ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और मोटापे से सिर्फ वस्कुलर नहीं, मस्तिष्क की बीमारियों का भी खतरा

आमतौर पर लोग यही मानते हैं कि वस्कुलर रोगों से दिल की सेहत पर असर पड़ता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। मगर हाल में हुए एक शोध में ये पाया गया है कि वस्कुलर रोगों को बढ़ाने वाले कारक, जैसे- धूम्रपान, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और मोटापा, न सिर्फ आपके दिल को, बल्कि मस्तिष्क को भी प्रभावित करते हैं। ये रिसर्च यूरोपियन हार्ट जर्नल में छपी है।
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ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और मोटापे से सिर्फ वस्कुलर नहीं, मस्तिष्क की बीमारियों का भी खतरा


आमतौर पर लोग यही मानते हैं कि वस्कुलर रोगों से दिल की सेहत पर असर पड़ता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। मगर हाल में हुए एक शोध में ये पाया गया है कि वस्कुलर रोगों को बढ़ाने वाले कारक, जैसे- धूम्रपान, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और मोटापा, न सिर्फ आपके दिल को, बल्कि मस्तिष्क को भी प्रभावित करते हैं। ये रिसर्च यूरोपियन हार्ट जर्नल में छपी है।

क्या होते हैं वस्कुलर रोग

हमारे शरीर में तरल पदार्थों को एक अंग से दूसरे अंग तक पहुंचाने के लिए एक तरह की पाइप लाइन बिछाई गई है, जिनमें धमनियां और नसें शामिल हैं। आपका दिल जब धड़कता है, तो दरअसल वो आपके शरीर में मौजूद खून को पंप कर रहा होता है। खून के साथ ही हमारे शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व और ऑक्सीजन भी पंप होते रहते हैं, जिससे सभी अंगों को जरूरी पोषण मिल सके। धमनियां (आर्टरीज) हमारे दिल से खून के पंप होने के बाद इसे शरीर के दूसरे अंगों तक पहुंचाती हैं, जबकि नसें (वेन्स) इन अंगों से खून को वापस दिल तक पहुंचाती हैं। शरीर में कुछ खास नलियां और होती हैं, जिनसे इस प्रक्रिया के दौरान खराब पदार्थ बाहर निकलते रहते हैं।
शरीर में बिछे इस पूरे पाइपलाइननुमा नेटवर्क को ही वस्कुलर सिस्टम कहते हैं। अगर इस सिस्टम में किसी तरह की परेशानी आती है, तो उस समस्या को वस्कुलर रोग कहते हैं।

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क्या कहती है रिसर्च

इस रिसर्च के लिए 44 साल से 79 साल की उम्र के 9,772 लोगों के मस्तिष्क की जांच की गई। इस दौरान ये पता लगाने की कोशिश की गई कि क्या धूम्रपान, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल और मोटापे का असर मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर पड़ता है। रिसर्च में पाया गया कि लगभग सभी रिस्क फैक्टर्स ब्रेन को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। यह भी देखा गया कि इसका खतरा मिडिल एज (45-55) साल के लोगों को ज्यादा होता है। रिसर्च के अनुसार ये सभी रिस्क फैक्टर्स व्यक्ति के सोचने और विचार करने की क्षमता को कम कर देते हैं, साथ ही इनके कारण डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसे रोगों का भी खतरा बढ़ जाता है।

जीवनशैली बना रही है रोगों का शिकार

ज्यादा मात्रा में फास्टफूड या अन्य वसा भरे खाद्य पदार्थों के सेवने से कोरोनेरी धमनियों की आयु कम हो जाती है। इसके साथ ही धूम्रपान और मदिरापान से भी हृदय स्‍वास्‍थ्‍य पर बुरा असर पड़ता है। रक्‍त थक्‍के धमनियों को ब्लॉक कर देते हैं। जिससे हृदय से शरीर के अन्य हिस्सों तक खून की सप्लाई बेहद धीमी होने लगती है और एक समय ऐसा आता है जब हृदय काम करना बंद कर देता है।

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कार्डियोवस्कुलर हार्ट डिजीज के लक्षण

  • सीने में दर्द (एनजाइना)।
  • सांस की तकलीफ।
  • दर्द, सुन्नता, कमजोरी और अपके पैर या हाथ में शीतलता (आपके शरीर के इन भागों में रक्त वाहिकाओं को संकुचित होने पर)।

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