अगर आप मछली खाते हैं तो बुढ़ापे में आपको आंखों की समस्याएं नहीं होंगी। हाल में हुए एक शोध में पाया गया है कि सप्ताह में एक दिन मछली या मछली का तेल खाना आपकी आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। उम्रदराज होने पर आंखों की रोशनी कम होना सामान्य परेशानी है। इस परेशानी से बचने के लिए आपको अभी से मछली का सेवन शुरू कर देना चाहिए। मछली में कुछ ऐसे पौष्टिक तत्व होते हैं, जो अन्य आहारों से आपको पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलते हैं, जैसे- ओमेगा फैटी-3 एसिड और विटामिन बी-12 आदि।
नहीं होगा बुढ़ापे में अंधापन
यूरोपीय शोधकर्ताओं के मुताबिक बड़ी उम्र के लोगों में एज रिलेटेड मस्कुलर डिजेनेरेशन या AMD (उम्र संबंधी मांसपेशियों की कमजोरी) बहुत आम है। हफ्ते में एक बार तैलीय यानी वसा वाली मछली खाने से इस समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है। गौरतलब है कि AMD अंधेपन और दृष्टिदोष का एक प्रमुख कारण माना जाता है। AMD दो प्रकार के होते हैं-ड्राई (सूखा) और वेट (गीला)। वेट एएमडी अंधेपन का प्रमुख कारण होता है। यह पहला शोध है जिसमें तैलीय मछली के सेवन को एएमडी की रोकथाम में कारगर बताया गया है।
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मछली खाने से होता है शरीर में खास एसिड का निर्माण
प्रमुख शोधकर्ता एस्टि्रड फ्लेचर के मुताबिक हफ्ते में एक बार साल्मोन, टूना या मैकेरल मछली खाने से प्रतिदिन 500 मिलीग्राम डीएचए (ओमेगा फैटी-3 एसिड का एक प्रकार) और ईपीए (ईकोसापेंटाइनोइक एसिड) का निर्माण होता है। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में मछली के सेवन तथा ओमेगा-3 फैटी एसिड के वेट एएमडी से संबंध की जांच की। शोध के मुताबिक हफ्ते में एक बार तैलीय मछली का सेवन करने वालों में, मछली का सेवन नहीं करने वालों की अपेक्षा वेट एएमडी 50 फीसदी से कम पाया गया। इससे यह निष्कर्ष निकाला गया कि मछली खाने वालों को बुढ़ापे में नजर की समस्याएं नहीं होती हैं।
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आंखों की समस्या को रोकता है डीएचए
डीएचए और ईपीए से भी एएमडी का पर्याप्त संबंध देखा गया। डीएचए और ईपीए की 25 फीसदी (प्रतिदिन 300 मिलीग्राम या उससे ज्यादा) की मौजूदगी की स्थिति में 70 फीसदी वेट एएमडी कम पाया गया। गौरतलब है कि डीएचए ज्यादातर मछली और अन्य समुद्री भोजन में ही पाया जाता है।
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