स्वाद और सुगंध को प्रभावित करने वाले रंगों के वैज्ञानिक कारण

सिनेस्थेसिया एक तरह की मानिसक बीमारी है, इसके रोगियों की एक अलग दुनिया होती है, उनके देखने, सुनने और समझने का तरीका भी अलग होता है, इस बारे में ज्यादा जानने के लिए ये लेख पढ़ें।
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स्वाद और सुगंध को प्रभावित करने वाले रंगों के वैज्ञानिक कारण

कुछ लोगों में ये देखने को मिलता है कि उनके आस-पास के रंग उनके खाने के स्वाद और सुगंध को प्रभावित कर रहे हैं। इसका कारण सिनेस्थेसिया है। सिनेस्थेसिया की जद में आए लोग दुनिया को अलग नजरिए से देखते हैं और यहां तक कि वे एक ही साथ कई इंद्रियों की अतिसक्रियता के कारण गति या किसी हरकत का न सिर्फ अनुभव करने, बल्कि सुनने का भी दावा करते हैं। सिनेस्थेसिया एक ऐसी दिमागी स्थिति है, जिसमें लोगों का संवेदी तंत्र अति सक्रिय हो जाता है। इसके बारे में विस्‍तार से इस लेख में जानें।

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सिनेस्थेसिया क्या है

एक साथ कई ज्ञानेंद्रियां सक्रिय हो जाती हैं। मसलन, किसी लिखी हुई संख्या या अक्षर को पढ़कर उनके दिमाग में उस संख्या या अक्षर का रंग भी चक्कर काटने लगता है। वे संख्या या अक्षर का अनुभव अक्षर के संदर्भ में करने लगते हैं। इसी तरह सफेद कागज का कोई टुकड़ा किसी को इंद्रधनुशी दिखाई देने लगता है। कैलीफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने अब एक नए तरह के सिनेस्थेसिया का पता लगाया है। इसे साउंड सिनेस्थेसिया कहा गया है। इसके शिकार लोग गति, विचलन, हरकत, संवेग में भी आवाज सुनने का दावा करते हैं। मसलन अगर कोई व्यक्ति यह दावा करता है कि उसे मधुमक्खी के उड़ने की आवाज आ रही है, तो सामान्य बात है, क्योंकि ऐसा होता है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति खामोश नि:स्राव, भंवर की आवाज सुनने का दावा है तो इसे इसी श्रेणी के सिनेस्थेसिया में गिना जाता है।सिनेस्थेसिया के शिकार लोगों में से कई इसे कुदरती वरदान मानते हैं।

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सिनेस्थेसिया का खाने पर असर

ये बात शायद कम ही लोग जानते है कि सिनेस्थेसिया ये पीडि़त लोग को लिए उनके आसपास का रंग खाने का स्वाद और महक को बदल देता है। उसके आसपास का रंग खाने के प्रति उसकी रूचि को प्रभावित कर देता है। लाल रंग से उसे खाना अच्छा लगने लगता है, नीले से मन दुखी होने के कारण खराब और अगर आसपास हरा रंग हो तो द्वेष की भावना रहती है जो खाने के स्वाद बिगाड़ देती है। रंगो का दिमाग पर बहुत असर होता है। जो उसके मन की स्थिति को बनाते है। उसी अनुसार खाने का स्वाद भी तय होता है। इसका वैज्ञानिक कारण यही समझा गया है कि कैसे रंग आखों और पर दिमाग पर असर डालते है।  

 मनोचिकित्सकों के मुताबिक ऐसे लोगों को स्वाद, आवाज, रंग, दृश्य आदि को लेकर भ्रम पैदा होता रहता है। शोधकर्ता मेलिसा साएंज और उनके सहयोगी क्रिस्टोफ कोच के मुताबिक यह पहला मौका है जब उन्हें साउंड यानी ऑडिटरी सिनेस्थेसिया का मामला मिला है।


Image Source- livingperception & oxfordstudent


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