
अक्सर हमारे शरीर में कुछ न कुछ गतिविधियां चलती रहती है जिसकी वजह से हमे कुछ न कुछ समस्या होती ही है, लेकिन उनमें से कुछ समस्याओं का कारण हम खुद होते हैं। अनियमित खानपान औऱ अनियमित जीवनशैली का हमारे स्वास्थ्य पर खास असर पड़ता है और अगर ये सही न रहे तो हमे कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी ही एक समस्या है सीने में तेज जलन जिसे होने पर हर कोई काफी परेशान हो सकता है। सीने में तेज जलन की स्थिति गंभीर होने पर ये खतरनाक हो सकती है और हायटल हर्निया की समस्या को पैदा कर सकती है।
आपको बता दें कि आपके पेट और छाती के बीच में एक डायाफ्राम बड़ी मांसपेशी है जिससे आप सांस लेने में मदद करने के लिए इस मांसपेशी का इस्तेमाल करते हैं। वैसे तो आपका पेट डायाफ्राम से नीचे होता है, लेकिन एक हायटल हर्निया वाले लोगों में, पेट का एक हिस्सा मांसपेशियों के जरिए ऊपर धकेलता है। आमतौर पर ये समस्या ज्यादातर उन लोगों में होती है जो 50 साल से ज्यादा उम्र के होते हैं।
हायटल हर्निया के कारण
- खांसना।
- उल्टी।
- कफ जमना।
- धूम्रपान ज्यादा करना।
- मल त्याग के दौरान तनाव होना।
- मोटापा लगातार बढ़ना।
- बढ़ती उम्र।
- नियमित रूप से वजन उठाना।
- कई मामलों में चोट या मांसपेशियों के ऊतकों को कमजोर होने के कारण भी हो सकता है।
लक्षण
- सीने में जलन।
- सीने में दर्द।
- निगलने में परेशानी।
- बार-बार डकार आना।
- पेट में गैस बनना।
- कब्ज की समस्या।
हायटल हर्निया के प्रकार
स्लाइडिंग हर्निया
स्लाइडिंग हर्निया, हायटल हर्निया का सबसे ज्यादा सामान्य प्रकार है। यह तब होता है जब आपका पेट और अन्नप्रणाली अपनी छाती के अंदर और बाहर स्लाइड करता है। इसे आम भाषा में फिसलने वाला हर्निया भी कहा जाता है। आपको बता दें कि वे आमतौर पर किसी भी लक्षण का कारण नहीं बनते हैं। ये एक तरीके की गैस की तरह ही होती है, जब आपके पेट में गैस या फिर खाना सही से पच जाए तो आपको इससे राहत मिल सकती है। आपको इस स्थिति में कुछ देर तक डकार आ सकती है।
पैरासोफेजियल हर्निया
ये एक प्रकार से हमेशा के लिए होने वाली समस्या वाली स्थिति है, इसमें आपके पेट का हिस्सा आपके डायाफ्राम से धक्का देता है और वहां रहता है। वैसे तो इस स्थिति में भी ज्यादातर मामले गंभीर नहीं होते हैं। हालांकि, इसमें जोखिम है कि आपके पेट में रक्त का प्रवाह बाधित कर सकता है और आपको खतरनाक स्थिति में डाल सकता है। इतना कि आपको अस्पताल भी जाना पड़ जाए।
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बचाव
- वजन कम करें।
- मोटापा और शरीर में वसा न बढ़ने दें।
- मल त्याग के दौरान तनाव न लें।
- ज्यादा भारी वजन न उठाएं।
- तंग बेल्ट और कुछ पेट व्यायाम से परहेज।
- खानपान बेहतर करें।
- जीवनशैली को बदलें।