एचआईवी (HIV) पॉजिटिव महिलाओं में घट जाती है मेनोपॉज की उम्र, होती हैं कई परेशानियां: रिसर्च

हेल्थकेयर चिकित्सकों को अब एचआईवी से पीड़ित महिला रोगियों के उचित परामर्श और इलाज का इंतजाम करना होगा क्योंकि हाल ही में आया शोध बताता है कि एचआईवी से संक्रमित महिलाओं में मेनोपॉज की उम्र घटी है। इस शोध के अनुसार इससे इनके यौन कार्य, जीवन की गुणवत्ता में कमी और हृदय रोग का खतरा और बढ़ सकता है।  
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एचआईवी (HIV) पॉजिटिव महिलाओं में घट जाती है मेनोपॉज की उम्र, होती हैं कई परेशानियां: रिसर्च

एचआईवी से संक्रमित महिलाओं को औसतन 48 वर्ष की उम्र में मेनोपॉज होने की संभीवना अधिक होती है, जब कि सामान्य औरतों को ये करीब 50-52 की उम्र या उसके बाद होती है। कनाडा में एक अध्ययन के दौरान, नॉर्थ अमेरिकन मेनोपॉज सोसाइटी (NAMS) के शोधकर्ताओं ने इस बात का पता लगाया है। शोधकर्ताओं की मानें तो एक आम महिला में मेनॉपोज की आयु 50 से 52 वर्ष के बीच होती है, जबकि एचआईवी से संक्रमित महिलाओं को 48 वर्ष की उम्र तक पीरिएड्स आना बंद हो जाता है। हालांकि चिकित्सा क्षेत्र में जिस तरीके से उन्नति की है और अब एचआईवी पीड़िक महिलाओं की जीवन प्रत्याशा बढ़ी है, वहीं अब इस शोध से इन महुलिओं को मेनोपॉज़ और इसके संक्रमण से अवगत कराया है। बता दें कि 48 की उम्र में मेनोपॉज का बंद हो जाना, सामान्य आबादी के मेनोपॉज फेज की उम्र से तीन साल कम है।

Inside_HIV AND MENOPAUSE WOMENS

बढ़ेेगी स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य परेशानियां-

वहीं इस शोध से एक बात और पता चलती है कि जो एचआईवी पॉजिटिव मरीज नवीनतम चिकित्सा प्रोटोकॉल का पालन करते हैं, वे लगभग 70 या इससे अधिक आयु तक जीवित रह सकते हैं। इसका मतलब है कि इन रोगियों को अब एचआईवी एक जानलेवा बीमारी नहीं है और सही वक्त से इलाज करवाने पर ये मरीज एक आम जीवन जी सकते हैं। साथ ही अब इस रिपोर्ट के अनुसार एचआईवी से संक्रमित महिलाओं के लिए मेनोपॉज की उम्र का घट जाना उनके यौन और प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करेगी। अब ऐसे में पीड़िक महिलाओं के पास मां बनने की उम्र में कटौती हो गई है।

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पिछले अध्ययनों से पता चला है कि एचआईवी पीड़ित महिलाओं में प्रारंभिक आयु 40 और 45 के बीच की है और समय से पहले मेनोपॉज को होना बाकी स्वास्थ्य परेशानियों को भी जन्म दे सकती है।हालांकि, कनाडा का यह अध्ययन एचआईवी रोगियों के लिए की औसत आयु, प्रारंभिक मेनोपॉज और अन्य सहसंबंधों के निर्धारण जैसे प्रजनन और गर्भावस्था से जुड़ा पहला अध्ययन है। अध्ययन के शोधकर्ताओं ने पुष्टि की कि एचआईवी के साथ रहने वाली महिलाओं को कम उम्र में पीरिएड्स बंद हो जाते हैं, विशेष रूप से 48 साल की उम्र में। 

जागरूकता है जरूरी-

इसके अलावा, प्रारंभिक शिक्षा और हेपेटाइटिस-सी का संक्रमण भी प्रारंभिक मेनोपॉज के जोखिम को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा इन महिलाओं की वैवाहिक स्थिति और जन्म क्षेत्र सहित अन्य संभावित संशोधन भी इस कम उम्र में मेनोपॉज के कारणों में शामिल है। रिपोर्ट की मानें तो पीरिएड्स के जल्दी बंद हो जाने के कारण एचआईवी से संक्रमित महिलाओं की मनोदशा में परिवर्तन, यौन कार्य, जीवन की गुणवत्ता में कमी और हृदय रोग का खतरा और बढ़ेगा। ऑस्टियोपोरोसिस जैसे अन्य हड्डियों से जुड़े विकार इनमें तेजी से बढ़ेगे। ऐसे में अब इस बात की जरूरत है कि इन महिलाओं में इस लेकर जागरूकता फैलाई जाए। साथ ही उन्हें मानसिक रूप से इसके लिए तैयार किया जाए। अब इन महिलाओं को अपनी प्रेग्नेंसी को और बेहर तरीके और सावधानी के साथ प्लान करना होगा ताकि उनके और उनके बच्चों के जान का जोखिम कम हो सके।

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शोधकर्ताओं का कहना है कि अब हेल्थकेयर चिकित्सकों को भी एचआईवी से पीड़ित महिला रोगियों में समय से पहले और शुरुआती मेनोपॉज के लिए बढ़े हुए जोखिम के बारे में पता होना चाहिए, ताकि शुरुआती एस्ट्रोजेन की कमी से जुड़े संभावित दीर्घकालिक स्वास्थ्य परिणामों के इलाज देने के लिए वो तैयार रहें। साथ ही पीड़ि महिलाओं को उचित परामर्श और प्रबंधन प्रदान किया जा सके।

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