आंखों में बैक्टीरियल इंफेक्शन हो जाने के दौरान कई बार आंखें गुलाबी या हल्की लाल हो जाती हैं। पिंक कलर के कारण ही इसे सामान्य भाषा में पिंक आई कहते हैं जबकि चिकित्सा की भाषा में कंजक्टिवाइटिस कहा जाता है। इसका असर सबसे ज्यादा बच्चों पर होता है मगर बड़ों को भी ये बीमारी हो जाती है। कंजेक्टिवा आंख का एक हिस्सा होता है जिससे आंखे नम रहती हैं। कंजेक्टिवा के संक्रमित होने के बाद आंखों का रंग पिंक हो जाता है जिस कारण इसे पिंक आई कहा जाता है। पिंक आई किसी भी तरह से नुकसान तो नहीं करता लेकिन अगर इसका समय पर इलाज नहीं किया गया तो ये अगले पांच से दस दिनों तक परेशानी का सबब बन जाता है। ये शुरू में एक ही आंख में होता है लेकिन समय पर इलाज नहीं होने के कारण ये दोनों आंख में फैल हो जाते हैं। इस कारण हम आपको इससे बचने के घरेलू नुस्खे बता रहे हैं।
कंजक्टिवाइटिस के लक्षण
- आंखों से आंसू आना।
- आंखों का लाल या पिंक होना।
- आंखों में जलन होना।
- आंखों में खुजली या सूजन होना।
- आंखों के किनारे पपड़ी जम जाना।
बर्फ का प्रयोग
बर्फ का टुकड़ा पिंक आई के इन्फेक्शन को दूर करने के लिए कारगर है। ये उपाय संक्रमण का इलाज तो नहीं करता लेकिन इससे आंखों को आराम मिलता है। साथ ही इससे आंखे साफ हो जाती हैं जिससे पिंक आई को ठीक होने में मदद मिलती है।
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दूध-शहद
बराबर मात्रा में गर्म दूध और शहद लें। इस मिश्रण से अपनी आँखों को धोयें। साथ ही इस मिश्रण को आंखों में आई ड्रॉप की तरह डालें। इससे आंखों के संक्रमण को साफ होने में मदद मिलेगी।
धनिया
ताजा धनिया लेकर उसे पानी में उबाल लें। छलनी से इसे छानकर इस पानी को ठंडा होने दें। अब इस ठंडे मिश्रण से संक्रमित आंखों को धोयें। इससे आंखों की लालिमा, सूजन और दर्द ठीक हो जायेंगे।
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सिकाई
पिंक आई के संक्रमण को दूर करने के लिए सिंकाई सबसे बेहतर उपाय है। इससे संक्रमण दूर भी होता है और आंखों को भी काफी आराम मिलता है। सिंकाई के लिए गुलाब, लेवेण्डर और कैमोमाइल के तेल का इस्तेमाल करें। इन तेल में से कोई एक गर्म तेल को कपड़े में डालें और फिर उसे आंखों के ऊपर उसे ठंडा होने तक रखे रहने दें। इसे दिन में तीन से चार बार पांच से दस मिनट तक लगातार करते रहें।
सेब का सिरका
एक कप सेब का सिरका और एक कप पानी लें। अब रूई में इस मिश्रण को लेकर संक्रमित आंखों को धोयें। लेकिन आंखों को धोने के लिए हमेशा वो सेब का सिरका इस्तेमाल करें जिसकी बोतल पर 'मदर' लिखा हो। मदर सेब का अम्ल होता है जो बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है।
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