केलोइड्स त्वचा पर छालेनुमा निकला गुलाबी रंग का एक चकत्ता होता है। हालांकि ये अन्य चकत्तों से बिल्कुल अलग होता है। ये खुद से खत्म नहीं होते हैं इनका इलाज कराना पड़ता है। हालांकि कुछ छोटे चकत्ते कई बार खुद से ही खत्म हो जाते है। ये नकसानदायक नहीं होते है। त्वचा का ये रेशेदार तत्व घातक नहीं होता है, ना ही इसमें दर्द का अनुभव होता है। हालांकि इसमें खुजली होती रहती है। त्वचा की चोट का ठीक से उपचार नहीं होने के कारण केलोइड्स का बन जाता है। ये किसी भी तरह की चोट, कटने, चिकनपॉक्स, छेदन, जलने , मुंहासे , कीड़े के काटने आदि के कारण हो जाता है।
- जब शरीर कोलेजन, एक तरह का प्रोटीन का ज्यादा मात्रा मे निर्माण करता है तो केलोइड्स का बनता है। कोलेजन एक तरह की जिल्द होती है, जो चोट को ठीक करने के लिए जरूरी होती है। जब चोट में संक्रमण होता है तो ये केलोइड्स बन जाते है। शोध के अनुसार जिनकी त्वचा का रंग गहरा होता है उनमें केलोइड्स ज्यादा बनते है।
- टी ट्री तेल एक एंटीसेप्टिक,एंटीवायरल एवं एंटीफंगल औषधि के रूप में भी काम करता है।टी ट्री ऑयल एक एंटी माइक्रोबियल है, जो रेशेज और जलन को काफी हद तक कम कर देता है। जिससे आपके केलोइड्स धीरे धीरे सूखने लगते है। त्वचा से बैक्टीरिया हटाता है अतः जलन की समस्या अपने आप ही समाप्त हो जाती है।
- केलोइड्स को साफ करने के लिए एक कप गर्म डिस्टिल पानी में आधा चम्मच समुद्री नमक मिलाए और कुछ बूंडे एंशेशियल ऑयल की मिलाए। फिर केलोइड्स प्रभावित एरिया को 15 मिनट के लिए इसमें भिगो दे। इस ट्रीटमेंट को लगातार 15 दिन के लिए करें।
- आप विटामिन ई तेल के साथ सीधे से इसे केलोइड्य पर लगा सकते है। अगर एशेशियल ऑयल से किसी भी तरह की एलर्जी है तो पानी में केवल टी ट्री ऑयल ही मिलाए।
- अगर आपकी त्वचा में दाग धब्बों की वजह से जलन होती है तो यह जलन भी टी ट्री आयल के ज़रिये दूर हो जाती है।छोटी मोटी चोट या जले से परेशान हैं तो इसके लिए भी आप टी ट्री ऑयल का इस्तेमाल कर सकते हैं। छाले और फफोलों से भी आपको टी ट्री ऑयल आसानी से छुटकारा दिला सकता हैं।
- टी ट्री ऑइल इस संक्रमण को दूर करने में काफी अहम सिद्ध होता है। ज़्यादा पसीने,जलन एवं खुजली की वजह से ये संक्रमण होता है और यह सारी समस्याओं को दूर भगाता है। टी ट्री ऑयल के इस्तेमाल से आपकी रूखी त्वचा को नमी मिलती हैं।
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