
हर्निया एक ऐसी बीमारी है जो अंग के अतिरिक्त विकास के कारण उत्पन्न होती है, यानी अगर शरीर का कोई अंग अपनी सामान्य स्थिति से अधिक बढ़ जाये तो वह हर्निया कहलाता है।
हर्निया एक ऐसी बीमारी है जो अंग के अतिरिक्त विकास के कारण उत्पन्न होती है, यानी अगर शरीर का कोई अंग अपनी सामान्य स्थिति से अधिक बढ़ जाये तो वह हर्निया कहलाता है। यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। लेकिन पेट में होने वाली हर्निया सबसे सामान्य है। हर्निया के मरीज भी कहते हैं कि इसका दर्द बेहद तकलीफदेह होता है या किसी में खिंचाव होता तो होता है, लेकिन दर्द नहीं होता। खांसते या शौच के समय आसानी से देखे जा सकते है। जब पेट की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, और इसके कारण आंतें बाहर निकल आने की समस्या होती है तब यह स्थिति पेट की हर्निया कहलाती है। हर्निया जिस जगह पर होता है उस जगह पर एक उभार आ जाता है। कुछ लोग इससे बचने के लिए आॅपरेशन करा लेते हैं। लेकिन कई बाद आॅपरेशन के बाद भी यह पूरी तरह से खत्म नहीं होता है। इसलिए आज हम आपको इसके लिए कुछ आसान तरीके बता रहे हैं।
आॅपरेशन के बाद ऐसे रखें अपना ध्यान
- किसी भी सामान को सही तकनीक से उठाएं। इसके लिए आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। डॉक्टर के सुझाए तरीकों से ही किसी सामान को उठाएं।
- अपने वजन को न बढ़ने दें। अधिक वजन आपकी तकलीफ में इजाफा कर सकता है। अगर आपका वजन ज्यादा है तो उसे काबू करने की कोशिश करें। किसी आहार-विशेषज्ञ की मदद से अपने लिए उचित आहार-चार्ट भी बनवा सकते हैं।
- कब्ज आपके दर्द, तकलीफ और बीमारी को बढ़ा सकता है। इसलिए किसी भी सूरत में अपने पाचन-तंत्र को बिगड़ने न दें। इसके लिए अपने आहार में अधिक मात्रा में फाइबर शामिल करें। साथ ही तरल पदार्थों का सेवन भी अधिक करें।
- एल्कोहल और धूम्रपान से बिल्कुल परहेज करें।
- रोजाना कम से कम 8 से 10 ग्लास पानी पीएं और नियमित योगा करे।
पांच प्रकार का होता है हर्निया?
एपीगैस्ट्रिक हर्निया
जब वसा का एक छोट सा हिस्सा पेट की मंसपेशियों के बीच से निकलता है जो नाभि और उरोस्थि के बीच में होता है। यह हर्निया पुरुषों को अधिक होता है और इसकी चपेट में 30 से 50 उम्र के लोग अधिक आते हैं।
इसेंशियल हर्निया
आंत उस जगह से उभर कर आती है जहां पर पहले सर्जरी हो चुकी हो, इसमें त्वचा के ठीक होने के बाद भी अंदर की मांसपेशियां अलग-अलग खिंच जाती हैं जो हर्निया का कारण बनती हैं।
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वेक्षण यानी इंग्वाइनल हर्निया
वेक्षण हर्निया अर्थात इंग्वाइनल हर्निया जांघों के जोड़ों में होता है। इस हर्निया में अंडकोष जांघ की पतली नली से अंडकोष में खिसक जाते हैं। ऐसा होने पर अंडकोष का आकार बढ़ जाता है। अंडकोष में सूजन के कारण हाइड्रोसिल और हर्निया में अंतर करना मुश्किल हो जाता है। हर्निया का यह प्रकार पुरुषों में पाया जाता है। हर्निया के लगभग 70 प्रतिशत रोगियों को ये हर्निया ही होता है।
नाभि यानी अम्बिलिकल हर्निया
नाभि हर्निया अर्थात अम्बिलाइकल हर्निया, हर्निया का एक सामान्य रूप होता है। इस हर्निया में पेट की सबसे कमजोर मांसपेशी, हर्निया की थैली नाभि से बाहर निकल आती है। यह हर्निया कमजोर मांसपेशियों वाले या मोटे व्यक्तियों को अधिक होता है। हालांकि इसके कुल मामलों का 8-10 प्रतिशत ही होता है।
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जघनास्थिक यानी फीमोरल हर्निया
यह हर्निया के कुल मामलों में से लगभग 20 प्रतिशत ही होता है। इस हर्निया में पेट के अंग जांघ के पैर में जाने वाली धमनी में मौजूद मुंह से बाहर निकल आते हैं। इस धमनी का काम पैर में खून की आपूर्ति करना होता है। फीमोरल हर्निया पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होता है।
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