बचपन से मैंने अपनी दादी-नानी के मुहं से कई ऐसे भारतीय खाने को लेकर बातें सुनी हैं, जो शायद सच हैं भी और नहीं भी। जैसे दिन ढल जाने के बाद नाखुन नहीं काटने चाहिए, मीठा कम खाने से डायबिटीज़ नहीं होती, दूध पीने से गोरे होते हैं, चाय या कॉफी पीने से काले होते हैं आदि।
एक समय पर तो ऐसा लगता था कि ये कहीं हमारी जिंदगी के छोटे-छोटे लाइफहैक्स तो नहीं, जिन्हें इस्तेमाल करके हम अपनी सभी परेशानियां या फिर समस्याएं चुटकियों में हल कर सकते हैं। लेकिन वहीं, दूसरी ओर खाने से जुड़े कुछ ऐसे मिथक या फैक्ट हमें हेल्दी रहना भी सिखाते हैं।
लेकिन एक बात बता दें कि ये अंधविश्वासी बातों का कोई मोल नहीं है और न ही इनके पीछे छिपा कोई साइंटिफिक फैक्ट है। आइए जानते हैं जैगो के मैनेजिंग पार्टनर श्रीधर वरदराज से इन्हीं कुछ फूड मिथ्स के बारे में...
चीनी न खाने से हमें डायबिटीज़ नहीं होगी
चीनी न खाने से हमारे शरीर में कैलोरी तो कम जाती ही हैं, लेकिन वहीं अगर डायबिटीज़ की बात आए, तो ये समस्या कार्बोहाइड्रेट मेटाबॉलिज्म की वजह से होती है। ये जेनेटिक और लाइफस्टाइल से भी हो सकती है।
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चीनी से ज्यादा अच्छा शहद और मोलासिस है
शहद और मोलासिस अनरिफाइंड मिठास है, लेकिन इनका ग्लाइसिमिक इंडेक्स सफेद रिफाइंड शुगर जितना ही होता है।
चाय और कॉफी पीने से काले हो जाते हैं
हमारी त्वचा का रंग मेलानिन से बनता है। चाय या कॉफी पीने से हमारी त्वचा काली नहीं होती है। मेलानिन हमारे जीन्स और सूरज की रोशनी पर निर्भर करता है। चाय और कॉफी में मौजूद कैफीन स्ट्रेस को कम करने में प्रभावी होती है।
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इमली और नींबू खाने के बाद दूध वाले पदार्थों को न खाएं
त्वचा पर सफेद दाग की परेशानी शरीर में मेलानोसाइट्स के मर जाने के बाद उत्पन्न होती है। इससे खट्टे और दूध वाले पदार्थों का कोई लेना-देना नहीं होता है।
खराब गले पर गोलगप्पे का पानी पीएं
खट्टा पानी या फल में मौजूद सिट्रिक एसिड आपके गले को ठीक नहीं करता है और न ही उसमें मौजूद जर्म्स को मारता है। विटामिन सी आपकी इम्यूनिटी को बढ़ावा देने के लिए बेहतर विकल्प माना जाता है।
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