मानसून में होने वाली झमाझम बारिश सभी को अच्छी लगती है। पर ये स्वास्थ्य को नुकसान भी पहुंचा सकती है। ये सिर्फ चाय पकौड़ो की ही दावत नहीं देता बल्कि बीमारियों को भी खुला न्यौता होता है। मानसून में कई तरह की एलर्जी और बुखार आदि की शिकायत आम बात होती है। गौरतलब है कि मानसून के दौरान हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बहुत ही कम हो जाती है। कई तरह के संक्रमण हमारे शरीर में प्रवेश करने लगते हैं, जो कई तरह के रोग उत्पन्न करते है। लेकिन अगर आप पहले से ही सावधानी रखें तो बिना बीमार पड़े बारिश का मजा ले सकते है। और हां बारिश चाहे जितनी भी पंसद क्यों ना हो, भीगने की गलती बिल्कुल भी ना करें। मानसून में होने वाली एलर्जी के बारे में पढ़ें।
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सर्दी, जुकाम और बुखार
- मानसून में सर्दी, जुकाम और बुखार का होना सामान्य माना जाता है। बरसात के दिनों में कहर बरपाने वाला वायरल बुखार अत्यंत संक्रामक रोग है जिससे कोई भी व्यक्ति किसी भी समय और कहीं भी ग्रस्त हो सकता है। बुखार, गला खराब होना, छींक आते रहना आदि इसके पमुख लक्षण होते है। लेकिन मानसून के इस सामान्य बुखार को भी हल्के में लेना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।
- वायरल बुखार के इलाज के तौर पर सबसे जरूरी बुखार को कम रखना है। इसके लिए ठंडे पानी की पट्टी का इस्तेमाल करना चाहिये तथा बुखार निवारक दवाईयां लेनी चाहिये। इस बुखार में रोगी के शरीर में पानी की कमी हो जाती है इसलिए रोगी को पानी, गर्म सूप, गर्म दूध, जूस आदि का अधिक सेवन करना चाहिए और आराम करना चाहिए।
कंजक्टिवाइटिस
- इस मौसम में कंजक्टिवाइटिस की समस्या भी आम होती है। यह संक्रामक रोग एडीनो वायरस की वजह से होता है। वायरल इंफेक्शन में आंख में लालिमा, पानी निकलने व रोशनी के प्रति संवेदनशीलता बढऩे और कुछ मामलों में मरीज को हल्का बुखार व गला खराब होने की शिकायत रहती है।ज्यादातर मामलों में यदि यह वायरल तरीके से व्यक्ति की एक या दोनों आंखों को प्रभावित करे तो 4-5 दिन में खुद ही ठीक हो जाता है।
अस्थमा की शिकायत
- मानसून में अस्थमा की शिकायत भी ज्यादा हो जाती है। इसलिये इस मौसम में खास तौर पर अस्थमा के मरीजों को सावधानी रखनी चाहिये ताकि अटैक नहीं हो। अस्थमा होने पर सांस लेने में तकलीफ और खांसी जैसी समस्यायें पैदा होती हैं।अटैक से बचने के लिये धूम्रपान से परहेज करें तथा सिगरेट एवं बीड़ी के धुंये से बचें। पानी में भींगने से बचे।
त्वचा मे एलर्जी
- मानसून में त्वचा मे एलर्जी होने का खतरा भी बढ़ जाता है।वातावरण में नमी के बढ़ जाने की वजह से त्वचा की एलर्जी हो जाती है। नमी अधिक बढ़ जाने की वजह से फंगस वाली बीमारियों होने की संभावना भी बढ़ जाती है। वहीं नमी में कई तरह के बैक्टीरिया भी पैदा होते हैं, साथ ही हाउस डस्ट माइट की वजह से भी एलर्जी हो सकती है। इसलिए इस समय घर और बाथरूम में सीलन न पैदा होने दें।
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फूड प्वाइजनिंग का खतरा
- बारिश का मौसम में फूड प्वाइजनिंग का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। बाजार में मिलने वाले चाय पकोड़े में बैक्टीरिया की संभावना बहुत ज्यादा होती है। ऐसे में फूड प्वाइजनिंग होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए ही बारिश के दौरान बाहर का खाना मना किया जाता है। इस एलर्जी का सबसे बड़ा लक्षण होता है खाने के एक से छह घंटे के बीच उल्टी होना। अगर आपको भी ऐसे लक्षण दिख रहें तो सतर्क हो जाए।
चाहे बुखार हो या फिर मानसून स्किन एलर्जी खुद डॉक्टर न बनें, तुरंत सही समय पर सही डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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