डिजिटल वर्ल्ड ने कैसे बदली हेल्थ केयर की तस्वीर, Healthcare Heroes Awards 2023 में एक्सपर्ट्स ने की चर्चा

Healthcare Heroes Awards में NITI Aayog की डायरेक्टर और वाइस चेयरमैन उर्वशी प्रसाद ने बताया डिजीटलीकरण किस तरह हेल्थ सेक्टर को प्रभावित कर रहा है।

Meera Tagore
Written by: Meera TagoreUpdated at: Mar 06, 2023 16:37 IST
डिजिटल वर्ल्ड ने कैसे बदली हेल्थ केयर की तस्वीर, Healthcare Heroes Awards 2023 में एक्सपर्ट्स ने की चर्चा

3rd Edition of HealthCare Heroes Awards 2023

Jagran New Media की तरफ से  5 मार्च, रविवार शाम दिल्ली के ललित होटल में Onlymyhealth Healthcare Heroes: Health-Tech & Well-Being Conclave & Awards 2023 का आयोजन हुआ। समारोह में वैश्विक मानवतावादी, आध्यात्मिक गुरु और शांति दूत Sri Sri Ravi Shankar गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में मौजूद थे। जबकि भारतीय पहलवान, अभिनेता और हेल्थ गुरु संग्राम सिंहसमारोह में स्पेशल गेस्ट के रूप में शामिल हुए।  यह अवॉर्ड शो और कन्क्लेव Dabur Vedic Tea, Insta sheild और  Piramal Finance के सहयोग से आयोजित किया गया था। अवॉर्ड शो में देशभर से तमाम डॉक्टर्स, हेल्थ एक्सपर्ट्स, न्यूट्रीशनिस्ट, डायटीशियन आदि ने सेहत और स्वास्थ्य से जुड़े तमाम मुद्दों पर चर्चा की और अपनी राय रखी। प्रोग्राम में  NITI Aayog की डायरेक्टर और वाइस चेयरमैन उर्वशी प्रसाद से जागरण न्यू मीडिया की Associate Vice President & Business Head मेघा ममगेन के साथ इस विषय पर चर्चा की कि डिजीटलीकरण किस तरह हेल्थ सेक्टर को प्रभावित कर रहा है और यह क्यों स्वास्थ्य क्षेत्र को एक नए आयाम तक पहुंचाने में गहरी मदद कर सकता है।।

डिजिटलीकरण की भूमिक

उर्वशी प्रसाद ने कहा कि हेल्थ केयर के क्षेत्र में डिजिटलीकरण बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। डिजलीकरण की वजह से आज हमारे पास हर मरीज का डाटा मौजूद है। वह किस तरह की बीमारी से पीड़ित था और उसकी मेडिकल हिस्ट्री क्या है। इस तरह की महत्वपूर्ण जानकारियां विशेषज्ञों के पास होने के कारण यानी ऐसा डाटा होने के कारण मरीजों की देखभाल करना, उनका इलाज करना बहुत आसान हो गया है। यही नहीं, डॉक्टर्स को पहले से ही हेल्थ इंडिकेटर्स मिल जाते हैं, जो कि मरीज के स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने में मददगार साबित होते हैं। उर्वशी कहती हैं, ‘ डिजिटल तकनीक ने हमें बहुत तरह की  सुविधाएं मुहैया करवाई हैं। इसकी बदौलत हम हर तरह के डाटा को एकत्रित कर सकते हैं, जिससे हमें एनालिसिस करने में मदद मिलती है। साथ ही इससे पॉलिसी बनाने और मरीजों से जुड़े सही फैसले लेने में भी सहायता मिलती है।’

हेल्थ हिस्ट्री रहती है मरीज के पास मौजूद

डिजिटलीकरण से सिर्फ डॉक्टर्स या एक्सपर्ट्स को ही मदद नहीं मिलती, बल्कि मरीजों को भी उनका अपना स्वास्थ्य का पूरा रिकॉर्ड रखने में मदद मिलती है। मरीज के पास उनकी अपनी हेल्थ हिस्ट्री रहती है। जाहिर है, हेल्थ हिस्ट्री होने की वजह से व्यक्ति अपना बेहतर देखभाल कर सकता है। क्या खाना है, कितना परहेज करना है इस संबंध में वह पूरी तरह से जागरूक हो सकता है। हेल्थ हिस्ट्री की वजह से मरीज संभावित बीमारियों से बचा रह सकता है और सही समय पर डॉक्टर या एक्सपर्ट से अपनी जांच करवा सकता है। इस लिहाज से देखा जाए, तो हेल्थ हिस्ट्री जान लेना हर व्यक्ति के लिए जरूरी है और यह सहूलियत डिजिलीकरण से उपब्ध हो पाई है। इसके जरिए डॉक्टर्स के लिए अपने मरीजों का डायग्नोसिस करना भी आसान हो जाता है।

लोगों की पहुंच आसान हुई है

हेल्थ सेक्टर को डिजिटलीकरण से जोड़ने की वजह से यह भी देखा गया है कि लोगों की एक्सपर्ट तक पहुंच आसान हो गई है। मौजूदा समय में हमने देखा है कि एक क्लिक की मदद से आप अपने हेल्थ एक्सपर्ट से बात कर सकते हैं और उनसे परामर्श कर सकते हैं। इस बात को स्पष्ट करते हुए उर्वशी कहती हैं, ‘लोगों ने इन टेक्नोलॉजी को बेहतरीन तरीके से स्वीकार किया है। खासकर कोविड के दौरान यह देखा गया था कि लोग बिना हिचक के टेली मेडिसिन्स की मदद से दवाइयां मंगवा रहे थे। ग्रामीण इलाकों में इसी टेक्नोलाॅजी की मदद से स्वास्थ्य संबंधी मदद पहुंचाई जा रही थी। यही नहीं,आज के समय में एक डॉक्टर, जो किसी बड़े शहर में रह रहा है, वह ग्रामीण इलाके में रह रहे व्यक्ति की जांच कर रहा है। कहने का सार यही है कि डिजिटलीकरण के कारण स्वास्थ्य से जुड़ी सभी जरूरी चीजें आपस में लिंक हो गई हैं, जो कि अच्छी बात है।’

चुनौतियां भी कम नहीं हैं

बेशक यह कहना गलत नहीं होगा कि डिजिटलीकरण की वजह से लोगों को स्वास्थ्य संबंधी कई लाभ मिल रहे हैं लेकिन राह में कई चुनौतियां भी हैं। उर्वशी कहती हैं, ‘महिलाओं और पुरुषों के परिप्रेक्ष्य में देखें तो, कई प्रकार के चैलेंजेस सामने आते हैं। इसके पीछे कई कारण हैं, जिसमें महत्वपूर्ण है सोशियो-कल्चरल कारण। असल में हमने देखा है कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य को तब तक नजरंदाज करती हैं, जब तक कि उन्हें कोई गंभीर समस्या न हो जाए। ज्यादातर महिलाएं ऐसी हैं, जिन्हें खुद के बारे में सोचना किसी अपराध की तरह लगता है। उनके लिए परिवार और दूसरे लोग ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। वे सबका ख्याल रखती हैं। लेकिन खुद के स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही करती हैं। इसके अलावा, महिलाएं सहजता से अपने स्वास्थ्य को लेकर आगे नहीं आतीं। इसके अतिरिक्त एक अन्य चुनौती यह भी है कि महिलाओं के स्वास्थ्य की जब भी बात की जाती है, तो उन्हें प्रजनन, शिशु को जन्म देना, पीरियड्स संबंधी समस्या तक ही सीमित रखा जाता है। महिला की मेडिकल हिस्ट्री पर भी एक नजर डाली जाए, तो लगभग वही हिस्ट्री मिलती है, जो पुरुषों में मिलती है। यहां तक कि अगर महिला के न्यूट्रिशन की बात भी की जाए, तो उसे उसके गर्भावस्था से जोड़ दिया जाता है। जबकि पुरुषों की तरह महिलाओं को भी कैंसर का जोखिम होता है, मेंटल हेल्थ इश्यूज हो सकते हैं या अन्य बीमारियां हो सकती हैं। अंत में मैं यही कहना चाहूंगी कि हेल्थ डाटा में जेंडर एक चुनौती के रूप में सामने खड़ा है। इस पर काम करने की जरूरत है। हमसे कहां कमी हो रही है, यह जान लेना आवश्यक है।’

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