
क्या आपने कभी फिस्ट्रोलॉजी के बारे में सुना है। अगर नहीं, तो भारत में पहली बार फिस्ट्रोलॉजी थैरेपी को लांच किया गया है। वैदिक विज्ञान पर आधारित इस थेरेपी के जरिये बहुत सी गंभीर बीमारियों का इलाज संभव है।
क्या आपने कभी फिस्ट्रोलॉजी के बारे में सुना है। अगर नहीं, तो भारत में पहली बार फिस्ट्रोलॉजी थैरेपी को लांच किया गया है। वैदिक विज्ञान पर आधारित इस थेरेपी के जरिये बहुत सी गंभीर बीमारियों का इलाज संभव है। फिस्ट्रोलॉजी इस तथ्य पर आधारित है कि मानव शरीर ब्रह्मांड के प्रभाव के अधीन है और ग्रहों की गति व मानव शरीर व मस्तिष्क का परस्पर संबंध है। 'वैदिक ग्रेस फाउंडेशन' ने फिस्ट्रोलॉजी-एक वैदिक साइंस थेरेपी को पेश किया है. फिस्ट्रोलॉजी एक प्रमाणित वैदिक साइंस है जो हॉलैंड व आईडब्ल्यूओए जैसे देशों व संस्थाओं में उपयोग की जाती है।
फिस्ट्रोलॉजी के अनुसार, मानव मस्तिष्क में नौ डिवीजन होते हैं और वे ज्योतिष में ग्रहों के समान कार्यक्षमता रखते हैं। थैलेमस एक न्यूरोन है जो मानव मस्तिष्क में मुख्य और मध्य स्थान में होता है, यह न्यूरोन ठीक सूर्य की तरह कार्य करता है, यह सभी अभिव्यक्तियों के अभिन्न गुणों को निर्धारित करता है।
थैलेमस के नीचे हाइपोथैलेमस होता है जो चंद्रमा की तरह काम करता है। यह भावनाओं तथा उसके मस्तिष्क पर प्रभाव से जुड़ा होता है, अमिगडाला मंगल है जो जीवन में मानव गति को नियंत्रित करता है, सुब्थालमस बुध है, ग्लोबस पल्लीदुस बृहस्पति, सबस्टान्सिया निग्रा शुक्र है, प्यूटमेन शनि है, न्यूक्लियस क्यूडाटस हेड राहू है जो मानव की देखने की क्षमता यानी आंखों को नियंत्रित करता है और न्यूक्लियस क्यूडाटस टेल केतू है जो सेंट्रल नर्वस सिस्टम को नियंत्रित करता है।
विश्व भर में हजारों लोगों को गंभीर बीमारियों से निजात दिलाने वाले वैदिक ग्रेस फाउंडेशन के फिस्ट्रोलॉजिस्ट विनायक भट्ट बताते हैं कि इन 9 न्यूरॉन्स के माध्यम से मानव मस्तिष्क पूरे शरीर को नियंत्रित करता है। जब अंग के साथ इन न्यूरॉन्स का समन्वय बिगड़ जाता है तो इसके परिणामस्वरूप कैंसर, अवसाद, उच्च रक्तचाप, कार्डिएक अटैक, किडनी रोग, अनिद्रा, अवसाद, अल्जाइमर, स्किजोफ्रेनिया जैसे रोग होते हैं।
विनायक भट्ट ने कहा, "इस उपचार के लिए 'यज्ञ' के वैज्ञानिक प्रयोग का इस्तेमाल करते हैं जिसमें औषधीय लकड़ियों की आग में विशेष हर्बल पौधे व औषधियां डाली जाती हैं। एक विशेष आकार के हवन कुंड में, एक निश्चित अंतराल और मात्रा में हवन साम्रगी डालने से रसायनिक प्रक्रिया नियंत्रित रहती है। फिर रसायन के वाष्पीकरण द्वारा औषधीय फाइटोकैमिकल निकलते हैं जिससे रोगी को लाभ मिलता है। यह उपचार विधि थोड़े लंबे समय तक चलती है।"
News Source- IANS
Read More Health Related Articles In Hindi
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।