वयोवृद्ध अभिनेता और लेखक कादर खान का निधन 81 साल की उम्र में लंबी बीमारी के कारण 31 दिसंबर को हो गया, उनके बेटे सरफराज ने पुष्टि की। कादर खान को कनाडा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कादर खान को सांस लेने संबंधी समस्या के चलते उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, वह प्रोग्रेसिव सुप्रान्यूक्लीयर पाल्सी यानी PSP रोग से पीड़ित थे, जो एक अपक्षयी बीमारी थी जो संतुलन खोने, चलने में कठिनाई और डिमेंशिया (मनोभ्रंश) का कारण बनता है।
क्या है प्रोग्रेसिव सुप्रान्यूक्लीयर पाल्सी
प्रोग्रेसिव सुप्रान्यूक्लीयर पाल्सी रोग के मरीज कम पाए जाते हैं। PSP रोग एक लाख लोगों में औसतन 4 या 7 लोगों में ही देखने को मिलती है। औसतन ये 65 साल की आयुवर्ग के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है। विशेषज्ञों की मानें तो यह रोग मस्तिष्क से जुड़ी एक गंभीर समस्या है। इसमें मरीज का मस्तिष्क के मसल्स से नियंत्रण लगभग समाप्त हो जाता है, इसलिए रोगी अपनी आंखों पर नियंत्रण नहीं कर पाता, मरीज चाह कर भी आंखों की पुतलियों को ऊपर या नीचे करने में असमर्थ होता है।
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क्या हैं इसके लक्षण
- धीरे-धीरे देखने में परेशानी होना
- याददाश्त का कमजोर होना
- सिर्फ तेज आवाज सुनने में सक्षम हो पाना
- खाने-पीने की क्षमता लगभग खो देना
- नींद की कमी
- शरीर में कठोरपन आना
- नजर का कमजोर होना, आदि।
अल्जाइमर की तरह है प्रोग्रेसिव सुप्रान्यूक्लीयर पाल्सी रोग
एक्सपर्ट के मुताबिक प्रोग्रेसिव सुप्रान्यूक्लीयर पाल्सी रोग की शुरुआत में आंख की पुतली नीचे आना बंद कर देती है, ऐसे में मरीज को नीचे देखने के लिए सिर झुकाना पड़ता है। जब बीमारी बढ़ती है तो फिर पुतली ऊपर भी जाना बंद कर देती है। इस रोग के लक्षण पार्किंसन और अल्जाइमर बीमारी की तरह ही है। इसमें रोगी का बर्ताव इन रोगों से काफी हद तक मिलता जुलता है। हालांकि प्रोग्रेसिव सुप्रान्यूक्लीयर पाल्सी रोग इन रोगों से थोड़ा भिन्न है।
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बीमारी होने के बाद मरीज को बचाना मुश्किल होता है
प्रोग्रेसिव सुप्रान्यूक्लीयर पाल्सी, यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें समय के साथ बदलाव देखने को मिलती है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति में सोचने और बोलने की क्षमता समाप्त हो जाती है। साथ ही शरीर का बैलेंस भी बिगड़ने लगता है। मरीज चलने में असमर्थ होने लगता है, जब वह चलने की कोशिश करता है तो वह गिर जाता है। इस रोग से ग्रसित मरीज में धीरे-धीरे डिमेंशिया के लक्षण दिखने लगते हैं, यानी उसमें डिमेंशिया की शुरूआत होने लगती हैं। मरीज को कोई भी बात याद नहीं रहती है वह भूलने लगता है। ज्यादातर समय उसे बेड पर ही रहना पड़ता है। एक्सपर्ट की मानें तो इस रोग से पीडि़त व्यक्ति को बचा पाना मुश्किल होता है।
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