हाथ धोने से दूर होती है नकारात्‍मकता और बढ़ता है आत्‍मविश्‍वास

हाथ धोना एक अच्‍छी आदत है। इससे आप कई बीमारियों से बच सकते हैं। इसके साथ ही अब हाथ धोने की एक और वजह सामने आयी है। नये शोध में सामने आया है कि हाथ धोने से सकारात्‍मकता बढ़ती है।
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हाथ धोने से दूर होती है नकारात्‍मकता और बढ़ता है आत्‍मविश्‍वास

हाथ धोने से दूर होती है नकारात्‍मकताहाथ धोने की आदत न केवल आपको बीमारियों से बचाने में मददगार होती है, बल्कि यह आपका दर्द भी कम कर सकती है। एक नये शोध में यह बताया गया है कि हाथ धोने की आदत हमें नाकामयाबी के बाद भी सकारात्‍मक बनाए रखने में मदद करती है।



यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोग्‍न के डॉक्‍टर काय कास्‍पर ने बताया कि शारीरिक सफाई किसी हादसे के बाद हम पर कैसे असर डालती है।


उन्‍होंने पाया कि किसी कार्य में असफल होने के बाद जिन लोगों ने हाथ धोए, वे इस बात को लेकर अधिक आशांवित थे कि अगली बार वे जरूर कामयाब होंगे।

 

डॉक्‍टर कास्‍पर ने 98 लोगों को तीन समूहों में बांटा। प्रयोग के पहले हिस्‍से में, दो समूहों के प्रतिभागियों को असंभव कार्य करने को दिया गया।

 

जब दोनों समूह काम पूरा करने में नाकाम रहे, तब एक को उनके हाथ धोने के लिए कहा गया। दोनों समूह इस बात को लेकर आशांवित थे कि वे अगली बार इस कार्य में बेहतर प्रदर्शन करेंगे, लेकिन जिस समूह के लोगों ने हाथ धोए थे, वे अपनी सफलता को लेकर अधिक सकारात्‍मक थे।

 

लेकिन, यहां कहानी में एक पेंच था। हाथ धोने के बाद जो लोग बेहतर महसूस कर रहे थे, उनके अगली बार इस लक्ष्‍य को पूरा करने की उम्‍मीदें कम थीं।

 

डॉक्‍टर ने बताया: नाकामयाबी के बाद शारीरिक सफाई नकारात्‍मक भावनाओं को दूर करने में मदद मिलती है, वहीं, यह नयी परीक्षण स्थिति में अधिक कठिनतर मेहनत करने की प्रेरणा को भी कम कर देता है।

 

इसी बीच जिन लोगों ने हाथ नहीं धोए थे, उन्‍होंने अगली बार बेहतर प्रदर्शन किया। यह स्‍टडी सोशल साइकोलॉजिकल एंड पर्सनेलिटी साइंस के जर्नल में प्रकाशित हुई है।

इससे पहले मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोध में यह बात सामने आई थी कि हाथ धोना शारीरिक और भावनात्‍मक सफाई करता है।  मनोवैज्ञानिकों की टीम ने पाया कि हाथ धोने जैसी साधारण क्रिया लोगों को अपने लिए गए निर्णयों के प्रति अधिक सहज बनाती है।

उन्‍होंने पाया था कि वे लोग जिन्‍होंने एक मुश्‍किल फैसला लेने के तुरंत बाद हाथ धोए, वे अपने निर्णय को लेकर उन लोगों की अपेक्षा अधिक प्रसन्‍न थे, जिन्‍होंने हाथ नहीं धोए थे।

शोधकर्ताओं का कहना है कि हाथ धोने की यह क्रिया लोगों को मानसिक तौर पर अपने फैसलों को महत्‍वपूर्ण बताने में मदद‍ मिलती है।

 

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