अकेलेपन को अकसर अवसाद से जोड़ कर देखा जाता है। लेकिन, यह जानना भी जरूरी है किे डिप्रेशन एक रोग है, जो आपको काफी नुकसान पहुंचाता है। यह व्यक्ति को उदासी और निराशा के गर्त में धकेल देता है। डिप्रेशन से निपटने के लिए आपको विशेषज्ञ सहायता की जरूरत होती है। मनोचिकित्सक आपकी मानसिक स्थिति को समझकर ही अवसाद का इलाज करता है। कई बार डिप्रेशन कई अन्य बीमारियों का भी कारण बन सकता है।
हृदय रोग
आजकल युवा भी डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। यह देखा गया है कि इस उम्र में डिप्रेशन का शिकार होने वाले युवाओं को आगे चलकर हृदय रोग होने का खतरा अधिक होता है। हालांकि कुछ शोध में यह बात भी सामने आयी है कि दिल का दौरा और हृदय संबंधी अन्य रोग भी डिप्रेशन के अन्य कारणों में शामिल हो सकते हैं।
शोध में यह बात सामने आयी है कि हृदयाघात होने वाले 70 फीसदी व्यक्ति एक वर्ष तक अवसाद से पीड़ित रहे।वास्तव में कई मामलों में तो अवसाद का असर इतना गहरा रहा कि कुछ लोग अपनी सामान्य दिनचर्या में लौट ही नहीं पाए। अवसाद के कारण लोग जीवन का आनंद लेना ही भूल गए। इसके कारण उनकी सेक्सुअल क्षमता और अन्य चीजों पर भी बुरा असर पड़ा। सही इलाज और चिकित्सा देखभाल के बिना हृदयाघात से उबर रहे लोगों में यह अवसाद गहरा बैठ जाता है।
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पार्किंसन डिजीज
यह बात सामने आयी है कि पार्किंसन से पीडि़त 30 से 40 फीसदी लोगों में बीमारी की दूसरी स्टेज पर अवसाद के गहरे लक्षण देखे गए। डिप्रेशन उन लोगों में अधिक सामान्य था जो ब्राडिकिन्सिया और गेट इन्स्टेबिलिटी से पीडि़त थे।
मल्टीपल स्लेरोसिस
डिप्रेशन मल्टीपल स्लेरोसिस के मरीजों में भी काफी सामान्य होता है। मल्टीपल स्लेरोसिस के मरीजों में अगर अवसाद लंबे समय तक बना रहे तो यह उनमें आत्महत्या की प्रवृत्ति को भी बढ़ा सकता है। अगर मरीज सही समय पर चिकित्सीय सहायता ले ले तो मल्टीपल स्लेरोसिस में डिप्रेशन का इलाज पूरी तरह संभव है।
डायबिटीज
डायबिटीज के मरीजों, फिर चाहे वह टाइप-1 डायबिटीज हो या टाइप-2, को डिप्रेशन होने का खतरा बहुत अधिक होता है। वे जीवन में कभी न कभी इस मानसिक रोग से जरूर पीडि़त होते हैं। वास्तव में डायबिटीज के मरीज पर अपनी जीवनशैली व्यवस्थित रखने का गहरा दबाव होता है। इसका असर उसकी मानसिक सेहत पर भी पड़ता है। कई बार डायबिटीज आपके संपूर्ण स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर डालती है, जिससे डिप्रेशन हो सकता है। लेकिन, अच्छी बात यह है कि डायबिटीज और डिप्रेशन का इलाज एक साथ किया जा सकता है। डिप्रेशन और डायबिटीज अगर लंबे समय तक एक साथ बने रहें, तो यह न केवल आपकी सेहत पर विपरीत असर डालते हैं, बल्कि इससे कई अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं।
स्ट्रोक
एक अनुमान के अनुसार स्ट्रोक के बाद करीब एक तिहाई मरीजों में डिप्रेशन की शिकायत देखी गयी। ऐसे मरीजों में गुस्सा, चिड़चिड़ापन, गुस्सा और निराशा के भाव देखे गए। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर एंड स्ट्रोक के अनुसार, स्ट्रोक के बाद डिप्रेशन निराशा के रूप में परिलक्षित होता है। इस निराशात्मक व्यवहार का प्रभाव जीवन पर पड़ता है। स्ट्रोक के बाद डिप्रेशन कई बार रिकवरी की प्रक्रिया को भी धीमा कर देता है।
खुद को डिप्रेशन से बचाने के लिए जरूरी है कि आप अपनी सेहत का भी खास खयाल रखें और खासकर ऊपर दी गई बीमारियों के दौरान ज्यादा सावधान रहें।