Baby first cry : जब भी कोई बच्चा जन्म लेता है, वो सबसे पहले रोता है। कई बार जब बच्चा नहीं रोता तो थपकी देते हुए रुलाने की कोशिश की जाती है। मदहहुड हॉस्पिटल की गायनाकोलॉजिस्ट डॉक्टर मनीषा रंजन का कहना है कि जन्म के बाद बच्चे का रोजाना बहुत ही जरूरी होते है। दरअसल, अगर जन्म के बाद बच्चा रो देता है, तो समझो आपका बच्चा स्वस्थ है और अगर वो नहीं रोता तो ये एक चिंता का विषय हो सकता है। दरअसल, बच्चा जब रोता है तो ये साफ हो जाता है कि बच्चे के फेफड़ों तक ऑक्सीजन सही तरीके से पहुंच रही है और बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है। हालांकि, कुछ लोग बच्चे के रोने से परेशान हो जाते हैं, लेकिन उनका रोना परेशानी या चिंता की बात नहीं बल्कि उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिहाज से बहुत जरूरी होता है। तो चलिए जानते हैं बच्चों का रोना जरूरी क्यों होता है-
जन्म के बाद बच्चे का रोना क्यो है जरूरी?
मांसपेशियों की होती है कसरत
अक्सर रोते हुए बच्चे को देखकर मां काफी परेशान हो जाती हैं। लेकिन बच्चे के रोने से उनके मांसपेशियों की कसरत होती है, जो शरीर के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है। आप अगर रोते हुए बच्चे को ध्यान से देखेंगे तो बच्चे की मांसपेशियों को तना हुआ साफ देख पाएंगे। इससे उनकी मांसपेशियां मजबूत होती है। इसलिए बच्चे का रोना बहुत जरूरी होता है।
अपनी बात को कहने का माध्यम
जब बच्चा छोटा होता है तो वो बोल नहीं पाता, ऐसे में उनकी जरूरत को समझना मुश्किल होता है। बच्चे का रोना उनके बात करने का माध्यम होता है। बच्चे के रोने से पता चलता है कि उसको भूख लगी है या फिर उसने पेशाब किया है, ताकि उसे दूध पिलाया जा सके या उसके कपड़ों को बदला जा सके। एक स्टडी में ये साफ हुआ है कि बच्चे ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए भी रोते हैं और आपका ध्यान पाकर वो चुप हो जाते हैं।
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मानसिक विकास के बच्चों का रोना जरूरी
बच्चों के मानसिक विकास के लिए भी उनका रोना जरूरी माना जाता है। अगर बच्चा जन्म लेते ही रोता है तो इससे साफ हो जाता है कि वो शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ है। हालांकि, कुछ बच्चे जन्म के एक दो मिनट तक नहीं रोते। उन्हें रुलाने के लिए डॉक्टर कुछ प्राथमिक उपचार करते हैं और अगर उन्हें दूसरी कोई परेशानी होती है तो आईसीई मे रखकर बच्चे को ठीक किया जाता है। आमतौर पर बच्चा 1 से 5 मिनट के बीच में रोना या हाथ-पैर हिलाना शुरू कर देता है, जिससे पता चला है कि बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है।
बच्चे का कितना रोना होता नॉर्मल
बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिहाज से बच्चे का रोना अच्छा माना जाता है। बच्चों के विशेषज्ञों की मानें तो 24 घंटे में 2 से 3 घंटे तक रोना नॉर्मल होता है। इससे बच्चा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के रूप से स्वस्थ माना जाता है। वहीं, बच्चा अगर 4 से 5 घंटे रोता है तो ये चिंता की बात हो सकती है। ऐसा होने पर बच्चे को डॉक्टर को जरूर दिखाएं, क्योंकि इसकी वजह बच्चे को कोई स्वास्थ्य संबंधी परेशानी भी हो सकती है।
बच्चा आखिर रोता क्यों है ?
बच्चा जब गर्भ में होता है तो वो एक थैली में होता है। इस थैली को एम्नियोटिक सैक कहते हैं। इस थैली में एम्नियोटिक द्रव भरा रहता है, इस कारण शिशु के फेफड़ों में ऑक्सीजन नहीं होती है। गर्भ में होने के दौरान शिशु को सारा पोषण मां से गर्भनाल के माध्यम से ही मिलता है। जब बच्चे का जन्म हता है तब भी बच्चा इस गर्भनाल से जुड़ा रहता है, जिसे गर्भ से बाहर आने के बाद काट दिया जाता है। इसके बाद बच्चे को उल्टा लटकाकर उसकी पीठ पर थपकी देकर उसके फेफड़ों से एम्नियोटिक द्रव निकाला जाता है, ताकि बच्चे के फेफड़ों में हवा जा सके। जब बच्चे के फेफड़े से एम्नियोटिक द्रव निकल जाता है, तब उसके फेफड़े सांस लेने के लिए तैयार हो जाते हैं और बच्चा रोने लगता है, जिससे पता चलता है कि बच्चे के फेफड़े स्वस्थ है और बच्चा भी ठीक है।
जन्म के बाद बच्चे का रोना जरूरी है। अगर आपका बच्चा ऐसा नहीं करना है, तो तुरंत उसे रुलाने की कोशिश करें। वहीं, इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से सलाह की जरूरत होती है।
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