अनेक रोगों के उपचार में मददगार है गोरखमुंडी

गोरखमुण्डी की जड़, फूल और पत्‍ते अजीर्ण, टीबी, छाती में जलन, पागलपन, अतिसार, वमन, मिर्गी, दमा, पेट में कीड़े, कुष्ठरोग, विष विकार आदि में तो लाभदायक होते ही हैं, साथ ही इसे बुद्धिवर्द्धक भी माना जाता है।
  • SHARE
  • FOLLOW
अनेक रोगों के उपचार में मददगार है गोरखमुंडी


भारतीय वनौषधियों में गोरखमुंडी का विशेष महत्‍व है। सर्दी के मौसम में इसमें फूल और फल लगते हैं। इस पौधे की जड़, फूल और पत्‍ते कई रोगों के लिए फायदेमंद होते हैं। गोरखमुण्डी भारत के प्रायः सभी प्रान्तों में पाई जाती है। संस्कृत में इसकी श्रावणी महामुण्डी अरुणा, तपस्विनी तथा नीलकदम्बिका आदि कई नाम हैं। यह अजीर्ण, टीबी, छाती में जलन, पागलपन, अतिसार, वमन, मिर्गी, दमा, पेट में कीड़े, कुष्ठरोग, विष विकार आदि में तो लाभदायक होती ही है, इसे बुद्धिवर्द्धक भी माना जाता है। गोरखमुंडी की गंध बहुत तीखी होती है। आइए स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़े इसके फायदों की जानकारी लेते हैं।

gorakhmundhi in hindi

रोग अनेक गोरखमुण्डी एक

  • गर्भाशय, योनि सम्बन्धी अन्य बीमारियों पथरी-पित्त सिर की आधाशीशी आदि में भी यह अत्यन्त लाभकारी औषधि है। गोरखमुंडी के चार ताजे फल तोड़कर भली प्रकार चबायें और दो घूंट पानी के साथ इसे पेट में उतार लें तो एक वर्ष तक न तो आंख आएगी और न ही आंखों की रोशनी कमजोर होगी। गोरखमुंडी की एक घुंडी प्रतिदिन साबुत निगलने कई सालों तक आंख लाल नहीं होगी। इसके पत्ते पीस कर मलहम की तरह लेप करने से नारू रोग (इसे बाला रोग भी कहते हैं, यह रोग गंदा पानी पीने से होता है) नष्ट हो जाते हैं।
  • गोरखमुंडी तथा सौंठ दोनों का चूर्ण बराबर-बराबर मात्रा में गर्म पानी से लेने से आम वात की पीड़ा दूर हो जाती है। गोरखमुंडी चूर्ण, घी, शहद को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से वात रोग समाप्‍त होते हैं। कुष्‍ठ रोग होने पर गोरखमुंडी का चूर्ण और नीम की छाल मिलाकर काढ़ा तैयार कीजिए, सुबह-शा‍म इस काढ़े का सेवन करने से कुष्‍ठ रोग ठीक हो जाता है। गले के लिए यह बहुत फायदेमंद है, यह आवाज को मीठा करती है। गोरखमुंडी का सुजाक, प्रमेह आदि धातु रोग में सर्वाधिक सफल प्रयोग किया गया है।
  • योनि में दर्द हो, फोड़े-फुन्सी या खुजली हो तो गोरखमुंडी के बीजों को पीसकर उसमें समान मात्रा में शक्कर मिलाकर रख लें और एक बार प्रतिदिन दो चम्मच ठंडे पानी से लेने से इन बीमांरियों में फायदा होता है। इस चूर्ण को लेने से शरीर में स्‍फूर्ति भी बढ़ती है। गोरखमुडी का सेवन करने से बाल सफेद नही होते हैं। गोरखमुंडी के पौधे उखाड़कर उनकी सफाई करके छाये में सुखा लें। सूख जाने पर उसे पीस लीजिए और घी चीनी के साथ हलुआ बनाकर खाइए, इससे इससे दिल, दिमाग, लीवर को बहुत शक्ति मिलती है। गोरखमुडी का काढ़ा बनाकर प्रयोग करने से पथरी की समस्‍या दूर होती है।
  • पीलिया के मरीजों के लिए भी यह फायदेमंद औषधि है। गोरखमुंडी के पत्ते तथा इसकी जड़ को पीस कर गाय के दूध के साथ लिया जाये तो इससे यौन शक्ति बढ़ती है। यदि इसकी जड़ का चूर्ण बनाकर कोई व्यक्ति लगातार दो वर्ष तक दूध के साथ सेवन करता है तो उसका शरीर मजबूत हो जाता है। गोरखमुंडी का सेवन शहद, दूध मट्ठे के साथ किया जा सकता है।
  • गोरखमुंडी का प्रयोग बवासीर में भी बहुत लाभदायक माना गया है। गोरखमुंडी की जड़ की छाल निकालकर उसे सुखाकर चूर्ण बनाकर हर रोज एक चम्मच चूर्ण लेकर ऊपर से मट्ठे का सेवन किया जाये तो बवासीर पूरी तरह समाप्त हो जाती है। जड़ को सिल पर पीस कर उसे बवासीर के मस्सों में तथा कण्ठमाल की गाठों में लगाने से बहुत लाभ होता है। पेट के कीड़ों में भी इस की जड़ का पूर्ण प्रयोग किया जाता है, उससे निश्चित लाभ मिलता है।

इस लेख से संबंधित किसी प्रकार के सवाल या सुझाव के लिए आप यहां पोस्‍ट/कमेंट कर सकते हैं।
Image Source : staticflickr.com

Read More Articles on Ayurvedic Treatment in Hindi.

 

 










Read Next

आयुर्वेंद से करें अस्‍थमा का इलाज

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version