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परिचय: ट्रांसजेंडर फ्रंटलाइन वर्कर प्रिंसेस
योगदान: राउरकेला की पहली ट्रांसजेंडर फ्रंटलाइन वर्कर प्रिंसेस, जिन्होंने कोविड के विरुद्ध लड़ने में की मदद।
नॉमिनेशन का कारण: एक ट्रांसजेंडर का कोविड की फ्रंटलाइन वर्कर की सूची में जुड़ना कोई आसान काम नहीं था। लेकिन प्रिंसेस ने ये कर दिखाया।
जब कोविड के केस भारत में तेजी से फैलने शुरू हुए तो बहुत से लोग मदद के लिए आगे आए। इनमें अस्पताल कर्मचारी, कानून व्यवस्था से जुड़े प्रशासक, जरूरी सेवाओं में जुड़े लोग आदि प्रमुख रहे, जिन्हें फ्रंटलाइन वर्कर कहा गया। ऐसी ही एक फ्रंटलाइन वर्कर हैं, राउरकेला की प्रिंसेस, जो ट्रांसजेंडर हैं। ओडिशा के राउरकेला से 31 वर्षीय प्रिंसेस ने कोविड के दौरान लोगों की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह राउरकेला की पहली ट्रांसजेंडर फ्रंटलाइन वर्कर बनीं। इन्हें ओडिशा के मुख्य मंत्री नवीन पटनायक से भी सराहना मिली। यह बीजू पटनायक यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (BPUT) में कोविड केयर सेंटर में डाटा ऑपरेटर का काम करती हैं। जब जनवरी में कोविड वैक्सीन लगनी शुरू हुई तो पुनपोष सब डिवीजनल अस्पताल में वैक्सीनेशन डिपार्टमेंट में भी जुड़ गई। अब वह इसी यूनिवर्सिटी के फर्टिलाइजर डिपार्टमेंट में कोविड केयर सेंटर में काम कर रही हैं।
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फ्रंट लाइन वर्कर के रूप में काम किया
जब पहली लहर के दौरान कोविड केस बढ़ने लगे तो एडीएम अबोली नरवाने ने BPUT कोविड केयर सेंटर में ट्रांसजेंडर को भर्ती करना शुरू किया। सिलेक्ट होने वाली 7 ट्रांसजेंडर में से एक प्रिंसेस भी थी। इस प्रकार जून 2020 में इन्होंने डाटा ऑपरेटर के रूप में काम शुरू किया। जहां वह एडमिट होने वाले और रिलीज होने वाले मरीजों का कंप्यूटर में डाटा एंटर करती थीं। समय के साथ बाकी सभी ट्रांसजेंडर ने काम छोड़ दिया। लेकिन प्रिंसेस अपने काम के प्रति दृढ़ रही और कोविड केयर डिपार्टमेंट में मार्च 2021 तक काम किया।
जब 2021 में वैक्सीन लगना शुरू हुई तो प्रिंसेस ने सब डिविजनल अस्पताल में वैक्सीनेशन सेंटर ज्वाइन कर लिया। यहां भी इन्होंने नवंबर 2021 तक डाटा ऑपरेटर का ही काम किया। अब जब केस फिर से बढ़ने लगे तो उन्होंने दोबारा फर्टिलाइजर डिपार्टमेंट में कोविड केयर सेंटर में काम करना शुरू कर दिया।
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आईं कई मुश्किलें
प्रिंसेस के मुताबिक एक ट्रांसजेंडर होने में काफी सारी दिक्कतें शामिल हैं। जब वह बीपीयूटी में काम करती थीं तो बहुत से लोगों ने उनसे बात भी नहीं की थी। लेकिन प्रिंसेस ने उनसे बात करने का प्रयास किया ताकि वे सारा डाटा कलेक्ट कर सकें। हर समय मास्क पहना और PPE किट पहने रखना भी आसान नहीं था। उन्हें फिर भी एसी रूम दिया गया था लेकिन झाड़ू लगाने वाले और साफ सफाई कर्मियों के लिए यह काम काफी मुश्किल था। हालांकि वैक्सीनेशन सेंटर में भी इनका काम आसान नहीं था। ऑफिस पॉलिटिक्स भी एक अन्य चुनौती थी जो उन्होंने झेली।
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कपड़ों और पहचान के आधार पर जज करते थे लोग
इनके कपड़ो पर भी इनके सहकर्मियों द्वारा ताने सुनने को मिले। जब नवंबर में कोविड केस बढ़ने लगे तो प्रिंसेस ने दोबारा कोविड केयर सेंटर ज्वाइन किया। उन्होंने कहा कि जब आपके साथ पहचान के आधार पर भेदभाव किया तो कोई भी काम बहुत मुश्किल बन जाता है और इसे मैंने झेला है। प्रिंसेस ने इस काम को आसान बनाया न केवल अपने समुदाय के लोगों के लिए बल्कि दूसरों के लिए भी। उनके इस प्रयास को सलाम। अगर आप प्रिंसेस के इस जज्बे को आगे लेकर जाना चाहते हैं तो इनके लिए वोट जरूर दें और इन की जीतने में मदद जरूर करें।