
कैटेगरी: ऑक्सीजन वॉरियर्स
परिचय: हेमकुंट फाउंडेशन
योगदान: कोरोना की दूसरी लहर के समय ऑक्सीजन की कमी के दौरान, लोगों को फ्री में ऑक्सीजन दिए।
नॉमिनेशन का कारण: कोरोना की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा लोग ऑक्सीजन के लिए परेशान हुए। एक तरफ जहां ऑक्सीजन सिलिंडर हजारों रुपये लेकर मनमाने दाम में बेचे जा रहे थे, वहीं हेमकुंट फाउंडेशन ने लाखों कोविड मरीजों को फ्री ऑक्सीजन देकर उनकी जीवनरक्षा में अपना सहयोग किया।
अप्रैल-मई, 2021 एक ऐसा समय जिसको याद कर लोग आज भी सिहर उठते हैं। यह समय था, जब कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप सम्पूर्ण देश में व्याप्त था। रोजाना कोविड के लाखों केस दर्ज हो रहे थे, हज़ारों की संख्या में लोग मर रहे थे। लोगों ने कभी अपने जीवन में ऐसा भयंकर दौर नहीं देखा था। अपनों की जान बचाने के लिए न जाने कितने लोग हॉस्पिटल में बेड के लिए मारे-मारे फिर रहे थे। कोई अपने प्रियजन की सांसों को बचाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की तलाश में जुटा था। सभी अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी का संकट मंडरा रहा था। ऐसे में जहां कुछ लोग ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए मुंहमांगी कीमत वसूल रहे थे, वहीं कुछ लोग और सामजिक संस्थाएं निःशुल्क लोगों की मदद कर रहीं थी। ऐसी ही एक संस्था है ‘हेमकुंट फाउंडेशन’, गुरुग्राम स्थित इस संस्था के कार्यकर्ता दिन-रात लोगों की सेवा में लगे थे। जब लोगों को हज़ारों रुपए देने पर भी ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही थी, उस समय यह संस्था लोगों को फ्री में ऑक्सीजन बांट रही थी। कोविड महामारी के समय उनके इस अतुलनीय योगदान के लिए Onlymyhealth ने हेमकुंट फाउंडेशन को Healthcare Heroes Awards 2022 के लिए चुना है। इस संस्था को 'ऑक्सीजन वॉरियर्स' कैटेगरी के लिए नॉमिनेट किया गया है।
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अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी जुटाई गयी ऑक्सीजन की मदद
Onlymyhealth ने जब हेमकुंट फाउंडेशन के डायरेक्टर हरतीरथ सिंह से इंटरव्यू के दौरान सवाल किया कि- इतनी विषम परिस्तिथियों में उन्होंने किस तरह ऑक्सीजन की व्यवस्था की?
हरतीरथ जी ने जवाब देते हुए बताया कि- "सच में यह बहुत मुश्किल था, लेकिन हमारी टीम चौबीस घंटे इस काम में लगी थी, फिर चाहे साउथ इंडिया हो, चाइना, हॉन्ग कॉन्ग या इराक़, हमको जहाँ से भी ऑक्सीजन मिली हमने इसको मंगवाया। "ऑक्सीजन को बांटने के लिए हमारे फाउंडेशन ने गुरुग्राम में छोटे-छोटे 25 ऑक्सीजन सेंटर बनाए। जहां 500 लोगों को एक साथ ऑक्सीजन देने की सुविधा मौजूद थी। ऐसे बुजुर्ग लोग जिनके पास देखभाल के लिए अपना परिवार नहीं था, उनको घर पर ही ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई। इस तरह जरूरतानुसार घर-घर जाकर और सेंटर के जरिए लोगों को पड़े पैमाने पर ऑक्सीजन प्रदान की गई।"
एक समय ऐसा भी था जब हम लोगों के लिए ऑक्सीजन का प्रबंध नहीं कर पा रहे थे : हरतीरथ सिंह
जब पूरे देश में मेडिकल ऑक्सीजन के लिए हा-हाकार मचा हुआ था, उस समय हेमकुंट फाउंडेशन लोगों के बीच जीवन की उम्मीद बना हुआ था। हरतीरथ सिंह ने बताया कि- "कई बार ऐसा भी हुआ कि जब हमारे पास भी लोगों को देने के लिए ऑक्सीजन खत्म हो गई। हमारे कंसाइनमेंट एयरपोर्ट पर रोक दिए गए। कस्टम वाले बहुत टाइम लगा रहे थे, जिसकी वजह से ट्रक सेंटर तक देरी से पहुँच रहे थे। लोगों को 5 से 6 घंटे तक इन्तजार करना पड़ रहा था, उनके पास इसके अलावा कोई और चारा भी नहीं था।"
जब हमने हरतीरथ जी से पूछा कि ऑक्सीजन की अत्यधिक कमी के समय उन्होंने कैसे निश्चय किया कि किसकी मदद पहले की जाएगी ? उनका सीधा और सटीक जवाब था 'फाउंडेशन ने डिसाइड किया था कि जिनका ऑक्सीजन लेवल 80 के नीचे है उनको पहले मदद मिलेगी। सरकारी सेंटर 80 से ऊपर ऑक्सीजन लेवल वालों को हेल्प कर रहे थे। इसलिए हमने सोचा हम उनकी मदद करेंगे, जिनको कहीं से मदद नहीं मिल रही।"
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ऑक्सीजन के अलावा भी की कई तरह से की गई लोगों की मदद
कोरोना माहमारी के समय देश में पैदा हुई भयावह परिस्तिथयों में हेमकुंट फाउंडेशन ने मेडिकल ऑक्सीजन के अलावा अन्य सुविधाएं भी प्रदान की। सिंह ने बताया कि-" इस समय हमने लोगों के फ्री में RT-PCR टेस्टिंग, एम्बुलेंस और दवाइयों की व्यवस्था की, साथ ही डिप्रेशन से घिरे लोगों के लिए मेन्टल हेल्थ सपोर्ट का इंतज़ाम भी हमने किया हुआ था। हमारी संस्था ने ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने के लिए उत्तराखंड सरकार के साथ भी काम किया। अगर हम नंबर की बात करें तो हेमकुंट फाउंडेशन ने 21 राज्यों को मिलाकर लगभग 20 लाख लोगों की मदद की। इतना ही नहीं जरूरत पड़ने पर हमने इंडोनेशिया में भी ऑक्सीजन सप्लाई की।“
सिंह कहते हैं कि “हमारी सिर्फ यही कोशिश थी कि कैसे भी करके हर एक जान को बचाया जाए। यह सबके प्यार और सपोर्ट से मुमकिन हो पाया। बस यही सब था जिसकी वजह से हम चलते गए और चलते गए।"
Onlymyhealth के जरिए हम तहेदिल से हेमकुंट फाउंडेशन का अभिनंदन करते हैं जिन्होंने कोरोना काल के कठिन समय में अपनी निःशुल्क सेवाएं देकर अपने देश को गौरवान्वित किया।
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