
2004 में आई सुनामी के बाद हुई तबाही के बाद क्या आज हम आपदा से निपटने के लिए तैयार हैं?
15 साल पहले आज ही के दिन यानी साल 2004 में क्रिसमस के अगले दिन समुद्री तूफान ने एक भयंकर रूप ले लिया था। ज्यादातर जगहों पर क्रिसमस का जश्न धमाकेदार तरीके से मनाया गया था। लेकिन इससे बाद ही सुबह 6 बजकर 28 मिनट पर समुद्री तूफान ने तबाही मचा दी थी।
सुनामी से बचने के लिए लोग कुछ समझ पाते सुनामी की लहरों ने भारत समेत हिंद महासागर किनारे के 14 देशों में कई किलोमीटर दूर तक तबाही मचा दी थी। इस तबाही के कुछ ही पल में ही बड़े-बड़े पुल, घर, इमारतें, गाड़ियां, लोग, जानवर और पेड़ सब समुद्र की इन लहरों में बहने लगे थे।
26 दिसंबर 2004 के दिन इंडोनेशिया के एक द्वीप में लगभग 9.0 की तीव्रता से भूकंप के कई झटके लगने से हिंद महासागर में उठी सुनामी से दुनियाभर में करीब 2 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। इसमें से अकेले भारत में 16,279 लोग मारे गए या लापता हो गए थे। आपदा इतनी बड़ी थी कि मृतकों के शव कई दिनों तक बरामद किए जाते रहे। अब भी बहुत से लोग लापता हैं, जिनका उस आपदा के बाद से कुछ पता नहीं है।
शुरूआती दो घंटे में पश्चिम की तरफ बढ़ती सुनामी ने श्रीलंका और दक्षिण भारत को अपनी चपेट में ले लिया था। तब तक प्रभावित देशों में समाचार एजेंसियो ने सुनामी से तबाही की रिपोर्ट देनी शुरू कर दी थी, लेकिन इससे निपटने की कोई तैयारी नहीं कर पाएं। यही वजह थी कि मालद्वीप और सेशल्स के समुद्री किनारों पर करीब साढ़े तीन घंटे बाद सुनामी ने दस्तक दे दी थी। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि साल 2004 में आई सुनामी में 9 हजार परमाणु बमों जितनी प्रभावशाली थी।
साल 2004 में आई ये सुनामी अब तक के इतिहास की सबसे भयंकर सुनामी मानी जाती है। आज भी जब उस सुनामी को लोग याद करते हैं तो कांप उठते हैं। बता दें कि उस सुनामी के बाद से ही 26 दिसंबर की इस तारीख को प्राकृतिक आपदा सुनामी के लिए भी जाना जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन, साउथ-ईस्ट एशिया(WHO South-East Asia) के रिजनल डायरेक्टर डॉ. पुनम खेतरापाल सिंह के मुताबिक, सुनामी के 15 साल बाद आज भी उस सुनामी का खतरा प्रभावित इलाके में बना हुआ है। डॉ. पुनम के मुताबिक, पिछले 15 सालों में हमने अपनी क्षमताओं को लेकर काफी बदलाव किया है। आज का दिन हमे याद दिलाता है कि हमे किसी भी तरह उस तरह की चीजों से बचाव करना पड़ेगा जिससे कहीं भी लोगों की जान बचा सकें।
इसी साल सितंबर के महीने में सभी देशों के प्रभावित इलाकों के सदस्यों ने आपात स्थिति पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए 'दिल्ली घोषणा' को अपनाया। इस घोषणा में मुख्य बातें थी कि कैसे इस तरह की आपदा के लिए तैयार कैसे हो।
द साउथ-ईस्ट एशिया रिजनल हेल्द एमरजेंसी फंड(South-East Asia Regional Health Emergency Fund) साल 2008 में बनाया गया। जो आपात स्थिति में स्वास्थ्य आपदा में मदद करेगा। सभी देशों के पास हेल्थ इमरजेंसी' सेंटर है जो आपात स्थिति में स्वास्थ्य आपदा से निपटने के लिए सभी चीजों को उपलब्ध कराएगा।
डॉ. खेतरापाल सिंह के मुताबिक, बल्कि जब भी हमने ऐसी स्थिति में प्रतिक्रिया दी है उससे हमे बहुत कुछ सीखने को मिला है। हमे इस बात का पता चला कि जो चीजें हैं वो आपात स्थिति के लिए काफी नहीं है। इसके लिए हमे जरूरत है कि हम और भी बेहतर तरीके से उन स्थितियों के लिए तैयार हों जो स्वास्थ्य आपदा में कामयाब हो सके।
सुनामी से निपटने के तरीके
- आप सुनामी के बारे में अपने परिवार और जानकारों से बातचीत करें जिससे की सुनामी की जागरुकता हो सके। जिसे सुनामी के बारे में जानकारी है कोशिश करें की आप उसे सभी जरूरी चीजें पता करें।
- आप अपने घर, ऑफिस, स्कूल और कॉलेज जैसी जगहों के बारे में जानकारी लें कि वो जगह आपदा के खतरे से दूर है या नहीं।
- इसके अलावा आपको पता होना चाहिए की अगर सुनामी आए तो कैसे जगह को खाली करना चाहिए। इसके लिए समय-समय पर अभ्यास जरूरी है।
- अगर आपको भूकंप का अभास हो तो आप अपने परिवार के लोगों के साथ समुद्र से दूर जाने की कोशिश करें।
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