अपनाएं ये आयुवेदिक तरीका, नहीं करना पड़ेगा किडनी डायलिसिस

किडनी डायलिसिस आज के समय एक आम समस्या बन गई है। हालांकि किडनी खराब होने के कई कारण हो सकते हैं जिन्हें अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं। 
  • SHARE
  • FOLLOW
अपनाएं ये आयुवेदिक तरीका, नहीं करना पड़ेगा किडनी डायलिसिस

किडनी डायलिसिस आज के समय एक आम समस्या बन गई है। हालांकि किडनी खराब होने के कई कारण हो सकते हैं जिन्हें अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं। अगर इस रोग के इलाज की बात करें तो करीब 90 प्रतिशत लोग अंग्रेजी दवाओं और इलाज का रुख करते हैं। जबकि किडनी डायलिसिस के लिए आयुर्वेद में भी इलाज मौजूद है। गुर्दा खराब होने पर मरीजों को डायलिसिस पर रहना पड़ता है जबकि आयुर्वेद में ऐसी दवाएं मौजूद हैं जो न सिर्फ गुर्दे के मरीजों को डायलिसिस पर जाने से बचाती हैं बल्कि डायलिसिस से छुटकारा भी दिला देती हैं।

इंडो अमेरिक जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल रिसर्च में प्रकाशित एक शोध पत्र में आयुर्वेद के ऐसे फार्मूलों का जिक्र किया गया है। आयुर्वेद के फार्मूले पर पांच जड़ी-बूटियों से बनी दवा 'नीरी केएफटी' को लेकर पिछले दिनों यह शोध प्रकाशित हुआ है। नीरी केएफटी का निर्माण गोखरू, वरुण, पत्थरपूरा, पाषाणभेद तथा पुनर्नवा से किया गया है। पुनर्नवा गुर्दे की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को फिर से पुनर्जीवित करने में कारगर होता है। इसलिए आजकल इस आयुर्वेदिक फार्मूले का इस्तेमाल बढ़ रहा है।

इसे भी पढ़ें : जब किडनी हो जाए फेल तो इन 3 तरीकों से बचाई जा सकती है जान

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद विभाग ने भी नीरी केएफटी के आयुर्वेदिक फार्मूले के प्रभाव का गहन अध्ययन किया है। उसके अनुसार नीरी केएफटी के इस्तेमाल से गुर्दा रोगियों में भारी तत्वों, मैटाबोलिक बाई प्रोडक्ट जैसे केटेनिन, यूरिया, प्रोटीन की मात्रा तेजी से नियंत्रित हो रही है। गुर्दे की कुल कार्यप्रणाली में तेजी से सुधार देखा गया है। जो गुर्दे कम क्षतिग्रस्त थे, उनमें सुधार देखा गया है। प्रोफेसर के. एन. द्विवेद्वी ने कहा कि आयुर्वेद के फार्मूले गुर्दे की डायलिसिस का विकल्प हो सकते हैं।

इस बीच पांडिचेरी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ने भी एक शोध में दावा किया है कि यदि गुर्दे की सेहत बढ़ाने वाले आयुर्वेदिक फार्मूलों का इस्तेमाल किया जाए तो काफी हद तक डायलिसिस से बचा जा सकता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार 2025 तक भारत समेत विश्व में 18 फीसदी पुरुष और 21 फीसदी महिलाएं मोटापे की चपेट में होंगी। उन्हें तब सबसे ज्यादा खतरा गुर्दा रोगों का होगा। इसलिए जीवनशैली में सुधार कर लोगों को इन खतरों से बचना होगा। गुर्दे की बीमारियों से बचाव के लिए डब्ल्यूएचओ ने भी वैकल्पिक उपचार और खराब हो चुके गुर्दा रोगियों को बचाने के लिए गुर्दा दान को बढ़ावा देने की पैरवी की है।

इसे भी पढ़ें : इन 6 बुरी आदतों से आपकी किडनी खराब हो सकती है

किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह कब दी जाती है

यदि आपको किडनी की समस्या हो गई है तो डॉक्टर आपको कई तरह के परहेज करने के लिए बोलेंगे। किडनी फेल होने के शुरुआती स्टेज में आपको आपके डॉक्टर बल्ड प्रेशर का कंट्रोल, डायट में प्रोटीन्स का रेस्ट्रिक्शन, नमक कम करने आदि चीजों से परहेज करने बोलेंगे। इससे आपकी किडनी फेल्योर की बीमारी रुकेगी की तो नहीं लेकिन स्लो हो जाएगी। अगर आपकी किडनी फेल्योर हो ही गई है तो इसके दो उपाय हैं। पहला किडनी ट्रांसप्लांट किया जाता है। दूसरा नियमित तौर पर डायलसिस किया जाता है। डायलसिस में हफ्ते में एक बार कराया जाता है जिसमें खून की सफाई की जाती है। ये रेग्युलर बेसिस पर ताउम्र कराई जाती है। एक अन्य तरह की डायलसिस होती है जिसको हम सीएपीडी कहते हैं। ये होम डायलसिस होती है। इसमें पेट में कैथेटर लगाकर पेट की सफाई की जाती है। किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा वर्तमान में अधिकतर शहरों में हो गई है। ये डायलसिस की तुलना में बेहतर इलाज है। इसके बारे में बता रहे विशेषज्ञ डा. संजीव सक्सेाना।

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप

 Read More Articles On Kidney Failure In Hindi
 

Read Next

मोटापा है किडनी फेल्योर का सबसे बड़ा कारण, शुरुआत में ही दिखते हैं ये लक्षण

Disclaimer