किडनी कैंसर के मरीज के लिए शुरूआती दौर में कैंसर के लक्षणों का पता ना चलना सामान्य है। कभी कभी पेट का एक्स रे करते समय किडनी में ट्यूमर का पता चल जाता है। अक्सर किडनी में कैंसर का पता प्रयोगशाला में जांच के बाद लगता है। प्रयोगशाला में हुई जांच के असामान्य नतीजों का पहला सुराग इसी दौरान मिलता है। और इनमें से कुछ कैंसर का पता हार्मोन या रासायनिक प्रभावों से चलता है। असामान्य निष्कर्ष कुछ इस प्रकार के हो सकते हैं जैसे :
- एनीमिया (रेड ब्लैड सेल की कमी )
- एरिथ्रोपोयटीन हार्मोन की अधिकता के कारण आर बी सीज़ (रेड ब्लड सेल्स) का अत्यधिक बढ़ना
- लीवर का असामान्य तरीके से काम करना
- रक्त में कैल्शियम का असामान्य स्तर
- किडनी का असामान्य तरीके से काम करना
शारीरिक परीक्षण के दौरान चिकित्सक आपके पेट के एक तरफ की गांठ की पहचान करेगा। अगर चिकित्सक को आपमें किडनी के कैंसर का शक है तो वह आपको पेट का सीटी स्कैन कराने की सलाह देगा या फिर ट्यूमर की जांच के लिए पेल्विस की जांच की सलाह देगा । सीटी स्कैरन में एक्स रे बीम विभिन्न कोणों पर शरीर का बिम्ब बनाती है और ऐसे में किडनी के अंदर, पेट के अंग या पेल्विक अंगों की जांच की जाती है ।
दूसरी जांच के लिए किडनी के कैंसर की जांच
- इन्ट्रावेनस पाइलोग्राम : इन्ट्रावेनस पाइलोग्राम एक्स रे जांच में वेन्स में एक डाई का इंजेक्शन लगा दिया जाता है। इस डाई को किडनी में इकट्ठा कर लिया जाता है और यूरीन के साथ निष्कासित कर दिया जाता है। यह डाई यूरीन के रास्ते को एक्स रे पर आकर्षित करती है । यह जांच किडनी के कैंसर का पता लगाने में और आस पास में किडनी में हुई क्षति का पता लगाने में सहायक होती है। हालांकि कैंसर की जांच का मुख्य आधार होने के बाद भी यह जांच यू एस में बहुधा ही की जाती है ।
- अल्ट्रा साउण्ड : इस जांच में ध्वनि तरंगों की मदद से यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि किडनी में मौजूद गांठ नान कैंसर है या फ्लुइड फिल्ड सिस्ट है या कैंसरस ट्यूमर है ।
- चेस्ट एक्स रे और फेफड़ों का सी टी स्कैन : इस जांच से यह पता चलता है कि किडनी का कैंसर फेफड़ों तक फैला हुआ है या चेस्ट के आसपास की हड्डियों तक फैला हुआ है ।
- यूरीन एनालीसिस : रेनल सेल कार्सिनोमा के लगभग 50 प्रतिशत मरीज हीमोटोयूरीया (यूरीन में रक्त के आने) जैसी समस्या के शिकार होते हैं। यूरीन की रासायनिक जांच और माइक्रोस्कोरपिक जांच से रक्त की उस छोटी मात्रा की जांच करते है जो कि आंखो से नहीं दिखते हैं ।
- हड्डियों का स्कैन : इस जांच में छोटे और सुरक्षित स्तर के रेडियोएक्टिव सामान से कैंसर की जांच की जाती है कि कैंसर हड्डियों तक फैला है या नहीं ।
- वेनोग्राफी :इस एक्स रे जांच में कैंसर का पता लगाने के लिए एक डाई को इन्फीसरियर वेना केवा नामक वेन में इन्जेंक्ट कर दिया जाता है और इससे यह पता लगाने में आसानी होती है कि कैंसर रेनल वेन या वेना केवा तक फैला है या नहीं । आज इस जांच की आवश्यकता बहुधा ही होती है क्योंकि एम आर आई की मदद से भी यही जानकारी मिल जाती है ।
- आर्टरियोग्राफी :इस एक्स रे जांच में आर्टरी में एक डाई का इंजेक्शंन लगाया जाता है, जिससे किडनी की रक्त वाहिनियां रेखांकित होती हैं। आज इस जांच की आवश्यकता बहुधा ही होती है क्योंकि यही जानकारी एम आर आई से भी मिल जाती है।
- मैगनेटिक रेज़ोनैंस इमेजि़ग (एम आर आई) : इस जांच में बडे़ चुम्बक और रेडियो तरंगों का प्रयोग किया जाता है और किडनी के आसपास के अंगों की एम आर आई की जाती है। यह जांच उन लोगों में ज्यादा प्रभावी होती है, जो कि इन्ट्रा वेनस पायलोग्राफी डाई से एलर्जिक होते हैं। एम आर आई इसलिए भी की जाती है कि कैंसर पेट की मांसपेशियों में तो नहीं फैला है । कुछ एम आर आई मूल्यांकन पैथालाजिस्ट के देखने से पहले ही कैंसर के वास्तविक सेल के प्रकार का पता लगाने में सक्षम होते हैं ।
- रक्त जांच : एक पूर्ण रक्त गणना/ ब्लड काउण्ट (सी बी सी) से यह पता चल जाता है कि यहां बहुत कम रेड ब्लड सेल हैं या बहुत अधिक रेड ब्लड सेल (पालीसिथीमिया) है।
Image Source : Getty
Read More Articles on Kidney Cancer in Hindi
Read Next
एडीएचडी के लिए वैकल्पिक उपचार
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version