गर्भनिरोधन एक बेहद अहम मुद्दा है, खासतौर पर भारत जैसे देश के लिये। पर हाल में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में गर्भनिरोधक के उपयोग के मामले में परुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा बाध्य हैं। फैमली प्लानिंग 2020 (Family Planning 2020) की रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि भारत में इस्तेमाल आधुनिक गर्भनिरोधक तरीकों में 74.4 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी है। यह कहा जाए कि पुरुष गर्भनिरोधन के मामले में महिलाओं की निर्भरता को बाध्य करते हैं तो अतिश्योक्ति न होगी। चलिये विस्तार से जानें, क्या कहती है ये रिपोर्ट -
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक महिला नसबंदी के उच्च प्रतिशत तथा अन्य आधुनिक गर्भनिरोधक विधि को अपनाने की धीमी गति ने महिलाओं के अधिकारों के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य जोखिम के विषय में अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के बीच चिंता पैदा की है।
विश्व स्तर पर आंकडे
हालांकि, अच्छी बात ये है कि समान जनसांख्यिकी वाले अन्य देशों की तुलना भारत में गर्भनिरोधक के लिए नसबंदी की दर उच्चतम (36.9 प्रतिशत) है। इस मामले में यूनाइटेड स्टेट्स (US) भारत के ठीक पीछे है और वहां गर्भनिरोधक के लिए नसबंदी की दर 36.3 प्रतिशत है। वहीं चीन में ये दर 33.2 प्रतिशत तथा ब्रज़ील में 34.2 प्रतिशत है।
महिला नसबंदी के सबसे ज्यादा उपयोग (74.4 प्रतिशत) में 3.7 प्रतिशत इस्तेमाल होने वाले आईयूडी गर्भनिरोधक उपकरण (Intrauterine Device), जोकि महिलाओं द्वारा ही उपयोग किया जाता है, को अलग रखा गया है। इसके बनिस्पद पुरुष नसबंदी की दर केवल 2.3 प्रतिशत है, जबकि कण्डोम के इस्तेमाल की दर 11.4 प्रतिशत है। वहीं आधुनिक तरीकों में गर्भनिरोधक गोलियां (Pills) के इस्तेमाल का प्रतिशत 7.5 है। इंजेक्टेबल और प्रत्यारोपण माध्यम (Injectables and implants) ना के बराबर उपयोग किये जाते हैं।
नसबंदी के अलावा सरकार गर्भ निरोधकों में विकल्पों की संख्या में वृद्धि करने के लिए भरसक प्रयास कर रही है और इसे राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम में भी शामिल कर रही है। हाल ही में इंजेक्शन गर्भनिरोधक (injectable contraceptive) को राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम के हिस्से के रूप में पेश किया भी गया।
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