
कोरोना के गंभीर मरीजों को सांस की समस्या के कारण वेंटिलेटर की जरूरत होती है। जानें InnAccel का बनाया Vapcare Device इन मरीजों की जान कैसे बचा रहा है।
क्या : वैप-केयर डिवाइस की मदद से कोरोना मरीजों की जान बचाई।
क्यों : तकनीक के माध्यम से महामारी को दी शिकस्त।
गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए वेंटिलेटर कितना महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, ये कोरोना वायरस महामारी के समय में हमें पता चल गया है। खासकर ऐसे मरीज, जिन्हें सांस लेने में तकलीफ हो, उनके लिए वेंटिलेटर्स जीवन रक्षक साबित हो सकते हैं। निमोनिया एक ऐसी ही समस्या है, जिसमें बहुत सारे लोग सांस की कमी से जूझते हए मर जाते हैं। ऐसे में बेंगलुरू की स्टार्टअप कंपनी InnAccel ने एक कोरोना वायरस महामारी आने से पहले ही एक ऐसा डिवाइस बना लिया था, जो निमोनिया जैसी स्थिति वाले मरीजों की जान बचाने में बहुत मददगार है। इस डिवाइस को VAPCare नाम दिया गया, जिसके इस्तेमाल से कोरोना वायरस महामारी के समय में हजारों लोगों की जान बचाई जा सकी है। InnAccel के इस Vapcare डिवाइस के लिए उन्हें OMH Healthcare Heroes अवॉर्ड में 'पेशेन्ट केयर' कैटेगरी के लिए नॉमिनेट किया गया है।
गंभीर मरीजों को सपोर्ट करने वाले डिवाइसेज
InnAccel के फाउंडर सिराज धनानी ने ओनलीमायहेल्थ से बातचीत में बताया कि कोविड-19 के कारण लगभग 1 लाख लोगों के मरने की वजह से भारत का हेल्थ केयर सिस्टम बहुत बुरी स्थिति में आ गया है। भारत के सभी हिस्सों में हॉस्पिटल ब्रीदिंग सपोर्ट के लिए यही संयंत्रों की कमी से जूझ रहे हैं। इसी महामारी से लड़ने के लिए InnAccel ने Saans Pro और Saans Helmet जैसे डिवाइस बनाए हैं, जो कोरोना के गंभीर मरीजों जिन्हें सांस लेने में तकलीफ हैं, उन्हें सपोर्ट देने में मदद करेगा।
सिराज बताते हैं कि उनकी कंपनी ने 6 राज्यों में अपने सिस्टम्स की सप्लाई की है। इसी कंपनी के बनाए VapCare और Fetal Lite डिवाइसेज ने भी महामारी के दौरान हजारों लोगों की जिंदगियां बचाने का काम किया है।
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क्यों खास है InnAccel का Vapcare डिवाइस
वैप-केयर उन मरीजों के लिए फायदेमंद है जो गंभीर हालत के चलते आइसीयू में वेंटिलेटर पर पहुंच जाते हैं। ये डिवाइस मरीज के मुंह से ऑटोमैटिक तरीके से अतिरिक्त फ्लुइड को निकाल लेता है, जिससे वो फेफड़ों तक पहुंचकर निमोनिया के संक्रमण का कारण न बन जाए। अगर यही काम नर्स के द्वारा किया जाता है, तो उसमें लगातार देखरेख की भी जरूरत पड़ती है और समय भी ज्यादा लगता है, जबकि इस डिवाइस से ये काम ऑटोमैटिक तरीके से हो जाता है।
हर साल 6 लाख लोग होते हैं गंभीर निमोनिया का शिकार
VAP का अर्थ है Ventilator-Associated Pneumonia। भारत में इस समस्या से लगभग 6 लाख लोग प्रभावित होते हैं, जिनमें से 30% की मृत्यु हो जाती है। कोरोना वायरस महामारी के समय में इस डिवाइस का महत्व और अधिक बढ़ जाता है क्योंकि इसके प्रयोग से ऑटोमैटिक मशीन के जरिए ही बिना रोगी के संपर्क में आए उसके मुंह से निकलने वाली गंदगी को साफ किया जा सकता है, जिससे डॉक्टर्स और नर्सेज में इंफेक्शन का खतरा भी कम होता है। इसके अलावा महामारी के समय में इस डिवाइस के प्रयोग से हॉस्पिटल स्टाफ का कीमती समय भी बचा है।
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कई अवॉर्ड्स मिल चुके हैं
इस डिवाइस को InnAccel Technologies के क्रिटिकल केयर यूनिट Coeo Labs ने बनाया है, जिसके लीड इंजीनियर नितेश जांगीर हैं। वैपकेयर को Biotechnology Industry Research Assistance Council (BIRAC) की तरफ से मान्यता मिल चुकी है और ये 2015 में अमेरिकन कॉलेज ऑफि कार्डियोलॉजी के 16 हेल्थकेयर टेक्नोलॉडी विनर्स में से एक हैं।ओनलीमायहेल्थ जीवन रक्षक और जीवन दायिनी डिवाइस बनाने वाले हीरोज को सलाम करता है।
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