
पिछले कुछ दशकों से दांतो का समय से पहले गिरना लोगों की एक बड़ी समस्या बना हुआ है। ओरल हेल्थ के लिए दांत बड़े महत्वपूर्ण होते हैं। अगर किसी व्यक्ति के दांत गिर जाएं, तो उसे खाना चबाने के साथ-साथ बोलने में भी परेशानी होती है। इसलिए दांतों का गिरना लोगों के लिए कष्टकारी होता है। दांत अगर बड़ी उम्र में उखड़ते हैं, तो इनका दोबारा आना मुश्किल होता है। इसलिए टूट चुके या गिर चुके दांतों की जगह नए आर्टिफिशियल दांत लगा दिए जाते हैं। दांतों का रिप्लेसमेंट एक कला है, जिसमें टूटे हुए दांत की जगह कृत्रिम दांत लगा दिया जाता है। इसे डेंटल प्रोस्थेसिस कहा जाता है। टूट जाने के बाद नए दांत लगाना क्यों जरूरी है और इसके लिए आर्टिफिशियल दांत या डेंचर कितने कारगर हो सकते हैं। बता रहे हैं Smiles Dental Clinic के सीनियर डेंटिस्ट और प्रोस्थोडॉन्टिस्ट डॉ. आनंद राज।
दांत टूट जाने पर नए दांत लगवाना क्यों जरूरी है
टूटे हुए दांत की जगह दूसरा दांत लगाना जरूरी क्यों है, इसके अनेक कारण हैं।
- आपके मुंह में पूरे दांत होने से आपमें आत्मविश्वास आता है। आपको चिंता नहीं रहती कि आपका टूटा दांत लोगों की नजर में आएगा।
- दांत टूटने पर जबड़े का वो हिस्सा, जिस पर दांत लगा होता है, उसका आकार कम हो जाता है। डेंटल इंप्लांट सपोर्टेड प्रोस्थेसिस से हड्डी बचाए रखने और अपने जबड़े का आकार बनाए रखने में मदद मिलती है।
- दांत टूटने से आपके बोलने के तरीके में परिवर्तन आ जाता है।
- दांत टूटने से आपकी चबाने तथा विभिन्न तरह की खाद्य वस्तु को खाने की क्षमता बदल जाती है। ऐसा आम तौर पर देखा जाता है कि चबाना मुश्किल हो जाने से लोग कुछ चीजें खाने से परहेज करने लगते हैं, इसलिए जिन लोगों के दांत टूटे हुए होते हैं, उनकी सेहत और शरीर पर भी इसका असर पड़ता है।
- दांतों के टूटने से दांतों के बीच खाली जगह बनती है। जिससे लंबे समय में दांतों का अरेंजमेंट गड़बड़ हो जाता है। और कई बार इसके कारण जबड़े के जोड़ में समस्या पैदा हो सकती है।

डेंचर लगाना भी है एक विकल्प
अगर किसी व्यक्ति के दांत गिर जाएं, तो उसके लिए डेंचर का इस्तेमाल करना सही होता है। दरअसल डेंचर नकली दांतों का एक सेट होता है, जो जबड़ों में फिट कर लिया जाता है। अधिकांश लोग अपने दांतों की जगह डेंचर लगवाना ही पसंद करते हैं। आज भारत में 45 साल से अधिक उम्र के हर 7 में से 1 व्यस्क डेंचर लगाता है। ये डेंचर संपूर्ण (Complete) या आंशिक (Partial) हो सकते हैं।
संपूर्ण डेंचर (Complete Denture)- संपूर्ण डेंचर प्लास्टिक आधार के बने होते हैं, जो मसूढ़ों के रंग का होता है और प्लास्टिक या पोर्सेलीन के दांतों का पूरा सेट इस पर लगा होता है।
आंशिक डेंचर (Partial Denture)- आंशिक डेंचर या तो प्लास्टिक बेस या फिर मैटल फ्रेमवर्क का बना होता है, जो रिप्लेस किए जाने वाले दांतों की संख्या को सपोर्ट करता है। इसे मुंह के अंदर क्लैस्प एवं रेस्ट द्वारा लगाकर रखा जाता है, जो आपके प्राकृतिक दांतों के चारों ओर स्थित हो जाते हैं।
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आपकी खूबसूरत मुस्कान को दोबारा पाने में मदद करते हैं डेंचर
चूंकि दांत आपके चेहरे की खूबसूरती और मुस्कान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसलिए ये कहा जा सकता है कि दांत गिरने के बाद डेंचर आपकी खूबसूरती को दोबारा पाने में मदद कर सकते हैं। अच्छी बात ये है कि ये दिखाई नहीं देते। डेंचर फिक्स करने से पहनने वाले को निम्नलिखित आराम मिलते हैं-
- चबाने की क्रिया में सुधार।
- बाईटिंग (काटने) के लिए बल मिलता है।
- डेंटल प्लाक कम या फिर बिल्कुल नहीं होने से डेंचर पहनने वालों की ओरल हाईज़ीन में सुधार।
- डेंचर बेस के नीचे खाने के कम अटकने के चलते म्यूकोसल इरीटेशन कम होता है।
- डेंचर पहनने वाले की मनोवैज्ञानिक सेहत में सुधार।
हालांकि दांतों का रिप्लेसमेंट तभी सफल होता है, जब मरीज उत्साहित हो एवं विभिन्न तरह के प्रोस्थेसिस, उनके उपयोग एवं मेंटेनेंस के बारे में जानता हो। ओरल हाईजीन, क्लीनिंग एवं डेंचर का सही उपयोग शुरुआत में थोड़ा मुश्किल लग सकता है, लेकिन यह आपके चेहरे की मुस्कुराहट को बरकरार रखने में महत्वपूर्ण हो सकता है।
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