
बच्चों के तनाव को हल्के में न लें, क्योंकि उनके मस्तिष्क पर इसका स्थायी प्रभाव पड़ता है। वॉशिंगटन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कान्सिन-मैडिसन के शोधकर्ताओं ने कहा है कि जो बच्चे बचपन में खुश और स्वस्थ रहते हैं वह भविष्य में डिप्रेशन या फिर नकारात्मक चीजों के शिकार नहीं होते हैं। बके एक दल ने यह पाया कि उपेक्षा और शारीरिक उत्पीड़न से पैदा होने वाले तनाव का बच्चे पर नकारात्मक और स्थायी प्रभाव पड़ सकता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के अनुभवों से बच्चे के मस्तिष्क का विकास प्रभावित होता है। यानि कि बच्चा हर वक्त खुद परेशान और तनाव से घिरा हुआ मानता है। इससे उनकी याद रखने की क्षमता कमजोर हो जाती है। ऐसे बच्चों में भावनात्मक बुद्धिमत्ता और संतुलन का भी अभाव देखने को मिलता है। शोधकर्ताओं यही नहीं युवा होने के बाद ऐसे बच्चों की सेहत, कॅरियर और दांपत्य जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव नजर आता है। इस अध्ययन में सौ से अधिक बच्चों को शामिल किया गया था, जिनकी उम्र बारह वर्ष थी और कई वजहों से उनका बचपन तनावग्रस्त था। शोधकर्ताओं का कहना है कि जो लोग चाहते हैं कि उनका बच्चा भविष्य में शारीरिक और मानसिक विकार से दूर रहे तो उन्हें अपने बच्चे का भविष्य खुशहाल बनाना होगा।
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बच्चों में तनाव के कारण
- आजकल बच्चे बड़े पैमाने पर तकनीक का इस्तेमाल बच्चे कर रहे हैं। तकनीक पर अत्यधिक निर्भरता बच्चों के तनाव की बड़ी वजह है। बच्चे आपस में ही इन सोशल साइट्स पर एक दूसरे से आगे बढने की होड़ में लगे रहते हैं।
- स्कूल में पढ़ाई का ज्यादा दबाव भी बच्चों को डिप्रेशन में डाल रहा है। सिलेबस पूरा न कर पाने के कारण बच्चा तनाव में आ जाता है।
- मां-बाप का दबाव भी बच्चों को तनाव में डालता है। बच्चों पर ज्यादा नंबर लाने का दबाव मां-बाप ही डालते हैं जिसके कारण बच्चा डिप्रेशन में आता है।
- कभी-कभी माता-पिता अपने सपनों के लिए भी बच्चों पर दबाव डालते हैं। अभिभावक यह सोचते हैं कि बच्चा उनके अधूरे सपनों को पूरा करेगा जिसके कारण भी बच्चा डिप्रेशन में आता है।
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- अगर बच्चा किसी प्रतियागिता में फेल हो जाता है तो उस पर अनायास ही दबाव डाला जाता है जो कि बच्चे को तनाव में लाता है। जबकि यहां यह समझने की जरूरत है कि यह कोई जीवन का अंत नहीं बल्कि नए कल की शुरुआत है।
- हाई क्लास की सुविधा पाने की इच्छा भी बच्चे को तनाव में लाता है। अक्सर बच्चे को इस बात का मलाल रहता है कि दूसरों के जैसा हाई लिविंग स्टैंडर्ड उसका क्यों नहीं है।
- मां-बाप द्वारा बच्चे को ज्यादा समय न दे पाना भी बच्चो को डिप्रेशन में डालता है। ऐसे में बच्चा अपने को अकेला महसूस करता है।
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