अल्जाइमर दिमाग से जुड़ी एक खतरनाक बीमारी है, जिससे व्यक्ति की याददाश्त और पहचानने की क्षमता प्रभावित होती है। आमतौर पर ये बीमारी 50-55 की उम्र के बाद होती है। हाल में यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज ने एक शोध किया, जिसमें पाया गया कि कोलेस्ट्रॉल और अल्जाइमर में गहरा संबंध होता है। अगर आप युवावस्था में अपना कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल रखते हैं, तो बुढ़ापे में अल्जाइमर का खतरा काफी कम हो जाता है। शोधकर्ताओं के अनुसार बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल दिल की बीमारी की संभावना तो बढ़ाता ही है, साथ ही इसका असर दिमाग पर भी होता है, जिससे अल्जाइमर जैसा रोग हो सकता है।
15 लाख लोगों पर किया गया शोध
कोलेस्ट्रॉल वैक्स जैसा एक पदार्थ होता है, जो धमनियों में जम जाता है और दिल की बीमारियों का कारण बनता है। दुनियाभर में करोड़ों लोग हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण दिल की बीमारी के शिकार होते हैं। शोध में 15 लाख लोगों के डीएनए की जांच की गई, जिसके बाद निष्कर्ष निकाला गया कि ट्राइग्लिसराइड एवं कोलेस्ट्रॉल स्तर (एचडीएल, एलडीएल और कुल कोलेस्ट्राल) बढ़ने से अल्जाइमर का खतरा रहता है।
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एलडीएल कोलेस्ट्रॉल होता है खतरनाक
आपको बता दें कि कोलेस्ट्रॉल दो तरह के होते हैं। बैड कोलेस्ट्रॉल और गुड कोलेस्ट्रॉल। एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को बैड कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है। कोलेस्ट्रॉल रक्त में घुलनशील नहीं होता। एलडीएल के धमनियों की दीवारों में जमा होने से धमनियों में रुकावट होती है, और आगे चल कर यह हृदय के दौरे का कारण बनता है।
क्यों खतरनाक है बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल
कम घनत्व लिपोप्रोटीन (लो डेनसिटी लिपोप्रोटीन्स) कोलेस्ट्रॉल को सबसे ज्यादा नुकसानदेह माना जाता है। यह लिवर द्वारा पैदा किया जाता है, जो वसा को लिवर से शरीर के अन्य भागों जैसे मांसपेशियों, ऊतकों, इंद्रियों और हृदय तक पहुंचाता है। यह बहुत आवश्यक है कि शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम रहे। इसके अधिक होने की स्थिति में यह रक्तनली की दीवारों पर यह जमना शुरू हो जाता है और कभी-कभी नली के छिद्र बंद हो जाते हैं। ऐसे में हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है।
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कैसे कंट्रोल करें कोलेस्ट्रॉल
कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए कई तरह के खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करना चाहिए। केवल कुछ चुनिंदा खाद्य पदार्थों के खाने भर से कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी नहीं होती। नियमित कसरत को भी जीवनशैली में शामिल करना चाहिये। एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन लगभग तीन ग्राम बीटा ग्लूकॉन की जरूरत होती है। अगर रोजाना एक कटोरी ओट्स या दो स्लाइस ओट्स ब्रेड का सेवन किया जाए तो हमारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में बीटा ग्लूकॉन मिल जाता है। इसके अलावा ड्राई फ्रूट्स, लहसुन, ओट्स, सोयाबीन और दालें, नीबू तथा ऑलिव ऑयल का संतुलित मात्रा में सेवल करना चाहिए।
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