
उम्र बढ़ने के शुरुआती संकेत हमारी आंखों के आस-पास की त्वचा पर दिखाई देने लगते हैं। इस स्थिति के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जो हर व्यक्ति को अलग-अलग रूप से प्रभावित करते हैं। कुछ लोगों के चेहरे पर बुढ़ापे के संकेत पहले ही दिखाई देने लगते हैं जबकि कुछ बढ़ती उम्र में भी जवान दिखाई देते हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि आपकी आंखों के आस-पास ऐसे कौन से संकेत हैं, जो आपको बूढ़ा दिखाते हैं तो हम आपको ऐसे 4 संकेतों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके कारण ऐसा होता है।
आंखों के आस-पास ये 4 चीजें दिखाती हैं आपको बूढ़ा
- पलक के ऊपरी हिस्से में सूजन।
- आंखों के नीचे सूजन ।
- आंखों के ऊपरी हिस्सों पर सूजन (Puffiness)।
- जब आपकी आईबॉल का सफेद हिस्सा ज्यादा दिखाई दे।
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इन संकेतों के पीछे छिपे हैं ये 4 कारण
फैट और बोन टिश्यू का कम होना
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है हमारे चेहरे की मांसपेशियां सिकुड़ना और नीचे की तरफ खिसकना शुरू हो जाती है। ऐसा होने पर त्वचा ढीली होनी शुरू हो जाती है। इसके साथ-साथ फैट और बोन टिश्यू भी कम होने लगता है। फैट और बोन टिश्यू के कम होने के कारण आंख के भीतर की त्वा ढीली हो जाती है और वह अपना सपोर्ट खोने लगती है। फैट और बोन टिश्यू के कम होने के कारण हमारी आंखों के नीचे डार्क सर्केल होने लगते हैं।
कोलेजन कम होना
कोलेजन एक ऐसा प्रोटीन है, जो हमारी त्वचा को मजबूती और आकार प्रदान करता है। यह नई त्वचा कोशिकाओं के उत्पादन के लिए भी बहुत जरूरी है। कोलेजन उत्पादन कई कारकों से प्रभावित होता है जैसे कि यूवी रेडियशन, धूम्रपान और शुगर का ज्यादा सेवन। हालांकि इन सभी कारकों को नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन एक बेकाबू कारक कोलेजन के उत्पादन को प्रभावित करता है और वह है उम्र का बढ़ना। जैसे-जैसे हमारे जन्मदिन के केक पर मोमबत्तियों की संख्या बढ़ती जाती है, कोलेजन का उत्पादन कम होता जाता है। कोलेजन के कम उत्पादन के साथ त्वचा पतली हो जाती है और नसें अधिक दिखाई देने लगती हैं। यह भी आंखों के आसपास झुर्रियों का कारण बनता है।
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लचीलापन कम होना
कोलेजन के साथ त्वचा की कसावट के लिए जरूरी प्रोटीन है इलास्टिन। इलास्टिन त्वचा को स्ट्रेच या फिर दबाने के बाद उसे मूल स्थिति में लौटने में मदद करता है। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है इलास्टिन का उत्पादन भी कम होता जाता है। कसावट की यह कमी आंखों के आसपास दिखाई देती है क्योंकि त्वचा ढीली होना शुरू हो जाती है। पलक की मांसपेशियां भी हमारे शरीर में सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली मांसपेशियों में से एक हैं। जब हम आंख खोलते और बंद करते हैं, तो हम हर बार अनजाने में उनका इस्तेमाल करते हैं। इलास्टिन की मात्रा कम होने के कारण पलक की त्वचा को अपनी सामान्य अवस्था में लौटने में वक्त लगता है। इस कारण से हमारी आंखों के चारों ओर झुर्रीदार त्वचा की उपस्थिति बढ़ने लगती है।
कमजोर मांसपेशिया
उम्र बढ़ने के साथ-साथ मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। ऐसा फैट के कारण होता है, जो त्वचा के माध्यम से हमारी आंखों के नीचे जमा होने लगता है और आंखें पफ्फी हो जाती हैं। हमारी पलकों को उठाने के लिए जिम्मेदार लेवेटर कमजोर होने पर हमारी पलक को लटकती हुई बना सकता है।
(Medically Reviewed: डॉ (कर्नल) अदिति दुसाज, सीनियर कंसलटेंट, ओप्थोमोलॉजिस्ट , श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट)
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