बदल रही है मेंटल हेल्थ के बारे में लोगों की सोच, Healthcare Heroes Awards 2023 में एक्सपर्ट्स ने की चर्चा

Healthcare Heroes Awards: शो में मेंटल हेल्थ पर गहन चर्चा हुई। पेश है, इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।

Meera Tagore
Written by: Meera TagoreUpdated at: Mar 06, 2023 16:54 IST
बदल रही है मेंटल हेल्थ के बारे में लोगों की सोच, Healthcare Heroes Awards 2023 में एक्सपर्ट्स ने की चर्चा

3rd Edition of HealthCare Heroes Awards 2023

5 मार्च, रविवार शाम दिल्ली के ललित होटल में Jagran New Media ने Onlymyhealth Healthcare Heroes: Health-Tech & Well-Being Conclave & Awards 2023 का आयोजन किया। इस अवार्ड शो का प्रस्तुतकर्ता Dabur Vedic Tea था और सह-प्रस्तुतकर्ता Insta sheild और Piramal Finance था। ये समारोह स्वास्थ्य क्षेत्र में काम कर रहे जुझारू लोगों, उनकी उप्लब्धियों और सेहत से जुड़े तमाम विषयों पर चर्चा पर केंद्रित था। शो में देशभर से आए एक्सपर्ट्स और डॉक्टर्स ने अपनी बात रखी, साथ ही 10 से ज्यादा लोगों को हेल्थ केयर हीरोज के रूप में सम्मानित किया गया। साथ ही शो में देशभर से आए एक्सपर्ट्स और डॉक्टर्स ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। इन्हीं में से एक पैनल डिस्कशन का हम जिक्र कर रहे हैं। इसमें हमारे साथ मौजूद थे वरुण हांडा (को-फाउंडर ऑफ betterlyf.com) मुग्धा प्रधान (सीईओ एंड फाउंडर ITHRIVE), साक्षी मंध्यान (Founder of MANDHYAN CARE), डॉ. रचना खन्ना सिंह (फाउंडर एंड डायरेक्टर ऑफ THE MIND AND WELLNESS STUDIO) सी जे जाधव (चीफ एक्जिक्यूटिव ऑफिसर, INSTASHIELD)। आइए जानते हैं इस चर्चा की महत्वपूर्ण बातें।

टैबू में आई कमी

पिछले कई सालों में हमने देखा है कि मेंटल हेल्थ को लेकर लोगों की राय काफी बदली है। खासकर कोविड के बाद लोग खुलकर इस विषय में बात कर रहे हैं। इस संबंध में betterlyf.com के Co-Founder वरुण हांडा कहते हैं, ‘आप चाहे इसे खुशकिस्मती कहें या बदकिस्मती, यह सच है कि लोगों ने कोविड के दौरान और बाद में मेंटल हेल्थ को लेकर खुलकर बात करनी शुरू की है। अब बहुत सारे लोग मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट्स के पास जा रहे हैं। अपने स्वास्थ्य के बारे में बता रहे हैं। हालांकि अब भी यह नहीं कहा जा सकता है कि मेंटल हेल्थ से जुड़ा टैबू पूरी तरह खत्म हो गया है। लेकिन इसमें कमी जरूर देखी गई है। इसमें और कमी आए, इसके लिए हमें और मेहनत करनी होगी, और भी ज्यादा एफर्ट्स करने होंगे ताकि टैबू खत्म हो सके। इसमें मीडियो, स्कूल के टीचर्स बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।’ वह अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहते हैं, ‘कंटिन्यू एफर्ट की बहुत जरूरत है। कोविड ने मेंटल हेल्थ को ट्रिगर किया है और अब ये हम पर है कि हम इसे किस तरह बेहतर दिशा की ओर ले जाते हैं।’

स्टिग्मा दूर हो रहा है

डॉ. रचना सिंह खन्ना इसी विषय पर अपनी बात रखते हुए कहती हैं, ‘हां, यह सही है कि कोविड की वजह से ही सही, अब लोग मेंटल हेल्थ को लेकर बहुत स्प्ष्ट हुए हैं। वे समझ रहे हैं कि बेहतर स्वास्थ्य का मतलब सिर्फ शारीरिक रूप से फिट होना नहीं होता है, बल्कि मानिसक रूप से भी स्वस्थ रहना जरूरी है। यही नहीं, अब हेल्थ के 6 आयामों को देखा जा रहा है, जिसमें मेंटल हेल्थ, इमोशनल हेल्थ, इंटलेक्चुअल हेल्थ, सोशल हेल्थ, ऑक्यूपेशनल हेल्थ और स्पीरिचुअल हेल्थ शामिल हैं। लोग समझ रहे हैं कि अगर हमें फिट रहना है, तो हमारे लिए बहुत जरूरी है कि हम इन 6 आयामों में खुद को फिट रखें।’ इसके साथ ही डॉ. रचना ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘लोग महसूस कर चुके हैं कि अगर उन्हें स्वस्थ रहना है, तो वे इनमें से किसी भी तरह के आयाम को नजरंदाज नहीं कर सकते हैं। इसके साथ ही, हम टेक्नोलॉजी की भूमिका को भी दरकिनार नहीं कर सकते हैं। टेक्नोलॉजी के कारण ही अब काफी हद तक मेंटल हेल्थ से जुड़ा स्टिग्मा दूर हुआ है। सभी मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट्स अब महज एक क्लिक की दूरी पर रह गए हैं और यह टेक्नेलॉजी की मदद से संभव हो सका है। वास्तव में वर्चुअल प्लेटफॉर्म ने मेंटल हेल्थ को काफी बढ़ावा दिया है। हां, इन सबके बावजूद अब भी इस सफर में बहुत कुछ किया जाना बाकी है।’

लोग खुल रहे हैं

हम सभी ने नोटिस किया है कि कोविड के बाद लोग बहुत आसानी से मेंटल हेल्थ पर बात कर रहे हैं। ऐसा नहीं था कि पहले मेंटल हेल्थ से जुड़े मरीजों की संख्या कम थी। लेकिन कोविड ने मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को काफी बढ़ावा दिया है। इस पर इंस्टाशील्ड के सीईओ सी जाधव कहते हैं, ‘लोग वाकई कोविड के बाद से अपने मानसिक स्वास्थ्य पर बातचीत करते हुए हिचकिचाते नहीं है। लेकिन मेरा मानना है कि लोगों को और भी खुलना चाहिए, इस पर बात करनी चाहिए। खासकर देखें, तो हर उम्रवर्ग से जुड़े लोगों में किसी न किसी तरह मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या देखने में आती है। लेकिन युवा पीढ़ी इस पर ज्यादा खुलकर बात कर रही है।’  जबकि इसी विषय पर मंध्यान केयर की फाउंडर साक्षी मंध्यान कहती हैं, ‘मुझे इस इंडस्ट्री में करीब 15 साल हो चुके हैं। मैं उस समय की बात करूं जब मैंने इस क्षेत्र में कदम रखा था और मौजूदा समय की बात करूं, तो हां, मानिसक स्वास्थ्य को लेकर फर्क साफ दिख रहा है। पहले लोग गुपचुप तरीके से मानसिक स्वास्थ्य पर बात करते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं रह गया है। जैसे-जैसे मैंने इस क्षेत्र में समय बितया, कई कैंप्स किए, मैंने महसूस किया जब आप किसी विषय पर बहुत ज्यादा बात करते हैं, तो ज्यादा से ज्यादा लोग उस संबंध में जागरूक होते हैं, तभी ज्यादा से ज्यादा लोग उस पर बढ़-चढ़कर काम करते हैं और काम करने के लिए उत्साही भी नजर आते हैं। ऐसा ही मेंटेल हेल्थ के साथ हो रहा है।’

बेहतर समझ विकसित हुई

साक्षी मंध्यान अपनी बात जारी रखते हुए कहती हैं, ‘मैंने अपने करियर के दौरान इस चीज को गहराई से समझा है कि किसी चीज की जब बहुत जरूरत हो, उसे एक्सपोजर मिले, तो उसे समझने की आसानी होती है। मेंटल हेल्थ की बेहतरी की जरूरत ने इसे एक्सपोजर दिया और अब लोगों के लिए इसे समझने में सहजता होती है। हालांकि अब भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है, लेकिन एक्सपोजर की मदद से हम लोगों में और जागरूकता फैला सकते हैं।’ वास्तव में मेंटल हेल्थ को अब पहले की तुलना में काफी नैचुरल तरीके से लिया जाने लगा है। जहां, पहले लोग अपने फिजिशयन के पास जाते थे या न्यूट्रिशनिस्ट के पास आसानी से जाते थे। लेकिन मेंटल हेल्थ ट्रीटमेंट ले रहे हैं, ऐसा किसी को नहीं बताते थे। जबकि अब देखा जा सकता है कि लोग आसानी से दूसरों को यह बताते नजर आते हैं कि उनके थेरेपिस्ट कौन हैं या फिर वे थेरेपी सेशंस लेते हैं।’

धैर्य है जरूरी

वैसे तो मेंटल हेल्थ के बारे में अब भी जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। लेकिन जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ रही है, वैसे-वैसे लोगों में मेंटल हेल्थ से रिकवरी की जल्दबाजी देखने को मिल रही है। इस बारे में आईथ्राइव की सीईओ और फाउंडर मुग्धा प्रधान कहती हैं, ‘इसमें कोई दो राय नहीं है कि मेंटल हेल्थ को लेकर जागरूकता बढ़ी है। लेकिन इसके साथ ही लोगों में मेंटल हेल्थ से ठीक होने की जल्दबाजी भी दिख रही है। देखा जा रहा है कि लोग कहते हैं कि मुझे गोली दे दो और एंग्जाइटी कम कर दो, ठीक वैसे ही जैसे डायबिटीज के मरीजों को दवा देकर उनका मधुमेह का स्तर संतुलित किया जाता है। लेकिन लोगों को यह समझना होगा कि यह मानसिक स्वास्थ्य है। इसमें गोली खाकर आप खुद को नहीं ठीक कर सकते हैं। इसकी रिकवरी में समय लगता है। ऐसे में आपको धैर्य बनाए रखना जरूरी है। आप सिर्फ सुपर फूड खाकर खुद को स्ट्रेस फ्री या एंग्जाइटी से मुक्त नहीं कर सकते। मेंटल हेल्थ को सुधारने के लिए धैय बनाए रखना बहुत जरूरी है।’

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