किशोरावस्था वह पड़ाव है जब शरीर का गठन होना शुरू होता है। लड़कियों में किशोरावस्था के दौरान वजन व लम्बाई के अलावा कई सारे शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं। ऐसे में शरीर का स्वस्थ बना रहना जरूरी है और इसके लिए खानपान में विशेष तौर पर खाने में जरूरी पोषक-तत्वों को शामिल करने की जरूरत है।
किशोरावस्था की अवस्था में लड़के और लड़कियों, दोनों में ही कई सारे बदलाव होते हैं। लड़कियों में ये बदलाव लड़कों की तुलना में काफी जल्दी होते हैं जिस कारण लड़कियां, लड़कों की तुलना में जल्दी जवान होती है। इस अवस्था में लड़कियों में शारीरिक और मानसिक कई सारे परिवर्तन होते हैं वो भी काफी तेजी से होते हैं। इस अवस्था में लड़कियों को खान-पान का विशेष तौर पर ध्यान रखना पड़ता है जिससे कि शरीर और दिमाग में हो रहे बदलावों के पूरा करने के लिए शरीर को जरूरी ऊर्जा और पोषक-तत्व मिल सके। इसीलिए इस अवस्था में लड़कियों को अपने खान-पान का विशेष तौर पर ध्यान रखने की जरूरत होती है।
विकास सही प्रकार से हो सके लिए जरूरी है कि आप संतुलित आहार ग्रहण करें। संतुलित आहार उस भोजन को कहते हैं जिसमें सारे जरूरी पोषक-तत्व जैसे कॉर्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, कैलशियम, आयरन आदि प्रचुर मात्रा में मौजूद हों।
प्यूबर्टी में संतुलित भोजन
प्यूबर्टी 14-18 साल के बीच की अवस्था को कहते हैं जिसे सामान्य भाषा में किशोरावास्था कहते है। इस अवस्था में लड़कियों में कई सारे बदलाव होने शुरू होते हैं और ये बदलाव शारीरिक वा मानिसक दोनों तरह के होते हैं जिसके लिए शरीर को काफी ऊर्जा की जरूरत होती है। इस अवस्था में लड़कियों में पीरियड होने शुरू होते हैं औऱ हार्मोन्स में कई सारे बदलाव आते हैं। साथ ही वे अपने शरीर के बारे में ऐसी कई चीजें महसूस करती हैं और उन्हें पता भी चलती हैं जिसके बारे में इससे पहले उन्होंने केवल सुना ही था। इन बदलावों को सुचारू रुप देने के लिए लड़कियों को अपने आहार का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए जिससे कि उनका विकास बाधित ना हो और सही तरीके से पूर्ण हो सके। ऐसे में हम आपके लिए ये स्लाइड शो लाएं हैं जिसमें आपको संतुलित आहार के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी।
सब्जियां
यदि 15 साल की उम्र तक किसी भी लड़की की लम्बाई औसत या औसत से कम है तो उसे रोजोना पर्याप्त मात्रा में अपने भोजन में हरी सब्जी शामिल करने की जरूरत है। लड़कियों के लिए रोजाना कम से कम 2.5 कप सब्जियों का सेवन जरूरी है। लेकिन सब्जी खाने का मतलब ये नहीं कि प्रतिदिन अपने पसंद की ही सब्जी खाते रहें। रोजाना सब्जियां बदल-बदलकर खाएं। अगर सातों दिन अलग तरह की सबिजयों को सेवन कर सकते हैं तो ये आपके स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है।
बेहतर होगा कि सब्जियों में आलू का कम से कम सेवन करें और उसकी जगह गाजर, स्क्वैश, ब्रोकोली, पालक जैसी सब्जियां खाएं।
फल
सब्जियों की तुलना में फलों में अधिक विटामिन और फाइबर होते हैं। इसलिए नियमित रूप से रोजाना कम से कम दो-तीन फलों का सेवन करें। अपनी पसंद के अनुसार फल का सेवन कीजिए। किशोरों को केला, सेब और नाशपाती आदि का सेवन करना चाहिए। कैलोरी मुक्त फलों जैसे जामुन, तरबूज और आम को अपने डाइट में शामिल कीजिए। एंटी-ऑक्सीडेंट्स युक्त ये फल शरीर को बीमार होने से भी बचाते हैं। किशोरों को सूखा मेवा भी खाना चाहिए।
आयरन
आयरन का काम- खून की कमी पूरी करता है और हीमोग्लोबिन ठीक रखता है।
महिलाओं में सबसे ज्यादा आयरन की कमी होती है। यह कमी महिलाओं में किशोरावस्था से शुरू हो जाती है जिसका बड़े होने पर काफी बुरा प्रभाव महिलाओं के शरीर में पड़ती है। ये दुष्प्रभाव गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में अधिर देखने को मिलता है। सामान्य हिमोग्लोबिन वाली महिलाओं को गर्भावस्था में आयरन की सौ गोलियां खानी पड़ती हैं। जबकि आयरन की कमी से ग्रस्त गर्भवती महिलाओं को दो सौ आयरन की गोलियां खानी पड़ती हैं। इस अवस्था से बचने के लिए लड़कियों को किशोरावस्था में ही आयरन की कमी पूरी कर लेनी चाहिए।
लड़कियों के शरीर में आयरन की कमी की शुरुआत माहवारी के प्रारंभ होने से ही शुरू हो जाती है। लड़कियों में माहवारी के दौरान दूषित रक्त के साथ बहुत सारे जरूरी खनिज एवं धातुएं भी निकल जाते हैं। इन जरूरी खनिज एवं धातुओं की यदि पूर्ति नहीं होती है तो लड़कियां गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त होना शुरू हो जाती हैं। शरीर में खून की कमी आयरन की कमी के बराबर होती है जिसके कारण इस उम्र में एनीमिया की शिकायत भी हो सकती है। इसलिए खाने में पालक और मीट जैसे आहार शामिल करें जो आयरन से भरपूर हो।
कैल्शियम
कैल्शियम का काम- लंबाई बढ़ाता है और हड्डियां मजबूत बनाता है।
किशोरावस्था में लम्बाई और वजन बढ़ते हैं। लम्बाई बढ़ाने के लिए शरीर को कैल्शियम की जरूरत होती है। कैल्शियम से हड्डियां मजबूत होती है जो शारीरिक विकास का आवश्यक अंग माना जाता है। इंसान के शरीर की आधी से ज्यादा हड्डियां किशोरावस्था की शुरुआत में बननी शुरू होती है जो किशोरावस्था के बाद बनना बंद हो जाती है। ऐसे में किशोरावस्था में जरूरी है कि भरपूर मात्रा में अपने आहार में कैल्शियम को शामिल किया जाए। दूध, पनीर आदि आहारों के भोजन में शामिल करें।
प्रोटीन
प्रोटीन का काम- शरीर को अंदर और बाहर से मजबूत बनाता है। बीमारियों से बचाता है।
प्रोटीन शरीर मे मांसपेशियों को बनाने और बचाने में मदद करता हैं। प्रोटीन की कमी से इंसान को ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा 30 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। प्रोटीन के तत्व ओक्सिजन, हाइड्रोजन और नाइट्रोजन से बनते हैं जो शरीर को बीमारियों से बचाने का काम करता है। अगर आप शुद्ध शाकाहारी है तो आपको प्रोटीन दूध और दुग्ध उत्पाद, अखरोट, फलियां, दालें, राजमा, चनें, सोया, मेवे, पीनट बटर, टोफू, पालक और अन्य चीज़ों से प्राप्त हो सकता है। इसके अलावा चिकन, अंडे के सफेद भाग और मछली में काफी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है।प्रोटीन में मौजूद अमीनो एसिड्स मांसपेशियों की वृद्धि, उनकी मरम्मत और उनकी रक्षा में काम आते हैं। शरीर के प्रति किलो वजन के लिए दो ग्राम प्रोटीन की ज़रूरत होती है। सोया , अंडे आदि में प्रोटीन की भरपूर मात्रा पाई जाती है।
फाइबर और कार्बोहाइड्रेट
फाइबर और कार्बोहाइड्रेट का काम- पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है और मेटाबॉलिज्म तेज करता है।
फाइबर न पचने वाला पदार्थ है, जो पौधे से कार्बोहाइड्रेट के तौर पर निकाला जाता है। यह एक घुलने वाला और न घुलने वाला दो प्रकार का होता है। आहार में फाइबर का इस्तेमाल करने पर यह पेट में जाकर जैल (गाढ़ा तरल पदार्थ) बन जाता है, जो कि शरीर द्वारा अवशोषित अनावश्यक खाने के भाग को रोकने में मदद करता है। इसका मतलब घुलने वाला फाइबर शरीर में कोलेस्टेरॉल बनने से रोकता है। दूसरी ओर, न घुलने वाला फाइबर लेने से पेट आसानी से साफ हो जाता है। अगर आप अपनी डाइट में फाइबर नहीं लेते हैं, तो इससे आपको कब्ज की परेशानी हो सकती है। कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट वाला आहार जिसमें खूब सारा फाइबर हो वह लें। यह धीरे-धीरे शरीर में घुल जाता है और इससे उर्जा मिलती है। इसके अलावा ऐसी चीजों में मिलने वाला फाइबर भूख कम करता है आपको जरूरत से ज्यादा खाने से रोकता है।
संपूर्ण आहार
- अंडा नाश्ते में लें। शाकाहारी एक सेब खाएं।
- रेडमीट हफ्ते में एक बार खाएं।
- ताजे फल या फलों का जूस लें।
- हरी पत्तेदार सब्जियां और सलाद खाएं।
- कम वसा वाला दही या दूध, पनीर, मूँगफली का या सोया मक्खन खाएं।
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version