मेनोपॉज के बाद वजन बढ़ने से कैसे रोकें, जानें एक्सपर्ट की राय

मध्यम आयु की महिलाएं अक्सर वजन संबंधी समस्याओं से परेशान रहती है। कई मामलों में आनुवांशिक कारणों से ऐसा होता है, तो कई मामलों में हार्मोनल परिवर्तन के कारण ऐसा होता है। 
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मेनोपॉज के बाद वजन बढ़ने से कैसे रोकें, जानें एक्सपर्ट की राय

मध्यम आयु की महिलाएं अक्सर वजन संबंधी समस्याओं से परेशान रहती है। कई मामलों में आनुवांशिक कारणों से ऐसा होता है, तो कई मामलों में हार्मोनल परिवर्तन के कारण ऐसा होता है। इसके अलावा, रजोनिवृत्ति के साइड इफेक्ट के चलते भी ऐसा होता है, जिसका एक कारण कही ना कही इस दौरान चरम सुस्ती का अहसास होना भी होता है। रजोनिवृत्त के दौरान महिलाएं व्यायाम नहीं करती या कम करती हैं। इस वजह ये उनमें वजन बढ़ने लगता है। आज हम आपको कुछ ऐसे मुख्य कारण बता रहे हैं जिनके कारण महिलाओं का तेजी से वजन बढ़ता है।

क्या है एस्ट्रोजन हॉर्मोन और क्यों है ये जरूरी

आमतौर पर मेनोपॉज की सही उम्र 50-51 मानी जाती है। मेनोपॉज से 2-3 वर्ष पूर्व पीरियड्स की अनियमितता शुरू हो जाती है, जिसे प्री-मेनोपॉज लक्षण माना जाता है। कई बार समय से पहले ही ओवरीज में एस्ट्रोजन हॉर्मोन बनना बंद हो जाता है। यह हॉर्मोन प्रजनन क्षमता के लिए जरूरी है। किसी वजह से यह न बने तो मेनोपॉज की आशंका बढ जाती है। थायरॉयड, कैंसर में दी जाने वाली कीमोथेरेपी, ओवरी रिमूवल सर्जरी, अबॉर्शन या डीएंडसी के कारण प्री-मेनोपॉज हो सकता है। मगर कई बार इसका कारण नहीं पता चल पाता और ओवरीज की कार्यक्षमता धीमी हो जाती है। इसके कई कारण हो सकते हैं। सुस्त-निष्क्रिय लाइफस्टाइल, खानपान की अनियमितता और व्यायाम की कमी के अलावा यह समस्या आनुवंशिक हो सकती है। वायरल संक्रमण, तनाव या दबाव, मिर्गी की समस्या में भी ऐसा हो सकता है। एक धारणा यह भी है कि जिन लडकियों को अर्ली प्यूबर्टी होती है, उन्हें अर्ली मेनोपॉज का खतरा भी ज्यादा होता है, मगर इस धारणा का वैज्ञानिक आधार नहीं है।

जल्दी मेनोपॉज होने के क्या नुकसान हैं

यदि समय से 8-10 वर्ष पूर्व मेनोपॉज हो जाए तो इसका सीधा असर प्रजनन क्षमता पर पडता है। एस्ट्रोजन हॉर्मोन अच्छे एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को बढाता है और बुरे एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को घटाता है। यह रक्त-नलिकाओं को सुचारु-संतुलित रखता है और हड्डियों की सुरक्षा करता है। एस्ट्रोजन की समय-पूर्व कमी से शरीर व मन पर बुरा प्रभाव पडता है। ये प्रभाव हार्ट या कार्डियोवैस्कुलर डिजीज, आस्टियोपोरोसिस, पार्कि संस, डिमेंशिया, डिप्रेशन के रूप में नजर आते हैं।

स्मोकिंग से रहें दूर

अध्ययन बताते हैं कि स्मोकिंग से भी अर्ली मेनोपॉज का खतरा रहता है। बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) भी इसका कारण हो सकता है। दरअसल एस्ट्रोजन फैट टिश्यूज में जमा होता है। दुबली स्त्रियों में एस्ट्रोजन कम जमा होता है, लिहाजा उनमें मेनोपॉज जल्दी हो सकता है, जबकि थोड़ा अधिक बीएमआइ वाली स्त्रियों में लेट मेनोपॉज भी संभव है।

रजोनिवृत्ति के दौरान क्यों बढ़ता है वजन

  • यदि आप सोच रही हैं कि रजोनिवृत्ति के दौरान कैसे वजन कम करें, तो आपको बस इतना करना होगा कि आपको अपनी जीवन शैली में स्थायी परिवर्तन लाना होगा और एक स्वस्थ जीवनशैली का पालन करना होगा। 
  • एक सक्रिय जीवनशैली अपनानी होगी। इसके लिए नियमित रूप से एरोबिक एवं योगा जैसी गतिविधियों को अपने रोज के जीवन में शामिल करें। इससे आपके शरीर से अतिरिक्‍त कैलोरी कम होगी।
  • जब आप रजोनिवृत्ति में की स्थिति से गुजर रही होती है। तो ऐसे में वजन कम करना एक चुनौती की तरह लगता हैं। आप अपने अतिरिक्त वजन को कम करने के लिए कम खाने की कोशिश करती है। उदाहरण के लिए, आपको 50 साल की उम्र में 30 साल की उम्र से 200 कैलोरी मात्रा भोजन ज्‍यादा खाना चाहिए। हालांकि, कम खाने का मतलब ये नहीं की आप अपने भोजन में पोषक तत्वों की कमी करें।
  • साथ ही, स्वस्थ रहने के लिए ये भी जरूरी समय पर भोजन करें। अपने भोजन में ताजा सब्जियां, फल और साबुत अनाज को जरूर शामिल करें। दुबली महिलाएं प्रोटीन या फैटी चीजें भी खा सकती है इस दौरान। भोजन ना करने का ख्‍याल अपने दिल में बिल्‍कुल ना लाए, क्‍योंकि इस दौरान अच्‍छे आहार ही जरूरत होती है।
  • लेकिन इस दौरान तेल, मीठा, वसा और परिष्कृत खाद्य पदार्थों के अधिक मात्रा में सेवन से बचे। रजोनिवृत्ति भावनात्मक उथल-पुथल का भी समय होता है। इसलिए, ऐसे में अवसाद वाले भोजन से बचना चाहिए।
  • जब आप ये नहीं समझ पाती कि रजोनिवृत्ति के दौरान वजन कैसे कम करें, तो आप तरीकों की तलाश करने लगती है। ऐसे में बेहतर होगा की आप अपने आहार को कम करने के बजाए व्यायाम जैसे तरिको पर ध्‍यान दे। साथ ही अपने रोज की गतिविधियों में भी कटोती ना करें।
  • रजोनिवृत्ति के दौरान वजन बढ़ने से और भी कई स्वास्थ्य जटिलताएं हो सकती है। आम जटिलताओं में कोलेस्ट्रॉल के स्तर का बढ़ना, उच्च रक्तचाप की समस्‍या और टाइप 2 मधुमेह जैसी बीमारियां जो सीधे तौर पर वजन बढ़ने के साथ जुड़े होते हैं। इससे हृदय जटिलताओ का खतरा भी बढ़ सकता है। 
  • इस उम्र में वजन का बढ़ना कोलोरेक्टल और स्तन कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं। अपनी जीवन शैली में सकारात्मक परिवर्तन करके आप ऐसी समस्‍याओं से बच सकती हैं।

अर्ली मेनोपॉज को रोकने की टिप्स

  • विटमिन डी का स्तर सही रखें। इसके लिए सुबह 11 बजे से पहले और शाम को 4 बजे के बाद की धूप में रहना अच्छा है। कम से कम 15 मिनट धूप में रहें। वैसे यह सीमा अलग-अलग जलवायु के अनुसार अलग हो सकती है। भारत में सुबह 8 से 10 बजे की धूप विटमिन डी की अच्छी स्रोत होती है।
  • विटमिन डी की कमी हो तो इसके सप्लीमेंट्स लेने जरूरी हैं।
  • दिन में 2-3 सर्विग कैल्शियम युक्त डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करें।
  • मसल स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइजऔर नियमित पैदल चलना जरूरी है।
  • अर्ली मेनोपॉज के बाद हार्ट डिजीज की आशंका बढ जाती है। इसलिए लाइफस्टाइल को सक्रिय रखना जरूरी है। कोलेस्ट्रॉल स्तर को संतुलित रखें, नियमित सैर व व्यायाम करें, वजन नियंत्रित रखें, ताजे फल व सब्जियों का सेवन अधिक करें और कार्ब कम करें। ऑयली फूड, घी, बटर, तले-भुने खाने का सेवन कम करें और लिक्विड डाइट बढाएं। परिवार में पहले किसी को हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत रही हो तो नियमित ब्लड प्रेशर की जांच करें। ऐसी डाइट लें जो हृदय की सेहत को ठीक रखें।
  • यदि 40 की उम्र से पहले मेनोपॉज हो तो हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी) दी जाती है। हालांकि इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं। जिनके परिवार में किसी को ब्रेस्ट कैंसर हो, उन्हें एचआरटी नहीं दी जाती।

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