'सोनिक अटैक' से फट सकती हैं दिमाग की नसें, जानिए क्या हैं इसके लक्षण

पिछले दिनों चीन में यूएस सरकार के कर्मचारियों और उनके परिवारों पर कथित रूप से 'सोनिक अटैक' किया गया, जिससे एक कर्मचारी के दिमाग में गहरी चोटें आई हैं। उसके पहले यूएस सरकार के ही कई कर्मचारियों पर क्यूबा में 2016 में इस तरह का कथित हमला किया गया था। इस घटना के साथ ही दुनियाभर में 'सोनिक अटैक' पर बहस एक बार फिर तेज हो गई है।
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'सोनिक अटैक' से फट सकती हैं दिमाग की नसें, जानिए क्या हैं इसके लक्षण

पिछले दिनों चीन में यूएस सरकार के कर्मचारियों और उनके परिवारों पर कथित रूप से 'सोनिक अटैक' किया गया, जिससे एक कर्मचारी के दिमाग में गहरी चोटें आई हैं। उसके पहले यूएस सरकार के ही कई कर्मचारियों पर क्यूबा में 2016 में इस तरह का कथित हमला किया गया था। इस घटना के साथ ही दुनियाभर में 'सोनिक अटैक' पर बहस एक बार फिर तेज हो गई है। क्या आप जानते हैं 'सोनिक अटैक' क्या है और दिमाग पर इस अटैक का कितना बुरा प्रभाव पड़ता है? सोनिक अटैक एक खतरनाक हमला है जो आवाजों के जरिए किया जाता है। अब आप सोचेंगे कि क्या आवाजें भी किसी की जान ले सकती हैं? आइये आपको शुरुआत से समझाते हैं।

हम आवाजें कैसे सुन पाते हैं?

सोनिक अटैक को समझने के लिए सबसे पहले आपको आपके कान के बारे में कुछ बातें जान लेनी चाहिए। कान हमारे शरीर के सबसे संवेदनशील अंगों में से एक है। वातावरण में मौजूद किसी भी प्रकार की ध्वनि यानि आवाज जब हमारे कानों में पड़ती है तो कान के अंदर मौजूद पर्दों में कंपन्न होता है। ये कंपन्न इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स में बदलते हैं और फिर तंत्रिकाओं यानि नर्व्स के सहारे दिमाग तक पहुंचते हैं। दिमाग इन इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स को फिर से कंपन्न में बदल देता है और आवाज हमें सुनाई देती है। अब सोचिए कि ये सब इतनी जल्दी होता है कि हमें कभी कान से लेकर दिमाग तक इन क्रियाओं का आभास भी नहीं होता है।

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सीमा से ज्यादा तेज ध्वनि नहीं सुन सकते हम

हमारे यानि मनुष्यों के कान के सुनने की क्षमता निर्धारित है। मनुष्य का कान केवल उन्हीं आवाजों को सुन सकता है जिसकी फ्रीक्वेंसी 20 हर्ट्ज से ज्यादा हो और 20 किलोहर्ट्ज से कम हो। यानि हमारा कान 20 हर्ट्ज से कम की ध्वनि को नहीं सुन सकता है और अगर ध्वनि 20 किलोहर्ट्ज से ज्यादा हो, तो भी कान सुन नहीं सकता मगर इतने भारी वाइब्रेशन का हमारे कानों पर कुछ तो असर होगा ही। ज्यादा हर्ट्ज की ध्वनि पैदा करने पर कान के पर्दों पर ज्यादा कंपन्न होगा और इसके कारण या तो कान के पर्दे फट जाएंगे या दिमाग तक इन कंपन्न को इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स के रूप में पहुंचाने वाली तंत्रिकाएं खराब हो जाएंगी या दिमाग पर इसका बुरा असर पड़ेगा।
हमारे सुनने की क्षमता से कम फ्रीक्वेंसी की ध्वनि यानि 20 हर्ट्ज से कम फ्रीक्वेंसी की ध्वनियों को हम इन्फ्रासाउंड कहते हैं और हमारे सुनने की क्षमता से ज्यादा फ्रीक्वेंसी की ध्वनि को हम अल्ट्रासाउंड कहते हैं, जिसका इस्तेमाल हम मेडिकल साइंस में शरीर के अंगों की अंदरूनी जानकारी के लिए करते हैं।

क्या तेज आवाज ले सकती है किसी की जान?

अब जब आप ये जान गए हैं कि आपका कान किस तरह आवाजों को सुनता है, तब आपको ये बात ज्यादा अच्छे से समझ आएगी कि अल्ट्रासोनिक अटैक क्या है। 'सोनिक अटैक' सोनिक हथियारों से किया गया हमला है। इस तरह के अटैक में सोनिक हथियारों के जरिए इतनी तेज आवाज पैदा की जाती है कि जिस वयक्ति के कान इन तरंगों का सामना करते हैं, उनके कान के पर्दे फट सकते हैं, दिमाग की नसें फट सकती हैं और वो आदमी पागल हो सकता है यहां तक कि उस व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। कुछ देशों में इसे सेना और पुलिस इस्तेमाल करती है मगर उन तरंगों की रेंज इतनी ही रखी जाती है कि व्यक्ति उससे परेशान होकर भाग जाए। खुले तौर पर इस तरह के हथियारों के इस्तेमाल का मामला अभी सामने नहीं आया है।

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क्या होता है सोनिक अटैक के दौरान

सोनिक अटैक के दौरान व्यक्ति को बहुत हल्की किरकिराहट की आवाज सुनाई देती है जैसे कोई कीट पतंग या मच्छर कान के पास तेज गति से भिनभिना रहा हो या जमीन पर पत्थर घिसा जा रहा हो। दरअसल ये आवाज व्यक्ति के कान के पर्दे की होती है जो तेज गति से कंपन्न कर रहा होता है। इस आवाज के कान में पड़ते ही व्यक्ति का दिमाग काम करना बंद कर देता है क्योंकि उसका सेंट्रल नर्वस सिस्टम इससे घायल हो सकता है। इस आवाज से व्यक्ति का दिमाग बुरी तरह घायल हो सकता है और कई बार नसों के फट जाने के कारण व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।

सोनिक अटैक के लक्षण और संकेत

  • सुनने की क्षमता चली जाना
  • उल्टी, मतली या तेज सिरदर्द की समस्या
  • कान के पास बहुत हल्की भिनभिनाहट या किरकिराहट की आवाज सुनाई देना जैसे कोई मच्छर भिनभिना रहा हो या जमीन पर पत्थर घिसा जा रहा हो। कई लोगों को ऐसा शोरगुल भी सुनाई पड़ सकता है जैसा क्रिकेट स्टेडियम में या किसी बहुत भीड़-भाड़ वाले इलाके में होता है।
  • सोचने, समझने की क्षमता और याददाश्त का चले जाना
  • शरीर का बैलेंस बनाना मुश्किल हो सकता है और व्यक्ति चलते-चलते, बैठे-बैठे या खड़े-खड़े गिर सकता है।
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