बात खासकर बच्चों के जीवन में देखने को मिलती है। वास्तव में कहना ये चाहिए कि बच्चों के विकास के लिए पेट्स का होना आवश्यक सा होने लगा है। पेट्स के साथ रह रहे बच्चों को कभी अकेलापन नहीं खलता, उन्हें अपनी बातें शेयर करने के लिए कोई अन्य नहीं चाहिए होता। यही नहीं यदि पेट्स उनके जीवन में मौजूद हो तो खेलने के लिए वे किसी अन्य पर आश्रित भी नहीं रहते।

 

बच्चों को बचाते हैं समस्याओं से

सवाल ये उठता है कि आखिर पेट्स बच्चों को उत्कुण्ठा से कैसे दूर रखता है? कहने की जरूरत नहीं है कि अकेलापन कई किस्म की समस्याओं की जननी है। अकेले रहने वाले न सिर्फ मानसिक समस्या से बावस्ता रहते हैं वरन शारीरिक बीमारी भी उन्हें घेरे रहती है। इन सब परेशानियों से मौजूदा बच्चे भी अछूते नहीं है। यदि उन्हें अपने साथ कोई खेलने वाला न मिले तो वे अकेलेपन का शिकार हो जाते हैं। अपनी बातों को साझा करने से कतराने लगते हैं, घूमने फिरने में हिचकिचाहट भरा महसूस करते हैं। यही नहीं दूसरे बच्चों के साथ खेलने या घूमने फिरने में असहजता होने लगती है।


पेट्स या कहें पालतू जानवर इस तरह की समस्याओं से बच्चों को दूर रखते हैं। नतीजतन उन्हें उत्कुण्ठा जैसी परेशानियां नहीं घेर पाती। पेट्स न सिर्फ उत्कुण्ठा को दूर रखने में सहायक हैं वरन बच्चे कभी भी नकारात्मकता का भी शिकार नहीं होते। असल में पेट्स के कारण बच्चे हमेशा व्यस्त रहते हैं। कभी उनके साथ खेलते हैं तो कभी उनके साथ बातें करते हैं। यही नहीं कभी कभी पेट्स बच्चों के लिए स्टेटस सिम्बल की तरह हो जाता है। ...और यह कहने की जरूरत नहीं है कि व्तमान में बच्चों के बीच स्टेटस दिखाने की होड़ किस हद तक बढ़ गई है।

 

असल में इस टेक्नोसैवी दुनिया ने बच्चों की जीवनशैली में बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप किया है। इसमें स्टेटस सिम्बल भी मौजूद है। पेट्स भी इसका अप्रत्यक्ष हिस्सा बन चुके हैं। बच्चे स्टेटस दिखाते हुए खुशी का एहसास करते हैं। इतना ही नहीं उनमें भीड़ में अनोखा होने का भाव भर जाता है। कहने का मतलब साफ है कि पेट्स मासूम बच्चों को खुशी से भरे रखता है। परिणामस्वरूप बच्चों के जीवन में उत्कुण्ठा जैसी समस्याओं का नामोनिशान नहीं होता।

 

बच्चों के लिए पेट्स सिर्फ उत्कुण्ठा दूर करने के लिए जरूरी नहीं है। बच्चों की खुशी या उत्कुण्ठा के इतर उनके मानसिक विकास के लिए भी अब पेट्स अहम भूमिका निभाने लगे हैं। दरअसल जब बच्चे अपनी चीजें दूसरों के सामने व्यक्त करते हैं तो खुद में आत्मविश्वास महसूस करते हैं। पेट्स बच्चों के जीवन में वही मंच प्रदान करते हैं। यही कारण है कि अब कई बच्चे पेट्स के सामने अपनी बातों को रखते हैं ताकि दूसरों के सामने कहने में उन्हें हिचक न हो और न असहजता महसूस करें।


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