
आजकल स्मार्टफोन और इंटरनेट लोगों के जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया है। सुबह आंख खुलने के बाद लोग अपने शुरू हुए दिन के बारे में बाद में सोचते हैं, पहले मोबाइल के नोटिफिकेशन को चेक करते हैं। ऑफिस तो ऑफिस आजकल घर के भी 10 में से 4 काम मोबाइल के जरिए ही होते हैं। पहले घरों में सब्जी खत्म हो जाती थी तो लोग बाजार जाते थे, लेकिन अब मोबाइल उठाया, ऐप खोला, बैंक अकाउंट से पेमेंट की और सिर्फ आधे घंटे में सब्जी आपके दरवाजे के बाहर रखी हुई मिलेगी। मोबाइल और इंटरनेट ने बेशक लोगों की जिंदगी को आसान बना दिया है। पर इसका दिमाग पर बहुत गहरा असर पड़ रहा है। खासकर टीएनएज के जो बच्चे दिनभर मोबाइल में वीडियो गेम, रील्स, वीडियो देखना और खुद वीडियो बनाने में लगे रहते हैं। यह उनके दिमाग को प्रभावित कर रहा है। हालही में पीएलओएस मेंटल हेल्थ नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि स्मार्टफोन टीएनएज बच्चों के दिमाग को प्रभावित करके उसे एक नया आकार दे रहा है। अध्ययन के अनुसार, मोबाइल और इंटरनेट का ज्यादा इस्तेमाल करने की वजह से टीएनएज के बच्चों का खानपान, दिमाग के सोचने की क्षमता और रहन-सहन को प्रभावित कर रहा है।
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200 से ज्यादा टीएनएज पर किया गया शोध
मोबाइल और इंटरनेट बच्चों के दिमाग को कैसे प्रभावित कर रहा है, इस पर अध्ययन करने के लिए शोधकर्ताओं ने 10 साल से 19 साल के टीएनएज बच्चों के मोबाइल फोन चलाने से पहले और कुछ वक्त मोबाइल फोन न चलने के बाद उनका व्यवहार कैसा था, इस पर ध्यान दिया। शोध के दौरान पता चला कि जो बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल ज्यादा करते थे, उनके काम पर फोकस बनाने, कोई फैसला लेने और बातों को याद करने की क्षमता काफी कम थी। इतना ही नहीं ज्यादा मोबाइल इस्तेमाल करने वाले बच्चे असल जिंदगी में लोगों से कम कनेक्शन बनाना पसंद कर रहे थे। वहीं जिन बच्चों ने सीमित मात्रा या कम फोन का इस्तेमाल किया, उन्हें सोचने और फोकस बनाने में किसी तरह की परेशानी नहीं आई। इस दौरान शोधकर्ताओं ने बच्चों की दिमागी हालत को जांचने के लिए कार्यात्मक चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एफएमआरआई) का इस्तेमाल किया। ताकि इस बात की जानकारी मिल सके कि इंटरनेट का इस्तेमाल करने के बाद बच्चों के दिमाग किस तरह से रिएक्ट करता है।
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200 से ज्यादा बच्चों पर शोध करने के बाद शोधकर्ताओं ने कहा कि ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल करने से टीएनएज बच्चों की सामजिक स्थित, मानसिक स्वास्थ्य और बौद्धिक विकास प्रभावित हो रहा है। इतना ही नहीं मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करने की चाह में टीएनएज बच्चे चाय, कॉफी, सिगरेट और शराब जैसी बुरी आदतों में फंस रहे हैं।
टीएनएज बच्चों को मोबाइल से दूर रखने के तरीके
टीएनएज बच्चों को मोबाइल से दूर रखने का सबसे आसान तरीका है, उन्हें रोजमर्रा के कामों में बिजी रखना। इस उम्र के बच्चों को बिजी रखने के लिए आप उन्हें घर के छोटे-छोटे काम, कुकिंग और क्लीनिंग जैसी चीजों में शामिल कर सकते हैं।
बच्चों को बिजी रखना बेस्ट तरीका होता है, उनकी फेवरेट चीज करना। अगर आपका बच्चा ज्यादा फोन चलाता है, तो उसे पेटिंग, डांसिंग, क्रिकेट और कुकिंग जैसी चीजें सिखाइए। इस उम्र में बच्चे न सिर्फ नया करना चाहते हैं बल्कि रोजान कुछ नया सीखना भी पसंद करते हैं।
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अक्सर देखा जाता है कि टीएनएज के बच्चों के दोस्तों भी फिक्स होते हैं। ऐसे में अपने बच्चों से कहिए कि वह दोस्तों से मिले। उनके साथ खेलने जाए या फिर पर दोस्तों के साथ कोई एक्टिविटी करें, ताकि उसका ध्यान मोबाइल पर न जाए।
टीएनएज के बच्चों को माता-पिता के ज्यादा प्यार की जरूरत होती है। अपने काम और घर की जरूरतों को थोड़े वक्त के साथ साइड में रखकर उनके साथ वक्त बिताए। बच्चों से पूछें कि उनका दिन कैसा गया, उन्होंने स्कूल में क्या किया।
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