
डायबिटीज रोगियों को अन्य कई गंभीर बीमारियां होने का खतरा रहता है। इसमें नोवल कोरोनावायरस, कैंसर, दिल से संबंधित बीमारी जैसे कई अन्य रोग हैं। एक्सपर्ट की मानें तो 20 प्रतिशत डायबिटीज रोगियों में निमोनिया और सेप्सिसि होने का खतरा रहता है, जो एक गंभीर श्वसन से संबंधित बीमारी है। वहीं, अब कोरोना डायबिटीज रोगियों के सामने बहुत बड़ा खतरा बनकर सामने आया है।
मेडिकल जर्नल - लांसेट द्वारा अक्टूबर 2020 में एक रिसर्च प्रकाशित किया गया था, जिसमें बताया गया कि कोरोनावायरस डायबिटीज रोगियों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। यह विशलेषण रिसर्च में शामिल डायबिटीज रोगियों के आधार पर किया गया है। रिसर्च में देखा गया कि टाइप-1 डायबिटीज से ग्रसित मरीजों में कोविड-19 से मौत का खतरा लगभग 3.5 फीसदी अधिक है। वहीं, टाइ- 2 डायबिटीज रोगियों का कोरोना से मौत का खतरा लगभग 2 फीसदी अधिक है।
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हाल ही में हुए रिसर्च में पता चला है कि डायबिटीज से ग्रसित मरीजों में कोविड-19 से होने मौत का खतरा हाइपरग्लाइकेमिया से जुड़ा हुआ है। हाइपरकेटोएसिडोसिस और हाइपरग्लाइसीमिया जैसी डायबिटीज की अन्य गंभीर जटिलताएं जैसे कोविड-19 के कारण पैदा होती है। इन सभी शोधा का सीधा मतलब यह है कि डायबिटीज रोगियों को इस महामारी के दौरान अपने ब्लड शुगर लेवल को सामान्य रखने के लिए विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। उन्हें अपनी दवाईयों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यता है, ताकि वर्तमान समय में बढ़ रही मुश्किलें कम हो सकें।
अन्य वैकल्पिक दवाइयों के जरिए ब्लड शुगर कम करने की करें कोशिश
डॉक्टर कुशल बनर्जी का कहना है कि एलोपैथी दवाइयों के साथ-साथ डायबिटीज मरीजों को अन्य वैकल्पिक दवाएं (सीएएम), होम्योपैथी, आयुर्वेद और योग जैसे अन्य तरीकों से मरीजों को अपने ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने की कोशिश करनी चाहिए। डायबिटीज मरीजों को कोविड -19 के खिलाफ खुद को सुरक्षित रखने के लिए अधिक से अधिक सुरक्षा और दिशानिर्देश पालन करने की जरूरत है।
त्यौहारों पर डायबिटीज रोगी इस तरह रखें अपना ख्याल
डॉक्टर बनर्जी का कहना है कि डायबिटीज रोगियों को अपने परिवार के सदस्यों, काम करने वाले कर्मचारियों और अन्य लोगों के साथ त्यौहार मनाने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना बहुत ही जरूरी है। इसके साथ ही वे इस दौरान अपना पूरा चेहरा ढक कर रखें। इस तरह की सतर्कता अपनाने की बहुत ही आवश्यकता है। डॉक्टर कुशल ने कहा कि डायबिटीज रोगियों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि उनके ब्लड की एचबीए1सी का स्तर 7 प्रतिशत से कम रहे और उनके ब्लड शुगर का स्तर 144 मिली/डीएल से अधिक ना हो।
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रिसर्च में पता चला है कि मधुमेह मरीजों में कोविड -19 के कारण गंभीर जटिलताएं उत्पन्न हुई हैं, उन्हें कुछ सामान्य तौर पर उपयोग में लाई जाने वाली दवाइयों को बंद करने की आवश्यकता है। अगर अस्पताल में भर्ती होकर एलोपैथी दवाइयों के इलाज से किसी तरह का कोई फायदा नहीं हो रहा हो, तो ऐसे मरीजों में पूरक और वैकल्पिक विधियों (सीएएम) यानी आयुर्वेदिक, योग और होम्योपैथिक दवाइयां लेने का विचार करना चाहिए। मरीजों को इन दवाइयों से किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। सबसे जरूरी बात यह है कि कोविड-19 के इस समय में मधुमेह रोगियों को इस संक्रमण से बचाया जाए और अगर वे कोविड- 19 की चपेट में आते हैं, तो वे जल्द से जल्द उनका इलाज कराया।
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