
उम्मीद की जा रही है कि दुनिया की पहली मलेरिया रोधी वैक्सीन को अगले दो साल में इस्तेमाल करने की मंजूरी मिल जाएगी। वैक्सीन के साल 2015 तक बाजार में आने की उम्मीद है, इससे जुड़े प्रयोग बड़े पैमाने पर सफल रहे हैं। मलेरिया एक घातक बीमारी है और इससे हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है।
ब्रिटिश ड्रग मेकर जीएसके नई वैक्सीन की मंजूरी मिलने के लिए प्रयासरत है। प्रयोग में दिखाया गया कि वैक्सीन के इस्तेमाल से अफ्रीकी बच्चों में मलेरिया के मामलों में तेजी से गिरावट आई है। इस वैक्सीन को देने के बाद बच्चे और नवजात 18 महीने तक मलेरिया से सुरक्षित रहें।
जीएसके की तरफ से एक बयान में बताया गया कि इन सभी आंकड़ों के आधार पर कंपनी अब यूरोपियन मेडिसिंस एजेंसी (ईएमए) के समक्ष अप्रूवल के लिए प्रार्थना पत्र देने पर विचार कर रही है। डब्लूएचओ ने भी यह संकेत दिया है कि वैक्सीन को ईएमए की तरफ से मंजूरी मिल जाती है तो यह 2015 तक बाजार में आ जाएगी।
वैक्सीन के प्रयोग के बाद 18 महीने तक नजर रखने पर हाल ही में यह भी प्रमाणित हुआ कि 5 से 17 महीने की उम्र वाले बच्चों में भी मलेरिया का खतरा आधा हो गया। वैक्सीन के प्रयोग को सात अफ्रीकी देशों में स्थित 11 अफ्रीकन रिसर्च सेंटर में जीएसके की मदद से पूरा किया गया।
डब्लूएचओ की तरफ से संकेत मिलने के बाद ब्रिटिश कंपनी जीएसके ने भी उम्मीद जताई है कि मंजूरी के बाद वैक्सीन साल 2015 से बाजार में सभी लोगों के लिए उपलब्ध होगी।
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