एडीएचडी दवा के दुष्प्रभावों से बचने के लिए लोगों द्वारा वैकल्पिक उपचार को तलाशा गया हैं। एडीएचडी के लिए वैकल्पिक उपचार में आहार में बदलाव, सामाजिक कौशल विकास, जैविक प्रतिक्रिया और व्यवहार में सुधार यह कुछ उपचार उपलब्ध हैं।
एडीएचडी के उपचार के रूप में व्यवहार में सुधार
यह एक पद्धति है, जिसमें वांछित व्यवहार को विशेषाधिकारों के साथ पुरस्कृत किया जाता है, जबकि बुरे व्यवहार पर विशेषाधिकार हटाने द्वारा या प्रासंगिक सज़ा देने के साथ हतोत्साहित किया जाता हैं। आमतौर पर एक बच्चे के व्यवहार पर अंक प्राप्ती के कार्यक्रम के लिए एक सप्ताह से अधिक समय तक सॉफ्टवेयर के साथ नजर रखी जाती हैं।नकारात्मक और सकारात्मक व्यवहार के लिए प्राप्त अंको को नोट किया जाता हैं।
एक सप्ताह या महीने के बाद, बच्चे को उसने प्राप्त किये अंको का कागज दिया जाता हैं, जो यह निर्धारित करता है कि वह एक इनाम या सजा का हकदार हैं। इस तरह की प्रणाली एक बच्चे के आत्म सम्मान का निर्माण करने में मदद करती हैं, क्योंकि अंततः वे उनके व्यवहार से प्राप्तांक के परिणाम को निर्धारित करते हैं। यह पद्धती तनाव मुक्त करने की एक एडीएचडी प्रणाली हैं।
एडीएचडी के लिए संवादात्मक मेट्रोनोमे प्रशिक्षण
कंप्यूटर से आ रही एक लयबद्ध ताल पर नक़ल करते हाथ और पैरों का ताल में दोहन एडीएचडी के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक पद्धति हैं। यह उपचार एडीएचडी के साथ जुड़ी व्यवहार की समस्याऐं संचालन करने वाली प्रेरक पेशी तंत्रिकाओं की कमी की वजह से होती हैं, इस विश्वास पर आधारित हैं।
संवादात्मक मेट्रोनोमे प्रशिक्षण रोगियों को लंबी अवधि के लिए ध्यान केंद्रित करने में, विकर्षण को अलग करने में मदद करता हैं, इसके अलावा होनेवाली शारीरिक और मानसिक गतिविधीयों की निगरानी करता हैं। एडीएचडी का निदान हुए 6 और 12 के बीच की उम्र के 56 लड़कों के समूह पर किये गये एक अध्ययन में, संवादात्मक मेट्रोनोमे प्रशिक्षण प्राप्त समुह में, जिन्होने वीडियो गेम प्रशिक्षण प्राप्त किया था और अन्य समुह जिन्होने ऐसा प्रशिक्षण नही प्राप्त किया था तुलना की गयी। और यह पाया गया कि जिन समूह ने संवादात्मक मेट्रोनोमे प्रशिक्षण प्राप्त किया था उनमें ध्यान केंद्रित करने की अवधि, व्यवहार और संचालन नियंत्रण अच्छा था।
एडीएचडी के लिए जैविक प्रतिक्रिया उपचार
जैविक प्रतिक्रिया या न्युरोफिडबॅक हस्तक्षेप एडीएचडी उपचार की एक विधि है जिसमें पीड़ित बच्चे के मस्तिष्क के थीटा और बीटा तरंगों को मापा जाता हैं। ऐसा माना जाता है कि एक एडीएचडी पीड़ित बच्चा एक औसत से ज्यादा थीटा तरंगों को देता हैं, लेकिन तुलना में बीटा तरंगों को कम देता हैं। तो, इस उपचार में बच्चे के मस्तिष्क को बीटा तरंगों को बढ़ाने के लिए और थीटा तरंगों को कम करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता हैं।
ईईजी पता लगाने वाली मस्तिष्क की चार तरंगों में, अल्फा (मध्यम), बीटा (तेज), थीटा (धीमा), और डेल्टा (गहरी नींद) हैं, वैज्ञानिक तरंग लंबाई का मापन कर सकते हैं और इलाज के लिए पैटर्न को पहचान सकते हैं। रोगी के मस्तिष्क तरंगों की निगरानी के लिए एक सिर गियर पहनने को कहा जाता है। जैसे मस्तिष्क के तरंग वांछित आवृत्ति तक पहुँचते हैं, रोगी के मस्तिष्क को एक संकेत भेज कर उसे सूचित किया जाता हैं। इस पद्धति के नियमित अभ्यास के साथ, रोगी उत्तेजना बढ़ाने और अपने दम पर अधिक बीटा तरंगों को फेंकने में सक्षम होते हैं।
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