शादी के 46 साल बाद अमृतसार के दलजिंदर कौर और मोहिंदर गिल के घर में किलकारी गूंजी। बच्चे के लिए तरस गये इस दंपत्ति ने आईवीएफ तकनीक का सहारा लिया। 72 बसंत देख चुकी दलजिंदर कौर के लिए भले ही यह खुशी की बात हो, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो उम्र के इस पड़ाव पर इस तकनीक का प्रयोग ठीक नहीं है।
इंडियन सोसाइटी ऑफ रीप्रोडक्शन (आईएसएआर) इसके खिलाफ है। इस सोसायटी की मानें तो इससे समाज में गलत संदेश जा रहा है कि किसी भी उम्र में बच्चा पैदा किया जा सकता है। इतनी उम्र में इस तकनीक का सहारा लेना ठीक नहीं और असंभव भी है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रजिस्ट्री (ICMR) के नियमों के अनुसार, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के जरिए मां-बाप बनने के लिए कपल की उम्र मिलाकर 100 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, जबकि इस मामले में दोनों की उम्र मिलाकर 150 साल है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस मामले में दोनों के अपने युग्मकों के जरिए बच्चा पैदा होना असंभव है क्योंकि 20 साल पहले ही दलजिंदर का मेनोपॉज हो गया था, वहीं 78-79 की उम्र में पुरुष का स्पर्म इतना सक्षम नहीं होता कि वह बच्चा पैदा कर सके।
डॉक्टरों का कहना है कि जिन लोगों की संतान नहीं, यह मामला उनके जीवन में आशा की किरण लेकर आया है। लेकिन, यह गलत उदाहरण है। इतनी उम्र में इस तकनीक का सहारा लेना ठीक नहीं और असंभव भी है।
क्या है आईवीएफ की सही उम्र
आईवीएफ तकनीक से गर्भधारण के मामले इसलिए बढ़ रहे हैं, क्योंकि लोग देर से शादी कर रहे हैं और बच्चा पैदा करने में समर्थ नहीं हैं। बच्चे के जन्म के लिए स्वस्थ शुक्राणु व स्वस्थ अंडाणु के साथ स्वस्थ गर्भाशय का होना भी जरूरी है। सरोगेसी की सहायता तभी ली जा सकती है, जब मां बनने वाली महिला के गर्भ की दीवार बेहद कमजोर है या उसके गर्भाशय में कोई और समस्या है।
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अभिशाप भी हो सकता है
अधिक आयु में गर्भधारण कर पाने की संभावना कितनी अधिक है, से ज्यादा सोचने वाली बात यह है कि नैतिक रूप से यह कितना सही है। चिकित्सक और दंपति दोनों ही विज्ञान के द्वारा मिले विकल्पों का प्रयोग सहायता प्रजनन तकनीक के दिशा-निर्देशों के अनुसार कानूनी दायरे में रहते हुए ही करें, ताकि विज्ञान की यह देन वरदान की जगह अभिशाप न बन जाए।
महिला की उम्र
इस तकनीक के इस्तेमाल से कोई भी महिला किसी भी उम्र में अन्य महिला के अण्डदान के द्वारा गर्भधारण कर सकती है। आमतौर पर देखा गया है कि 50 की उम्र के बाद गर्भधारण करने वाली महिलाएं होने वाले बच्चे पर पड़ने वाले दूरगामी परिणामों को ध्यान में रखकर यह निर्णय नहीं लेती। शारीरिक रूप से महिलाएं सिर्फ निश्चित उम्र तक ही गर्भवती हो सकती है।
क्योंकि पैरेंट्स बनने का मतलब सिर्फ बच्चे को जन्म देना ही नहीं होता, बल्कि उन्हें बच्चे के लिए सुखमय बचपन और स्वस्थ जीवन को भी सुनिश्चित करना होता है। जब पैरेट्स खुद ही स्वस्थ और मजबूत नहीं होंगे, तो उनसे यह उम्मीद कैसे की जा सकती है कि अपने बच्चे की सभी मूलभूत जरूरतों को पूरा कर एक अच्छा भविष्य दे पाएंगे।
इनके लिए हो प्रतिबंध
50 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं के लिए आईवीएफ पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए, क्योंकि चिकित्सा विज्ञान से यह साबित हो चुका है कि अधिक उम्र में गर्भावस्था से मां और बच्चे दोनों को काफी खतरा होता है। बड़ी उम्र में गर्भधारण करने वाली महिलाओं में आमतौर पर डायबिटीज, हाईब्लडप्रेशर होने का खतरा बढ़ जाता है़, जिसका सीधा असर गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास पर पड़ता है, उन बच्चों में ज्यादातर आनुवंशिक दोष या मृत्यु होने की संभावना रहती है। सभी आईवीएफ चिकित्सक इस तकनीक को प्रस्तावित दिश-निर्देशों के अनुसार ही प्रयोग करें और मासूम जिंदगी को खतरे में न डालें।
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Image Source : navbharattimes.indiatimes.com
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